फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। जी-20 का शानदार आगाज और विश्व के सभी अतिथियों का अतिथि देव भवः की तर्ज़ पर स्वागत ने अतिथियों का मन मोह लिया।राजघाट में विश्व नेताओ की श्रद्धॉंजलि देने नतमस्तक सामूहिक तस्वीर से विश्व पटल पर भारत का सीना चौड़ा हुआ है।आज भारत ने जी 20 का 18 वें शिखर सम्मेलन का आगाज विश्व कुम्भ के रूप में करके प्रत्येक भारतीय का सिर ऊंचा उठाकर 56 इंच से भी चौंडी. छाती कर हरेक भारतीयों की गरिमा को बढाया है और यह सम्भव देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कारण हुआ है ।उक्त चर्चा करते हुये राजिम विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी रोहित साहु ने कहा की दो दिवसीय यह समिट दिल्ली स्थित नवनिर्मित ‘ भारत मण्डप’ में आयोजित अध्यक्षीय उद्बोधन में मोदी जी ने ढाई हजार वर्ष पुर्व स्तम्भ में अंकित प्राकृत भाषा में उल्लिखित शब्दों का अर्थ बतलाते हुए रकि मानवता का कल्याण व सुख सदैव सुनिश्चित किया जावे।प्रधानमंत्री ने चित्र रेखांकित करके प्राचीन भारत के मूलमंत्र वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को आगे बढाते हुए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की दिशा को अमल करते हुए तथा एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की संकल्पना को साकार करते हुए 55 देशों के समूह को अफ्रीकन युनियन कोजी 20 की स्थायी सदस्यता दिलवाई।
रोहित साहू ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अध्यक्षीय स्वागत भाषण में कहा कि इस वैश्विक कोविड 19 के उबलते दौर को जब विजय प्राप्त किया जा सकता है और जब रूस युक्रेन के इस अनवरत वर्ष भर से भी ज्यादा समय में विश्व के देशों के बीच पनपते अविश्वास की भावना को दरकिनार करते हुए इस पर भी विजय प्राप्त करने पर बल दिया है । और ऐसे समय में जहाँ भारत में विश्व के आधे से ज्यादा देशों के राष्ट्र प्रमुखों का जमावाडा. हो और विश्व बंधुत्व एवं विश्व कल्याण पर सार्थक चर्चा की शुरूवात की जा रही हो ऐसे संवेदनशील समय पर राहुल गांधी के द्वारा विदेश (युरोप के ब्रसेल्स) में जाकर भारत गांधी और गोड़से विजन के बीच की लड़ाई में कहकर देश की आलोचना करना समझ से परे और हास्यास्पद लगता है।
राहुल गांधी की इस वर्ष के इन 9 माह के भीतर यह उनका तीसरा विदेश यात्रा है इसी वर्ष ही ब्रिटेन और अमेरिका की यात्रा कर मोदी और भारत की अर्थ ब्यवस्था की आलोचना की थी तथा मोदीजी के 9 वर्ष के कार्यकाल में 22 देशों की यात्रा कर सिर्फ और सिर्फ आलोचना करने का ही कार्य किया है, जो घोर निन्दनीय है ।
श्री साहू ने आगे कहा कि इस जी-20 देशों में कुल 19 विकासशील एवं विकसित देश के साथ यूरोपियन देश जिसमें लगभग 50 देश आते हैं और अफ्रिकन युनियन जिसमें 55 देश आते हैं को मोदी जी के सफल प्रयास से सम्मिलित कर कुल 125 देशों का प्रतिनिधित्व भारत जैसे देश का करना विश्व गुरू की दिशा में आगे बढ़ना प्रतीत होता है । जहाँ पर विश्व बंधुत्व एवं विश्व कल्याण पर सार्थक चर्चा तथा आर्थिक व्यवपारिक, सतत विकास एवं जलवायु परिवर्तन पर गम्भीर चिन्तन मनन होगा | और विशेष रूप से गुलामी के प्रतीक अंग्रेजों के द्वारा प्रदत्त नाम इंडिया से भारत को फोकस करना निश्चित रूप से स्वाभिमान और स्वालम्बी एवं आत्मनिर्भर भारत होने को प्रदर्शित करता है।
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