गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। हिंदुओं का पवित्र श्रावण माह चल रहा है। और सभी शिवभक्त कर रहे हैं। इसी विषय पर पंचकोशी धाम फिंगेश्वर के पंडित भूपेंद्र धर दीवान ने सविस्तार शिव तत्व के बारे में लोगों को बताया व कहा की शिव आरंभ अंत और मध्य इन तीनों का ही प्रारंभिक केंद्र बिंदु है। शिव तत्व पृथ्वी की वह रहस्य है जो प्रकृति और पुरुष अंदर को मिटा कर उसकी एकरूपता कोई स्थापित करता है। शिव की ब्रह्म के रूप में सृष्टि का निर्माण विष्णु के रूप में उसमें जीवन का संसार और शंकर के रूप में तृप्ति का अंत करते हैं। इसलिए छात्रों में ब्रह्मा विष्णु और महेश का एक रूप प्रकट होना ही शिव कहा गया है। इसलिए शिव जानने के बाद कुछ भी जानना शेष नहीं रहता है। क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म राख धारण क्यों करते हैं। आओ जरा चिंतन करें इस संसार में जो कुछ भी आज है वह कल के लिए मात्र मात्र एक राख के ढेर से ज्यादा कुछ भी नहीं यहां तक कि हमारा स्वयं का शरीर भी एक मुट्ठी राख से ज्यादा और कुछ भी नहीं है जीवन का अंतिम और अमित सत्य रख रही है अतः आप ही प्रत्येक वस्तु का सर है। और इसी सार के तत्व को भगवान शिव अपने शरीर पर धारण करते हैं। भगवान शिव की भस्म कहती है कि किसी भी वस्तु का अभिमान मत करो क्योंकि प्रत्येक वस्तु एक दिन मेरे समान ही रख बन जाने वाली है। पंडित भूपेंद्र घर दीवान ने लोगों को सबसे श्रेष्ठ बातें यह कहीं है कि आपका बल आपका वैभव आपकी अकूत संपदा सब यहीं रह जाने वाला है प्रभु कृपा से जो भी आपको प्राप्त हुआ है उसे परमार्थ में परोपकार में पद कार्यों में और सेवा कार्यों में लगाने के साथ-साथ मिल बांट कर खाना सीखो यही मनुष्यता है यही दैवत्व तो है और यही जीवन का परम सत्य और जीवन की परंपरा भी है। हर समय ओम नमः शिवाय मंत्र का गुणगान करना शिव है।
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