
छ. ग.में पेसा कानून की मांग को लेकर दो वर्ष पूर्व हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका
जनहित याचिका को किया निराकृत,शासन ने हाईकोर्ट में पेसा कानून नियमावली की प्रस्तुत
हरदीप छाबड़ा
मोहला(गंगा प्रकाश)--आदिवासियों के हितों के संरक्षण में छग में पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर सड़क से न्यायालय तक संघर्ष कर रही जिला पंचायत की पूर्व सदस्य खगेश ठाकुर को एक बड़ी जीत मिली है। उच्च न्यायालय ने खगेश के पेसा एक्ट लागू करने संबंधी जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है। छग शासन ने न्यायालय को छग में पेसा एक्ट कानून लागू करने शासन द्वारा बनाए गए सभी नियमावली की पूरी जानकारी सौंपी है। इसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ता की जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।
देश के अन्य राज्यों की तरह छग में पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर खगेश ठाकुर पिछले डेढ़ दशक से संघर्ष कर रही थी। ठाकुर ने दो वर्ष पूर्व जनवरी 2021 में उच्च न्यायालय में छग में पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका लगाई थी। उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधिपति की खंडपीठ में डब्ल्यूपी पीआईएल 8/2021 की सुनवाई हो रही थी । न्यायालय ने याचिका के बाद छग शासन को नोटिस जारी किया था। इसके बाद फरवरी 2021 में छग शासन ने उच्च न्यायालय से जवाब प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था।

उच्च न्यायालय में खगेश ठाकुर ने लगाई थी याचिका
दो मई 2023 को उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा की खंडपीठ के समक्ष छग शासन द्वारा प्रदेश में पेसा एक्ट लागू करने संबंधी शासन द्वारा बनाए गए सभी नियमावली एवं कानून राइटिंग में प्रस्तुत किया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने खगेश ठाकुर के द्वारा लगाई गई जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है। इसके बाद छग में आदिवासियों के हितों के संरक्षण में प्रदेश में पूर्णरूपेण पेसा एक्ट लागू किए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
पेसा कानून लागू होते ही आदिवासियों को मिल सकेगा रोजगार
वनांचल मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी ही नहीं बल्कि आदिवासी बाहुल्य वाले इलाकों में वर्षों से पेसा कानून लागू करने की मांग उठ रही थी। कानून के लागू होते ही जनजातीय बाहुल्य वाले इलाकों में संचालित कारखानों व उद्योगों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। ग्राम सभाओं के माध्यम से इस वर्ग के विशेष ताकत प्राप्त होगा। प्रदेश के आदिवासी समाज पूर्ववर्ती सरकार के समय से ही छग में पेसा कानून लागू करने की मांग कर रहा था।
डेढ़ दशक से खगेस ठाकुर आवाज उठा रही थी पेसा एक्ट लागू करने को
खगेश ठाकुर छग में देश के अन्य राज्यों की तरह आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए पेसा एक्ट लागू करने की मांग कर रही थी। खगेस ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में पेसा एक्ट लागू नहीं होने के कारण आदिवासियों के हितों का संरक्षण नहीं हो रहा है। अनुसूचित जनजाति बाहुल्य वाले इलाकों में आदिवासियों के अधिकारों के हनन के साथ-साथ शोषण एवं प्रताड़ना की शिकायतें बढ़ गई है। खगेस ठाकुर ने आरोप लगाया कि प्रदेश में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा नहीं हो रही है। इसलिए उन्होंने राज्य में आदिवासियों के हितों व अधिकारों की रक्षा के लिए और छग में पेसा एक्ट तत्काल लागू करने की मांग को लेकर जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में न्याय की फरियाद की है। इस जनहित याचिका की पैरवी कर रहे हाई कोर्ट के अधिवक्ता नीलकंठ मालवीय ने बताया कि उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका को निराकृत कर प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग को एक बड़ी राहत प्रदान की है। मालवीय ने कहा कि प्रदेश में पेसा एक्ट लागू हो जाने पर आदिवासियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होगी।
देश के पाँच राज्यों में पहले से लागू है पेसा कानून
पेसा का पूरा नाम पंचायत उपबंध है। भूरिया समिति की सिफारिशों के आधार पर यह सहमति बनीं की अनुसूचित क्षेत्रों के लिए एक केन्द्रीय कानून बनाना ठीक होगा। दिसंबर 1996 में पेसा कानून अस्तित्व में आया। इस कानून का मूल उद्देश्य यह था कि केन्द्रीय कानून में जनजातियों की स्वायत्तता के बिंदु स्पष्ट कर दिया जाए। जिसका उल्लंघन करने की शक्तियां राज्यों के पास न हो। कानून लागू होने के बाद भारत वर्ष के 10 राज्यों में यह अधिनियम लागू होता है लेकिन वर्तमान में पेसा कानून आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल, महाराष्ट्र व गुजरात में लागू है। छग अब पेसा कानून लागू करने वाला छठवां राज्य बन जाएगा। जानकारी के अनुसार इस अधिनियम की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें जनजातीय समाजों की ग्राम सभाओं को अत्यधिक ताकत दी गई है