
प्रकाश कुमार यादव
रायपुर(गंगा प्रकाश):- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।बीजेपी के बैकुंठपुर विधानसभा के उम्मीदवार भइयालाल राजवाडे़ के नामांकन में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भूपेश सरकार पर जमकर प्रहार किया हैं।इस दौरान उन्होंने दावा किया कि इस चुनाव के बाद जो परिणाम आएगा उसमें बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिल रहा है।नामांकन के बाद बीजेपी की सभा को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि क्या टेंपरेचर है भाई, भूपेश को खबर हो जाए, 40 दिन का राज बाकी है, 40 दिन बाद बोरिया बिस्तर बांध के जाना है, भूपेश को वापस जाना पड़ेगा ये छत्तीसगढ़ की जनता ने तय कर लिया है।गांव-गांव में एक ही नारा लग रहा है, अब नहीं सहिबो बदल के रहिबो। इसके अलावा पूर्व सीएम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया।उन्होंने शराब घोटाले, कोयले के दलाली और 600 करोड़ चावल में पीडीएस घोटाले का भी आरोप लगाया।रमन सिंह ने आगे कहा कि, छत्तीसगढ में गोठान बनाए 19-19 लाख रू गोठान के हिसाब से 13 सौ करोड़ गोठान में खा गया, भूपेश सरकार सिर्फ घोटाले की सरकार है. इस सरकार ने सिर्फ लूट किया है। झूठ बोलकर जनता के आंखों में धूल झोंक कर, जन घोषणा पत्र में क्या कहा था।भूपेश बघेल ने एक हाथ में गीता और एक हाथ में गंगा जल लेकर सौगंध खाया था।इस आदमी ने हमारी माता और बहनों के साथ छल किया. सीएम ने बोला था छत्तीसगढ़ में 7 दिन के अंदर शराब बंद करा दूंगा, बंद तो नहीं हुआ जबकि घर घर पहुंचा दी शराब. उसका बदला 17 तारीख को लेना है।घोटाला पर घोटाला हो रहा है जो पैसा केंद्र से आ रहा है जो पैसा माननीय मोदी जी भेज रहे हैं, उस पैसे का भी उपयोग भूपेश नहीं कर पाया,16 लाख परिवारों को आवास छीनने का अपराध भूपेश ने किया है।पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर पहुंचते ही खरवत में आयोजित आमसभा में पहुंचे जहां वो कार्यकर्ताओं से मिले उसके बाद उन्होंने नाराज नेताओं से मुलाकात कर उनकी तारीफ की। मंच पर आते ही पूर्व सीएम ने भूपेश सरकार को घोटालों की सरकार बताया और लोगों से कई बार नारे भी लगवाए। इस दौरान पूर्व सीएम पूरे आत्मविश्वास में नजर आए।जब उनसे सवाल किया गया कि भूपेश बघेल ने दोबारा किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा की है तो उन्होने कहा कि अब वो तमाम सर्वे रिपोर्ट देख चुके हैं कि कांग्रेस हार रही है।40 दिन का मुख्यमंत्री घोषणा भी करेगा तो कोई महत्व नहीं है।
कर्ज काफी की घोषणा पर घमासान
वन्ही दूसरी ओर किसानों की कर्ज माफी की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा पर छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है। सीएम भूपेश की इस घोषणा पर भाजपा ने सवाल उठाया तो मुख्यमंत्री ने आज इस पर पलटवार किया। बघेल ने कहा कि भाजपा अभी से विपक्ष में बैठने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गई है, इसलिए अभी से सवाल कर रही है। हम किसानों के लिए काम किए हैं और करते रहेंगे। इससे छत्तीसगढ़ मजबूत होगा। भूपेश के इस बयान पर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने कटाक्ष किया है। डॉ. रमन ने कहा कि किसने कितने झंडे गाड़े यह 3 दिसंबर को तय हो जाएगा।सीएम भूपेश ने कहा कि भाजपा अभी से विपक्ष में बैठने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गई है, इसलिए अभी से सवाल कर रही है। सीएम ने कहा कि भाजपा के लोगों को धन्यवाद। अभी भी वो सवाल कर रहे हैं तो विपक्ष में बैठने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। किसानों के लिए हमने काम किया है। किसान मजबूत होगा तो छग मजबूत होगा, इसलिए यह घोषणा की गई है। भाजपा की सरकार बनने पर गरीबों को आवास देने की डॉ. रमन की घोषणा पर बघेल ने कहा कि आवास हमने दे दिया है, केंद्र सरकार ने जो सर्वे किया था उनमें भी 47 हजार लोगों को हमने आवास की राशि दे दिया। सबको राशि दे दी गई है, इसके बाद हमारे सर्वे के हिसाब से 10 लाख लोग पात्र है उन्हे भी देंगे, कुल 17.5 लाख लोगों को आवास दिया जाएगा।
