
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। पंचकोशी धाम फणीकेश्वर नाथ की नगरी फिंगेश्वर में गुरु पूर्णिमा पर्व मौली माता मंदिर परिसर पर बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मलीन पंडित कमलेश्वर प्रसाद के चरण पादुका पूजन पश्चात व्यासपीठ से बोलते हुए पंडित दिनेश्वर प्रसाद शर्मा ने कहा मन को एकाग्र चित्त करना जीवन का सबसे मुश्किल काम है। प्रथम गुरु हमारे माता-पिता है जो हमें बोलने से लेकर अनेक प्रकार के गुणों से परिपूर्ण करती है। ज्ञान जिससे हमें जिससे मिले ग्रहण करना चाहिए। सत्संग हमें हमारे वास्तविक जीवन का दर्शन कराती है। जहां तक संभव हो सत्संग के स्थान पर मौन होकर कथा का रसपान करना चाहिए। जैसे ही जीवन में सद्गुरु का आगमन होता है। उसके बाद पूरे जीवन में बदलाव आना शुरू हो जाते हैं। सद्गुरु की कृपा से भक्त अपने गुणों को दूर कर एक सुखमय जीवन की शुरुआत कर सकते हैं। अपना भविष्य को संवारने का कार्य करते हैं ।राजा दशरथ को चौथे पन में गुरु के सानिध्य में पुत्रष्ट्ति यज्ञ के माध्यम से चार पुत्र की प्राप्ति हुआ। माता शबरी के जीवन में गुरु मतंग के आशीर्वाद से भगवान राम को शबरी की कुटिया तक आए और सबरी को मोक्ष प्रदान करते हुए नवधा भक्ति प्रदान किया। क्योंकि शबरी के जीवन में प्रेम का दर्शन था प्रदर्शन नहीं गुरु दर्शन करने काफी दूर-दूर तक भक्तजन पहुंचे थे। पूरे दिन सुबह से देर रात्रि तक आमंत्रित मानस मंडली के संगीतमय भजनों की प्रस्तुति होता रहा। जहां देर रात्रि तक भक्तगण भजनों के साथ बीच-बीच में थिरकते रहे आमंत्रित मंडलियों में सुर संगम मानस परिवार फिंगेश्वर, जागृति महिला मानस परिवार फिंगेश्वर, श्रीहरि महिमा मानस परिवार मुड़ागांव छुरा, शिव शंकर मानस परिवार लालपुर, जय बर्दे मानस परिवार बेलर जय हनुमान मानस परिवार सेंसर, प्रज्ञा मानस परिवार सोरिद आंगतुक सभी भक्तजनों के लिए भोजन प्रसादी भंडारे की व्यवस्था रखी गई थी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पंडित भागीरथी तिवारी भागवताचार्य अमन शर्मा भागवत आचार्य बजरंग शर्मा महेंद्र ठाकुर संत विश्वकर्मा संतु निषाद अनु निषाद घनश्याम हरित राधेश्याम यादव अजय राजवंशी किशन भंडारी बलदाऊ कश्यप पूरे कार्यक्रम का संचालन शिक्षक थानु राम निषाद ने किया।