
एक सूत्रीय मांग को लेकर सचिव संघ का धरना प्रदर्शन 15वें दिन भी हैं जारी।
गरियाबंद (गंगा प्रकाश) :-छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में पंचायतों के सचिव बेमुद्दत हड़ताल पर चले गए हैं। इसके चलते पंचायतों से चल रही दर्जन भर योजनाओं के काम ठप हो गया हैं। ये पंचायत सचिव परीवीक्षा अवधि के बाद शासकीयकरण करने की मांग कर रहे हैं। पंचायत सचिवों का कहना है कि जब तक उनकी एक सूत्रीय मांग शासकीयकरण पूरी नहीं कि जाती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।पंचायत मंत्री ने बजट सत्र में पंचायत सचिवों के शासकीयकरण किए जाने का आश्वासन दिया था। इसके बाद भी इस पर अमल नहीं हुआ। इसके चलते नाराज छत्तीसगढ़ पंचायत सचिव संघ के आह्वान पर प्रदेश भर में बेमुद्दत हड़ताल शुरू की गई है। गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर, छुरा,गरियाबंद, व मैनपुर और देवभोग ब्लॉक में सचिवों ने एक सूत्रीय मांग को लेकर कलम बंद हड़ताल शुरू कर दी है।गौरतलब हो कि ग्राम में कार्यरत पंचायत सचिव का बजट 2023-24 में शासकीयकरण करने पंचायत मंत्री आश्वासन दिया गया था। किन्तु बजट में पंचायत सचिव के शासकीयकरण के संबंध में कोई पहल नहीं होने से छ.ग. के समस्त पंचायत सचिवों में रोष व्याप्त है।पंचायत सचिव संगठन के प्रांतिय बैठक दिनांक 06.03.2023 में लिये लिए गए निर्णय के अनुसार पंचायत सचिव के एकसूत्रीय मांग परिविक्षा अवधि पश्चात् शासकीयकरण के संबंध में दिनांक 15.03.2023 तक सकारात्मक पहल नहीं होने के कारण पंचायत सचिव दिनांक 16.03.2023 से काम बंद कलमबंद हड़ताल पूरे प्रदेश समेत गरियाबंद जिले के विकास मैनपुर में आज 14वें दिन भी पंचायत सचिवों ने शासकीयकरण की मांग को लेकर धरने पर बैठे है। पंचायत सचिवों के द्वारा आज काम बंद कर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन किया जा रहा हैं।जहां मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। प्रदेश पंचायत सचिव संघ की ओर से दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ प्रांत में वर्तमान में 10568 पंचायत सचिव कार्यरत हैं। जो कि निरंतर ग्रामीण अंचल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनका कहना है कि पंचायत सचिव 29 विभागों के 200 प्रकार के कार्य को जमीनी स्तर तक जिम्मेदारी के सरकार को मांग मानन साथ ईमानदारी पूर्वक निर्वहन कर रहा है। राज्य व केंद्र शासन के समस्त योजनाओं को व्यक्तियों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम दे रहे है। पंचायत सचिव ने कहा है कि उन्हें काम करते 25 वर्ष से अधिक हो गया है। परंतु पंचायत सचिव का शासकीयकरण नहीं हुआ है, लेकिन पंचायत सचिवों के साथ नियुक्त हुए अन्य विभाग के कर्मचारी जैसे शिक्षक कर्मों का शासकीय करण कर दिया गया है.
बताया गया है कि सचिवों को शासकीय करण करने से शासन प्रशासन को वार्षिक वित्तीय भार लगभग 75 करोड़ आएगा जो छत्तीसगढ़ सरकार के लिए नहीं के बराबर है।
मांग पूरा करने सरकार की आनाकानी
बता दे कि राज्य सरकार ने सचिव संघ की मांग पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन सरकार बने तीन साल बीत चुका है। इसके बावजूद अभी तक सरकार द्वारा कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। इससे सचिव संघ में भारी आक्रोश है। इससे पहले भी सचिव संघ द्वारा शासन को ज्ञापन सौंपकर समय-समय पर ध्यान आकर्षित कराते रहे हैं। लेकिन शासन प्रशासन का बर्ताव में कोई परिवर्तन नहीं आया है। इसका खामियाजा सचिव संघ के सदस्यों को भुगताना पड़ रहा है। इस बार संघ उग्र आंदोलन करने की तैयारी में है। आज सोमवार से आंदोलन का आगाज हो चुका है। ताकि इस बार सरकार को मांग माननी पड़ेगी।
पंचायत सचिवों की एक सूत्रीय मांग परीविक्षा अवधि पश्चात शासकीकरण