डॉ. रमन बोले- गरीबों को उनका अधिकार दिलाने के लिए आंकड़ों की नहीं सच्ची नीयत की जरुरत
मुख्यमंत्री बघेल ने अपने बयान में कहा कि भाजपा विपक्ष में बैठने की मानसिकता लेकर बैठने को तैयार हैं और उन्हें शंका है कि भाजपा 13 विधायकों का आंकड़ा भी मेंटेन कर पाएंगे या नहीं या उससे भी नीचे जाएंगे। इसके साथ ही भूपेश बघेल ने डॉ. रमन के पहली कैबिनेट में आवास देने की घोषणा पर प्रश्न उठाया कि रमन सिंह किस आधार पर आवास देगे, क्योंकि भारत सरकार ने न तो कोई आर्थिक सर्वेक्षण कराया है और न ही जनगणना कराई है।उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि ऐसे खोखले दावों से कुछ नहीं होता है, प्रदेश में चुनाव का बिगुल बज चुका है और जनता कांग्रेस से हिसाब करने के लिए तैयार है आगामी 3 दिसम्बर को तय हो जायेगा कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार और भाजपा के सुशासन में किसकी जीत होती है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने आगे कहा कि भूपेश बघेल पूछ रहे हैं हम किस आधार पर आवास देने की बात कर रहे हैं तो मैं उन्हें बता दूँ कि ग़रीबों को उनका अधिकार दिलाने के लिये आँकड़ों की नहीं सच्ची नीयत की ज़रूरत होती है बाक़ी जहां तक आवास का प्रश्न है तो मैं भूपेश बघेल को याद दिलाना चाहता हूँ कि यह वही 16 लाख आवास हैं जिसे आपकी सरकार ने गरीबों से छीन लिया था और भाजपा की सरकार बनते ही हम हर जरूरतमंद को पक्की छत देंगे।
भाजपा की पूर्ववर्ती रमन सरकार ने ठगा था छत्तीसगढ़ के किसान को?
15 साल रमन राज में छत्तीसगढ़ के किसानों को लगातार ठगा गया, बोनस के नाम पर वादाखिलाफ़ी की गई। चुनावी साल को छोड़कर कभी बोनस नहीं दिया गया। हालाकि छत्तीसगढ़ के किसान यह समझ चुके हैं कि कैसे चुनाव करीब आते ही भाजपाई किसान हितैषी होने का ढोंग करने लगते हैं। रमन राज के कुशासन और वादाखिलाफी के साथ ही मोदी सरकार के झूठे वादे और जुमले भी किसानों को याद है। 2014 में वादा किया था भाजपा ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सी-2 फार्मूले पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ एमएसपी देने का, 9 साल हो गए क्या हुआ उस वादे का? 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का वादा मोदी सरकार ने किया था लेकिन किए उल्टा, कृषि की लागत 3 गुना बढ़ा दी। पोटाश की कीमत 800 से बढ़कर 1700, कीटनाशक के दाम 4 गुना तक बढ़े हैं। ट्रैक्टर और कृषि यंत्रों में 12 से 18 प्रतिशत जीएसटी वसूली जा रही है, कृषि उपकरणों के स्पेयर पार्ट्स में तो 28 परसेंट तक बेरहमी से जीएसटी की वसूली जा रही है। उन्होंने कहा कि यूपीए के दौरान केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने 2004-05 से 2013-14 के बीच धान की एमएसपी में कुल 134 प्रतिशत की वृद्धि किया था, लेकिन मोदी सरकार ने 2003-04 से लेकर खरीफ सीजन 2023-24 के लिए घोषित समर्थन मूल्य अर्थात 10वीं बार में धान के समर्थन मूल्य में कुल वृद्धि मात्र 66.64 प्रतिशत बढाया है, इसका अर्थ साफ है कि मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार में धान की एमएसपी वृद्धि दर आधे से भी कम है। भूपेश सरकार ने तो भाजपाइयों के तमाम अड़ंगेबाजी के बावजूद, बिना किसी भेदभाव के छत्तीसगढ़ के किसानों को अपने संसाधनों से इनपुट सब्सिडी दे रही है और आगे भी देगी। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार द्वारा भूमिहीन कृषि श्रमिकों के लिए चलाई जाने वाली न्याय योजना का दूसरा उदाहरण देश में नहीं है।
