
मैनपुर(गंगा प्रकाश)।:सनातन(हिंदु) मान्याताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों का अंत करने के लिए भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां हुआ था। इस दिन को भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में हिंदुओं द्वारा पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।बता दे की राम नवमी पर्व मैनपुर नगर में जय श्रीराम के उद्घोष व विशालकाय महावीरी ध्वज के साथ सैंकड़ों श्रद्धालु ने राम जानकी मंदिर हरदीभाटा में पूजा अर्चना करने के बाद रामनवमी की भव्य शोभायात्रा जुलूस निकाली गई। शोभायात्रा में रथ पर राम, जानकी, लक्ष्मण एवं हनुमान के झांकियों से सुसज्जित होकर निकाली गई। शोभायात्रा के दौरान जय श्रीराम के नारे के साथ शामिल भक्तों में नया उत्साह पैदा हो रहा था जो ध्वनि आसपास के घरों से भी उत्साह वर्धित करने के लिए निकल रही थी। पूरा मैनपुर नगर मानो राममय हो गया हो। इस बीच शोभायात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु भक्तों के लिए दर्जनों स्थानों पर श्रद्धालुओं द्वारा शीतल पेयजल,फल,मिठाईयां कई तरह के प्रबंध किए गए थे। ताकि रामनवमी शोभायात्रा में शामिल होने वाले लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो।ब्लॉक से वनांचल क्षेत्र जिड़ार ग्राम में सर्वप्रथम राम की शोभायात्रा निकाली गई राम नवमी पर्व पर बड़ी धूमधाम के साथ डीजे बाजा गाना के साथ भगवान राम की पूजा अर्चना कर शोभायात्रा निकाली जाती है मैनपुर क्षेत्र में देखा गया कि प्रत्येक की बाइक मोटरसाइकिल में भगवा झंडा दिखा जय जय श्रीराम के नारे लगते रहे वहीं राम जानकी मंदिर हरदी भांटा में पूजा अर्चना विधिवत किया गया प्रतिवर्ष राम जानकी मंदिर हरदी भांटा से होकर मैनपुर में शोभायात्रा निकाली जाती है इस बार भी वैसा ही किया गया है श्रद्धालुओं के लिए हरदी भांटा राम मंदिर में भंडारा कार्यक्रम भी किया गया था भव्य शोभा यात्रा निकाली गई और डीजे से डांस करते हुए बजरंग चौक मैनपुर शोभायात्रा पहुंचा जय जय श्रीराम के नारे लगते रहे युवाओं में काफी जोश देखा जा रहा था युवतियां भी नाच गान कर रही थी भगवे कलर में पूरी तरह राम मय मैनपुर को गया था इस अवसर पर प्रमुख रूप से राम सेना के अध्यक्ष रूपेश साहू,मनोज मिश्रा, मोहित द्विवेदी, दिनेश सिन्हा, संजय द्विवेदी, मुकेश सिन्हा, निर्भय पांडे ,निखिल जगत, मुकेश रामटेके हिमांशु, रामटेके खन्ना, मनोहर राजपूत,मुकेश राजपूत तनवीर ठाकुर, पंकज ठाकुर ,केशव बंछोर, योगेश शर्मा ,दुलार सिन्हा,रामस्वरूप साहू , गेद लाल साहू ,लोकेश जगत, गणेश जगत,सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
क्यों मनाया जाता है राम नवमी का पर्व और क्या है महत्व
सनातन धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीराम का जन्मदिवस धूमधाम से मनाया जाता है। रामनवमी का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। सनातन धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन लोगों की आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम का जन्मदिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिर और मठों में पूजन और यज्ञ किए जाते हैं। साथ ही कई जगहों पर लोग भंडारे के रूप में प्रसाद का वितरण भी करते हैं। इसके साथ ही इस दिन नवरात्र की भी समाप्ति होती है।हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को रामजन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राम जी के जन्म पर्व के कारण ही इस तिथि को रामनवमी कहा जाता है।भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। धरती पर असुरों का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में मानव अवतार लिया था। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कष्ट सहते हुए भी मर्यादित जीवन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने विपरीत परिस्थियों में भी अपने आदर्शों को नहीं त्यागा और मर्यादा में रहते हुए जीवन व्यतीत किया। इसलिए उन्हें उत्तम पुरुष का स्थान दिया गया है।इस दिन विशेष रूप से भगवान राम की पूजा अर्चना और कई तरह के आयोजन कर उनके जन्म के पर्व को मनाते हैं। वैसे तो पूरे भारत में भगवान राम का जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन खास तौर से श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में इस पर्व को बेहद हर्षोल्ललास के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के समय अयोध्या में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्तगणों के अलावा साधु-संन्यासी भी पहुंचते हैं और रामजन्म का उत्सव मनाते हैं।
रामनवमी के दिन आम तौर पर हिन्दू परिवारों में व्रत-उपवास, पूजा पाठ व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। राम जी के जन्म के समय पर उनके जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है और खुशियों के साथ उनका स्वागत किया जाता है।कई घरों में विशेष साज-सज्जा कर, घर को पवित्र कर कलश स्थापना की जाती है और श्रीराम जी का पूजन कर, भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।इस दिन विशेष तौर पर श्रीराम के साथ माता जानकी और लक्ष्मण जी की भी पूजा होती है। माता कैकयी द्वारा राम जी के पिता महाराजा दशरथ से वरदान मांगे जाने पर, श्रीराम ने राजपाट छोड़कर 14 वर्षों के वनवास को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया और वनवास के दौरान कई असुरों समेत अहंकारी रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। अयोध्या छोड़ते समय श्रीराम के साथ माता जानकी और भाई लक्ष्मण भी 14 वर्षों के वनवास पर गए। यही कारण है कि रामनवमी पर उनकी भी पूजा श्रीराम के साथ की जाती है।