जामनारा के जंगलों के बीच बसे मां बम्लेश्वरी के मंदिर में सजता है दरबार

डोंगरगांव (गंगा प्रकाश)। ज्ञात हो ये मंदिर राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखंड के ग्राम जामनारा के घने जंगलों के बीच से सन 2005 से विराजित देवी मां बमलेश्वरी का दरबार है जहां अंचल के हजारों श्रद्धालु क्वार और चैत्र दोनों नवरात्रि पर यहां अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और यहां उनकी मुरादे पूरी भी होती है,शारदीय नवरात्र में शहरों सहित पूरे अंचल के गांवों में देवी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है और मंदिरों में आस्था की जोत लोगों द्वारा प्रज्वलित की जाती है।कहा जाता है कि आज से 19 वर्ष पूर्व सन 2005 में ग्राम जामनारा की कविता यादव को देवी आना शुरू हुआ और वह जाम नारा को छोड़कर घने जंगल के बीच एक पेड़ के नीचे बैठकर अपनी तप साधना शुरू की और धीरे-धीरे यह बात पूरे अंचल में फैल गई फिर एक महीने के उपरांत उनके पति राजूराम यादव को भी देवी विराजमान हो गई तत्पश्चात उन्होंने अपनी तपोस्थली के रूप में इसी जगह झोपड़ी बनाकर मां की आराधना शुरू की फिर धीरे-धीरे श्रद्धालुओं का आना यहा शुरू हुआ और फिर वहां शीतला माता दुर्गा, काली मां, शिवजी, हनुमान, जी भानेश्वरी माता का मंदिर जनसहयोग से बनता गया।

नवरात्र के प्रथम दिन से ही यहां लोगों के आने का सिलसिला चालू हो जाता है जो नवमी तक चलता ही रहता है

इस दिव्य स्थान पर आने वालो में पूर्व विधायक भोलाराम साहू, छन्नी साहू के अलावा कई जनप्रतिनिधि भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। ग्रामीणों के मांग अनुसार यहां मंदिर पहुंच मार्ग के साथ ज्योति कलश के लिए कक्ष निर्माण और दुरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए भवन की मांग साथ ही मंदिर तक प्रकाश के लिए सोलर पैनल वाली विद्युत पोल की मांग की गई पर अब तक इस दिशा में किसी राजनीतिक दल की और से कोई प्रयास नहीं किया गया उल्लेखनीय है की छुरिया विकासखंड के ग्राम जामनारा के घने जंगलों के बीच विराजित माता की भूमि के लिए वन अधिकार पट्टे की भी मांग की जा चुकी है पर नतीजा सिफर ही रहा। इस दिव्य दरबार में दोनों नवरात्रि में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है जहां पथरीली रास्तों में से होकर घने जंगलों में विराजित मां बमलेश्वरी का दर्शन लाभ लेकर अपनी मुराद पूरी करते हैं।

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