
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। बरसात से पूर्व फिंगेश्वर विकासखंड की अंतिम छोर स्थित ग्राम लचकेरा में हजारों की संख्या में दूर देश से एशियन बिल स्कार्ट पक्षी पहुंचने लगी। गांव के अनेक बुजुर्गों ने बताया कि हमारे जन्म के पहले यह पक्षी ठीक बरसात शुरू होने के पूर्व प्रजनन के लिए दूरदेशी लचकेरा आते रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह पक्षी तो मेरे बाप दादा परदादा के जमाने से लचकेरा में मेहमान बन कर आ रहे हैं। दादा परदादा को भी इस बात की जानकारी नहीं है कि इन पक्षियों का लचकेरा में बसेरा बनाए जाने की सिलसिला बीते कितने दशकों से चल रहा है। किसानों का कहना है कि मेहमान पक्षी पूरी तरह से मांस भक्षी होते हैं और कीड़े मकोड़े के साथ घोंघा व मछली इनके आहार में शामिल है। इससे खरीफ की खेती कीट प्रकोप से सुरक्षित रहती है। इनके मल से कृषि भूमि को उर्वरा बनाने में सहायता मिलती है। ग्रामीण जन भी इन पक्षियों की अहमियत से अनजान नहीं है। इसलिए किसी ने यदि पक्षियों का शिकार किया और किसी ने यह देखकर गांव के चौपाल में इसकी जानकारी दे दी तो पक्षी मारने वाले को अर्थदंड अदा करना होता है। जबकि शिकार का पता बताने वाले को इनाम भी दिया जाता है। खरीफ की खेती को खराब करने वाले कीट व्याधि के दुश्मन और किसानों के दोस्त ओपन बिल स्कार्ट ग्राम लचकेरा का वातावरण गुंजता शुरू हो गया है। विकासखंड की अंतिम छोर ग्राम लचकेरा में मेहमान पक्षियों का आना ग्रामीण जन शुभ मानते हैं।
1000 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम
यह पक्षी एक साथ 850 से लेकर 1000 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम होते हैं। क्योंकि यहां समय इनके प्रजनन का होता है इसलिए यह एका एक समूह में चलते हैं। और उसी जगह ठहरते हैं जहां उन्हें अपने लायक वातावरण मिलता है। एक बार जिस जगह ठहरते हैं दोबारा उसी जगह पर आकर रुकते हैं। मेहमान पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। अक्टूबर के अंत में यह अपने मूल निवास के लिए उड़ जाते हैं।