
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूरी ग्राम सोरिद के गायत्री मंदिर के सभागार में हरियाली के ही दिन 17 जुलाई को अपराह्न 4:00 बजे जैविक कृषि एवं सर्व पंचगव्य विकास ट्रस्ट के आह्वान पर किसानों की बैठक ट्रस्ट के अध्यक्ष चंद्रशेखर हरित समाजसेवी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित की गई थी। आकस्मिक आह्वान पर ही क्या है – जैविक खेती यह जानने के लिए बड़ी संख्या में किसान उपस्थित हुए। बैठक की अध्यक्षता गांव के सम्मानित किसान इंदरमन सिन्हा ने की। जबकि विशिष्ट अतिथि की आसंदी पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष जगदीश साहू एवं ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष तेजराम साहू विराजमान थे। बैठक के प्रारंभ में गायत्री मां व शिव जी के ध्यान व पूजन के बाद अतिथियों का मंदिर ट्रस्ट के द्वारा स्वागत किया गया। स्वागत गीत के रूप में वेदराम नंदे द्वारा एक गीत “आओ मिलकर दशा सुधारें खेती और किसान की यह सीढ़ी है भारत मां के वैभव के निर्माण की” प्रस्तुत किया गया। इसके बाद प्रमुख वक्ता के रूप में मुख्य अतिथि ने उद्बोधन में बताया कि जैविक खेती हमारे पुरखे भी गोबर और गोमूत्र से करते थे और संतोषजनक भरपूर उपज प्राप्त कर लेते थे। परंतु आज जैविक कृषि वैज्ञानिकों ने और भी सरल बना दिया है और शुन्य की लागत से भरपूर व उत्पादन लेने का अद्भुत तरीका बता ही दिया है। जिसमें यूरिया डीएपी जैसे कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती जबकि रासायनिक खेती से धरती बंजर होती जा रही है। लागत मूल्य बढ़ती जा रही है पर्यावरण बर्बाद होते जा रहे हैं बीमारी बढ़ते जा रही है इसी सच्चाई को आज हम बताने आए हैं कि प्रयोग के तौर पर कम से कम रकबे में करके किसान भाई देखें। इसके बाद कृषक जगदीश साहू ने जो गांव के किसान हैं जो विगत 34 वर्षों से कर रहे हैं जिससे लाभ ही लाभ है और नुकसान कुछ भी नहीं है। उन्होंने इस वर्ष से साडे 4 एकड़ में जैविक खेती करने की घोषणा की। इसके बाद तेजराम साहू ने अपने उद्बोधन में बताया कि 1968 भारत में विदेशियों द्वारा यूरिया रासायनिक खाद का उत्पादन में चमत्कार दिखाकर रसायनिक खेती का प्रलोभन देकर आज किसानों को रासायनिक खेती के चक्कर में ला दिया है। परंतु आज किसान भी धीरे-धीरे रासायनिक खेती के नुकसान को समझ रहे हैं। इसी क्रम में गांव के ही एक समाजसेवी श्री नंदे ने बताया कि पंजाब प्रांत में रासायनिक खेती सबसे ज्यादा होती है। जिसके कारण वहां के कई गांव के गांव बंजर हो गया और लोग गांव छोड़कर भाग रहे हैं। पंजाब में ही सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज हैं। जहां से दिल्ली के लिए कैंसर नाम की ट्रेन चलती है। उन्होंने जैविक पद्धति से खेती करने की अपील की। अंत में जैविक कृषि ट्रस्ट के अपील पर 27 किसान भाइयों ने जैविक कृषि करने की घोषणा की। अंत में ट्रस्त के अध्यक्ष श्री हरीत ने 23 जुलाई रविवार को गौशाला फिंगेश्वर में 11:00 से 4:00 के बीच आयोजित जैविक कृषि प्रशिक्षण में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि जैविक ग्राम बरूला और सोने सिल्ली के किसान भी प्रशिक्षण में भाग लेंगे।