प्रदेश में बिक रही नकली खाद
कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारों ने छत्तीसगढ़ के किसानों का हक मारा है। उनके अधिकारों को छीना है। शोषण किया है। उन्हें लूटा है। यही वजह है कि आज लगभग 23 साल बाद भी छत्तीसगढ़ के किसान परेशान और त्रस्त हैं। इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस सरकार और बीजेपी है। रमन सिंह ने किसानों को बोनस देने का वादा किया था, लेकिन अंतिम दो सालों का बोनस नहीं दिया। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकार बनने पर बोनस दिया जाएगा, लेकिन साढ़े चार बाद भी खुद को छत्तीसगढ़िया बताने वाली भूपेश सरकार ने किसानों को बोनस नहीं दिया। ये बातें आम आदमी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने मंगलवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं।
हुपेंडी ने कहा कि कांग्रेस ने जनघोषणा पत्र में किसानों से वादा किया था कि सिंचाई का रकबा बढ़ाएंगे। आम आदमी पार्टी पूछती है कि प्रदेश के किस कोने में सिंचाई का रकबा बढ़ा गया है। आज आलम यह है कि किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। किसानों की हितैषी बताने वाली सरकार को पता होना चाहिए कि नवा रायपुर में अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक किसानों ने आंदोलन किया। किसानों का दमन किया गया। एक किसान की मौत हो गई, बावजूद इसके सरकार के तरफ कोई बयान नहीं आया। उन्होंने कहा कि आज किसान परेशान है। फर्टिलाइजर का दाम बढ़ गया। प्रदेश में आज नकली खाद बेचा जा रहा है। आखिरकार किसके संरक्षण में पूरे प्रदेश में नकली खाद बेची जा रही है। वर्मी कंपोस्ट में रेत और मिट्टी मिलाई जा रही है। किसानों के ऊपर दबाव बनाकर जबरन दिया जा रहा है।
किसानों को दोनों पार्टियों ने धोखा किया
प्रदेश के किसानों के साथ दोनों राजनैतिक पार्टियों ने बारी-बारी से धोखा किया। धान खरीदी को राजनैतिक मुद्दा बना दिया गया है। कांग्रेस ने 2018 में छल-कपट और झूठ बोलकर सरकार बनाई। अब फिर विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही अब बीजेपी-कांग्रेस को किसान और धान की याद आ रही है। चुनावी साल होने के नाते दोनों राजनीतिक दल किसानों को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।भूपेश सरकार के गायब राशन की वसूली के लिए सख्ती के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। 23 लाख रुपए वसूलने के बाद भी 12 हजार क्विंटल चावल की वसूली नहीं हो पाई। सरकार सिर्फ राशन की वसूली के लिए सख्ती के दावे कर रही है लेकिन यह दावे हकीकत में खोखले हैं।
सिर्फ 64 क्विंटल चावल ही वसूले
रायपुर जिले के 142 राशन दुकानों से गायब हुए 18000 क्विंटल चावल में से सिर्फ 64 क्विंटल चावल ही वसूल सके हैं। इतना ही नहीं 269 क्विंटल शक्कर में से सिर्फ 105 कुंटल की वसूली हुई है। वहीं 303 क्विंटल नमक में से सिर्फ 94 क्विंटल की वसूली हुई है। उन्होंने कहा, करीब 86 क्विंटल का कोई रिकॉर्ड ही नहीं मिला। इस पर राशन दुकान संचालकों को राजस्व विभाग की तरफ से आरआरसी जारी की गई है। आरआरसी जारी तो गई की गई, लेकिन उसके बाद कोई सख्ती नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अब तक गड़बड़ी करने वालों पर आखिरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
15 वर्षों में रमन राज में 1 लाख करोड़ का हुआ घोटाला,PM मोदी कब करायेंगे जांच?
