
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)।भाजपा द्वारा राजिम विधानसभा के लिए घोषित उम्मीदवार रोहित साहू के बारे में मात्र भाजपा ही नहीं जनसामान्य में भी उनकी पार्टी निष्ठा के बारे में तरह तरह के प्रयास लगाए जा रहे है। सालों से पार्टी का झंडा लेकर राजिम विधानसभा में विपरीत स्थिति के बाद भी भाजपा में निष्ठा रखने वालों को हर बार की तरह फिर नकारा जाना भाजपाईयों को नागवार नहीं लग रहा है। समर्पित, निष्ठावान भाजपाई कट रहे है कि अब तो तत्कालीक ताम-झाम बड़बोलापन, दिखावटी सक्रियता, तथा कथित बड़े बड़े नेताओं की जी हुजूरी ही टिकट प्राप्त करने का रास्ता बन गई है। भारतीय जनता पार्टी ने राजिम विधानसभा 2023 के चुनाव के लिए कभी कांग्रेस पार्टी में रहकर भाजपा के विरूद्ध वोट करने का काम करने वाले रोहित साहू जो 2018 में जोगी कांग्रेस से राजिम विधानसभा में प्रत्याशी रहे और चुनाव हार कर 2021 में भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश किया। भाजपा में जनसंघ के समय से पीढ़ी दर पीढ़ी जुड़े हुए नव जवान पार्टी के विषम परिस्थितियों में भाजपा के साथ खड़े हुए है। ऐसे कर्मठ कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है। पार्टी के वफादार लोगों को नजरअंदाज कर चंद महीने हुए पार्टी में प्रवेश करने वाले रोहित साहू को राजिम विधानसभा से प्रत्याशी बनाया जाना पार्टी के लोगों के लिए निराश करने वाला फैसला से मनोबल गिरने लगा है। पार्टी के अनुशासन के डर से नाराज कार्यकर्ता सार्वजनिक रूप से विरोध करने से बच रहे है लेकिन मानसिक रूप से विरोध में है मौन विरोध कहीं घातक न हो जाऐ। पार्टी के नेताओं ने जाति समीकरण के चलते रोहित साहू को प्रत्याशी बनाया जाने की बात कह रहे है। 2018 में भाजपा से संतोष उपाध्याय एवं कांग्रेस से अमितेष शुक्ल एवं जोगी कांग्रेस से रोहित साहू चुनाव मैदान मे थे तब जाति का मुद्दा नहीं था। आज अचानक जाति समीकरण का हवाला देकर जातिवाद को हवा देकर राजिम क्षेत्र के लोगों में जहर घोलने का प्रयास हो रहा है। पूर्व सांसद चंदूलाल साहू, डॉ. रामकुमार साहू, रामू साहू, रूपसिंग साहू, चन्द्रशेखर साहू जैसे अनेक साहू समाज से पार्टी के वरिष्ठ लोगों में से किसी भी को प्रत्याशी बनाया गया होता तो नाराजगी नहीं होती ? जाति समीकरण की बात भाजपा के लिए कही मुसीबत न बन जाये सांसद एवं जिला संगठन भी साहू समाज के पास लंबे समय से है। भाजपा के जातिगत समीकरण की चर्चा से अन्य समाज के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है जो भाजपा के लिए मुसीबत न बन जाये ? उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार नये नवेले भाजपा प्रत्याशी रोहित साहू के बारे में हाईकमान को नहीं बताया गया कि पार्टी में प्रवेश लिए हुए अठारह माह हुए दो दल को बाय बाय कर अब भाजपा में है ? शायद दिल्ली के नेताआें को मालूम होता तो टिकट नहीं मिलता ? राजिम के वरिष्ठ नेता का पत्ता काटने के लिए रोहित साहू को जिताऊ भाजपा का वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया गया। अंचल के भारतीय जनता पार्टी के आम कार्यकर्ता मौन है। विचारणीय मुद्दा है कि राजिम निवासी चंदूलाल साहू भाजपा से सांसद चुनाव के प्रत्याशी थे तब दोनों लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी से राजिम विधानसभा में भाजपा को कम वोट क्यों मिला ? राजिम का किला फतह करना है तो अनुसूचित जाति जनजाति एवं अल्पसंख्यक एवं अन्य पिछड़े व सामान्य वर्ग के वोट को साधना होगा साथ ही कट्टर कांग्रेसी वोटों को भाजपा के तरफ बदलने पर ही भाजपा परचम लहरा पायेगा अन्यथा जातिवाद के नाम पर कांग्रेस को हराने का सपना देखना मुश्किल है।