बताते चले कि छत्तीसगढ़ में विगत 26 वर्षों से निरन्तर 10568 पंचायत सचिव अपनी सेवाएं दे रहे हैं, ग्रामीण अंचल में शासन के समस्त योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य बखूबी जिम्मेदारी व ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते आ रहे हैं।ज्ञात हो कि संगठन द्वारा अपनी लंबित मांग शासकीय करण के संबंध में दिनांक 26 दिसंबर 2020 से 23 जनवरी 2021 तक कुल 26 दिन शासन का ध्यानाकर्षण करने हेतु गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्वक आंदोलन किया था। तत्कालीन पंचायत मंत्री टी एस सिंह देव के आश्वासन पश्चात दिनांक 23 जनवरी 2021 को हड़ताल स्थगित कर दिनांक 24 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदेश पंचायत सचिव संगठन के प्रतिनिधि मंडल के साथ चर्चा में भूपेश बघेल मुख्यमंत्री द्वारा माह दिसंबर 2021 में शासकीय करण का सौगात देने का वादा किया गया था किंतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा वादा किए गए समय के 1वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी हमें शासकीय करण के संबंध में कोई सकारात्मक पहल नहीं करने के कारण पंचायत सचिव संघ छत्तीसगढ़ द्वारा 7 मार्च 2022 को प्रदेश के सभी 28 जिला मुख्यालयों में जिला अध्यक्षों के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वादा निभाओ रैली निकालकर कलेक्टर व मुख्यमंत्री एवम टी.एस सिंह देव पंचायत मंत्री छत्तीसगढ़ शासन के नाम तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन एवं अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के नाम ज्ञापन सौंपें थे जिसमें जिला के सभी पंचायत सचिव उपस्थित रहें ।इसके बाद भी मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में सकारात्मक पहल कर सचिवों की मांग पूरी नही की गई।बता दें कि छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत राज ( जिला पंचायत /जनपद पंचायत /ग्राम पंचायत ) व्यवस्था लागू है।पंचायत राज का आधार स्तंभ ग्राम पंचायत को माना गया है, किंतु जिला/ जनपद में कार्यरत कर्मचारी शासकीय सेवक है और पंचायती राज के आधार स्तंभ माने जाने वाले ग्राम पंचायतों में कार्यरत पंचायत सचिव आज 26 वर्ष की सेवा बीत जाने के बाद भी शासन द्वारा शासकीय करण नहीं किया गया है। पंचायत सचिव 29 विभागों के 200 प्रकार के कार्य को जमीनी स्तर तक जिम्मेदारी के साथ ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करते हुए राज्य शासन एवं केंद्र शासन के समस्त योजनाओं को लोकतंत्र के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का अति महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देते हैं । ग्राम पंचायत सचिवों के द्वारा वैश्विक महामारी कोविड-19 में ग्रामीण जन की सुरक्षा हेतु कोविड से संबंधित सभी प्रकार के कार्य कोविड टेस्ट,कोविड टीकाकरण इत्यादि महत्वपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक संचालन किया गया है जिसमे कई सचिवों की संक्रमित होने से मौत भी हो चुकी हैं। पंचायत सचिव के मेहनत के परिणाम है कि पूरे छत्तीसगढ़ में टीकाकरण कार्य 100% लक्ष्य की प्राप्त कर लिया है।इतना ही नही छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वकांक्षी योजना एवं सभी न्याय योजना जैसे नरवा गरवा घुरुवा अउ बाड़ी के तहत ग्राम गौठान निर्माण, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, राजीव गाँधी मितान क्लब एवं मनरेगा के कार्यों का जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।शासन प्रशासन के दिशा निर्देश एवं पंचायत सचिवों की कड़ी मेहनत तथा कार्य के प्रति लगन एवं सच्ची निष्ठा का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ शासन को राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर 12 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाना इस बात का प्रमाण है।पंचायत सचिवों को शासकीय करण करने हेतु छत्तीसगढ़ प्रदेश के 75 सम्मानीय विधायक गण द्वारा अनुशंसा कर मुख्यमंत्री को अग्रेषित किया गया था किंतु सरकार लगातार सचिवों की मांग को दरकिनार किया जाता रहा हैं। पंचायत सचिव को कार्य करते हुए 26 वर्ष से अधिक हो गया है, पंचायत सचिवों के साथ नियुक्त हुए अन्य विभाग के कर्मचारी जैसे शिक्षाकर्मी,वन कर्मी एवं पीडब्ल्यूडी कर्मी को शासकीय करण किया जा चुका है।कई विभाग के कर्मचारी भृत्य/ चौकीदार भी प्रमोशन पाकर सहायक ग्रेड 3 बन गए हैं। पंचायत सचिवों को शासकीय करण करने से शासन प्रशासन को मासिक वित्तीय भार 6.27 करोड़,वार्षिक वित्तीय भार लगभग 75 करोड आएगा जो कि नहीं के बराबर है।ज्ञात हो कि 15 वर्ष सेवा अवधि पूर्ण कर चुके 5685 पंचायत सचिवों को 5200–20200 ग्रेड पे 2400 शासकीय सेवकों के समान वेतनमान मिल रहा है।अन्य सुविधा नहीं मिल रहा है।वंही सचिवों के हड़ताल पर जाने से पंचायतों में होने वाले मनरेगा,पेंशन वितरण,राशनकार्ड वितरण,निर्माण कार्य,गौठान, जन्म मृत्यु ,वन अधिकार पत्र, जाति निवास, किसान न्याय, नलजल व आधार सीडिंग आदि का काम प्रभावित हो कर ठप्प पड़ गए हैं।