प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर रोक की बातें करते है लेकिन जब भ्रष्टाचार के मामले भाजपा से जुड़े हो तो ऐ मौन हो जाते हैं। अपने मित्र अडानी के घोटालों पर उनकी चुप्पी टूटने का इंतजार सारा देश कर रहा है। भाजपा इस पर मौन है।भाजपा की छत्तीसगढ़ में 15 साल सरकार थी इन 15 सालों में भ्रष्टाचार के अनेक नये रिकॉर्ड बने। रमन राज में 1 लाख करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। रमन के घोटालों की जांच के लिये और आय से अधिक संपत्ति की जांच की शिकायत भी पीएमओ में हुई थी। केंद्र में भाजपा की सरकार होने के कारण रमन सिंह के घोटालों की जांच नहीं हो रही है।छत्तीसगढ़ की जनता का मानना है कि भाजपा का नेता होने के कारण रमन सिंह को केंद्र सरकार का संरक्षण मिला हुआ है। देश भर में विपक्षी दलों की सरकारों, विपक्ष के नेताओं के ऊपर बिना किसी ठोस कारण के केंद्रीय एजेंसियां जांच के लिये पहुंच जाती है। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोटालों के पूरे तथ्य है फिर जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है? पीएम मोदी से छत्तीसगढ़ की जनता उनके 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के भ्रष्टाचारों की जांच का अनुरोध करते हैं। वैसे तो रमन और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के घोटाले की लंबी सूची है लेकिन हम प्रधानमंत्री मोदी से 6 घोटालो की जांच की मांग करते है। जिसमें सीधे मनी लॉड्रिंग हुई है और जो ईडी के जांच के दायरे में आता है। क्या प्रधानमंत्री रमन सिंह के इन भ्रष्टाचारों की जांच के लिये केंद्रीय एजेंसियों को भेजने का साहस दिखायेंगे?
गरीबों के राशन का महाघोटाला 36,000 करोड़ के नान घोटाले की जांच क्यों नहीं करवाते?
रमन सरकार ने गरीबों के राशन में डाका डाला। 36000 करोड़ का राशन घोटाला कर दिया। पीएम मोदी रमन सिंह के नान घोटाले की ईडी से जांच क्यों नहीं करवाते? क्या भाजपा दल का नेता होने के नाते ही उनका यह गुनाह माफ हो जायेगा। नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नान डायरी में आये। रमन सिंह बताते क्यों नहीं कि नान डायरी वाली सीएम मैडम कौन है? जिनके नाम से करोड़ो रुपये की एंट्री नान डायरी में है। नान घोटाला छत्तीसगढ़ के गरीबों के चावल में प्रभावशाली लोगों द्वारा की गयी डकैती थी। भाजपा और रमन सिंह नान घोटाले की जांच रोकना चाहते है इसीलिये तो कांग्रेस सरकार बनने के बाद जब नान घोटाले की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया गया तो तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट में पीआईएल लगाकर स्टे लेकर आ गये। किसको बचाने के लिये कौशिक ने एसआईटी पर रोक लगाने स्टे लिया था?
चिटफंड घोटाला
रमन राज में छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटने का खेल सरकारी संरक्षण में हुआ। प्रदेश की जनता के 6000 करोड़ से अधिक की रकम चिटफंड कंपनियों ने डकार लिया था। इन चिटफंड कंपनियों को तत्कालीन भाजपा सरकार और सरकार में बैठे हुये लोगों की संरक्षण था। खुद मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह, उनके सांसद पुत्र अभिषेक सिंह, उनकी पत्नी श्रीमती वीणा सिंह, भाजपाई मंत्री सांसद व प्रदेश के आला अधिकारी ‘रोजगार मेलों’ के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। 6000 करोड़ रुपये के इस घोटाले की ईडी से जांच के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और ईडी के डायरेक्टर को जांच के लिये पत्र लिखा था। केंद्र सरकार रमन सरकार के घोटाले की जांच क्यों नहीं करवाती है? आखिर यह तो राज्य की जनता से सीधी लूट थी और इसमें रुपयों का अवैध लेन-देन भी हुआ है फिर जांच से परहेज क्यों?
प्रधानमंत्री रमन राज के शराब घोटालों की जांच कब करवायेंगे?
तत्कालिन डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच शराब ठेकेदारों से मिलीभगत कर लगभग 4400 करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार किया था। रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था। जिस तरह दिल्ली उप मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है वे जेल में है। ऐसे ही नीति परिवर्तन के लिये रमन सिंह की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिये।
प्रदेश के आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किये जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किये उनके उत्पाद को IMFL (इंडियन मेड फॉरेन लिकर) की कैटेगरी में शामिल करते हुऐ शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया जाकर इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गयी शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचने का कार्य करते हुए कई सौ करोड़ रूपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।रमन सरकार द्वारा मदिरा के सेल प्राईज फिक्सेशन में देशी शराब के निविदाकर्ता/लाइसेंसी को वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में 60 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक 50 प्रतिशत का मुनाफा प्रदान किया गया जो कि अन्य राज्यों से ढाई गुना अधिक था। सीएजी ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। रमन सरकार द्वारा देशी/विदेशी मदिरा के निविदाकर्ताओं को अत्यधिक मुनाफा दिए जाने के कारण वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य विदेशी शराब के रिटेलर्स को 946.79 करोड़ तथा इसी अवधि में देशी शराब के रिटेलर्स को 567.13 करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाया गया। तत्कालीन आबकारी विभाग ने विभिन्न निविदाकर्ताओं/लाइसेंसी शराब ठेकेदारों के साथ आपराधिक षड़यंत्र करते हुए विक्रय कर निर्धारण में कुछ शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने छत्तीसगढ़ राज्य के मदिरा की फुटकर बिक्री अनुज्ञापनों के व्यवस्थापन नियमों में दर्शित लाइसेंसी शर्तों में गलत परिवर्तन कर अवैध रूप से देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर बिक्री मूल्य निर्धारण करने के दौरान वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर निविदाकर्ताओं को अधिक मुनाफा प्रतिशत प्रदान कर अनुचित लाभ प्रदान किया गया जिससे राज्य शासन का लगभग 4400 करोड़ रूपयों की आर्थिक क्षति कारित किया गया।
पनामा पेपर वाले अभिषेक सिंह की जांच क्यों नहीं करवाती केंद्र सरकार?
प्रधानमंत्री देश का कालाधन विदेशों में रखने वालों की सूची पनामा पेपर में छत्तीसगढ़ के अभिषेक सिंह का भी नाम है। विदेशों से कालाधन वापस लाने की दुहाई देकर सरकार में आये हैं। छत्तीसगढ़ वाले अभिषेक सिंह की जांच क्यों नहीं करवाते है? इस अभिषेक सिंह का नाम छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र से मिलता है, इसका पता भी डा. रमन सिंह के कवर्धा निवास का पता है।कांग्रेस अभिषेक सिंह और रमन सिंह के विदेशी बेनामी निवेशों की जांच की मांग करती है। अभिषेक सिंह के मामले का खुलासा आई.सी.आई.जे. द्वारा किया गया। पनामा पेपर्स से पहले अभिषेक सिंह के विदेशी निवेश की जांच होनी चाहिये। आई.सी.आई.जे. की वेबसाइट में ‘‘म.नं. 05, विंध्यवासिनी वार्ड, रायपुर-नांदगांव मार्ग कवर्धा, जिला कबीरधाम’’ दिया गया है। अभिषेक सिंह के पिता रमन सिंह का पता विधानसभा निर्वाचन के समय उनके शपथ पत्र में ‘‘म.नं. 05, रायपुर-नांदगांव मार्ग कवर्धा, जिला कबीरधाम’’ दिया गया है। अभिषेक सिंह के द्वारा अपना नामांकन में पता फार्म में यही भरा गया है। यही पता आई.सी.आई.जे. द्वारा उजागर लिंक्स में भी दिखता है। इन सारे महत्वपूर्ण तथ्यों के बावजूद भी केन्द्र सरकार रमन सिंह और अभिषेक सिंह के कालेधन के निवेश की जांच क्यों नहीं करवा रही?
छत्तीसगढ़ में 15 साल में गौमाता के नाम पर भाजपा नेताओं ने किया 1677 करोड़ का घपला
भाजपा की रमन सरकार ने गौमाता के नाम पर 1677 करोड़ का घोटाला कर दिया गया। रमन राज में गौशालाओं के नाम पर 1677.67 करोड़ रुपये भाजपाइयों ने गौशाला के नाम पर डकारा। रमन राज में 15 साल में 17000 से अधिक गायों की मौतें भूख से, बिना चारा पानी के तड़प कर हुई। 15 साल तक गौशालाओं को प्रतिदिन आहार के नाम पर 115 गौशालाओं को प्रतिदिन 28 लाख 75 हजार रुपये से अधिक राशि दिया जाता था। इसकी कुल राशि होती है एक साल में 1 अरब 4 करोड़ 93 लाख 75 हजार, 15 साल में 1560 करोड़ का गौशालाओं में चारा के नाम पर दिया गया।20 हजार रुपये पशुओं की दवाइयों के लिए हर माह दिया जाता था। प्रत्येक गौशाला को एक साल में 2 लाख 40 हजार रुपया दिया गया। 115 गोशाला को एक साल दवाई के नाम से 2 करोड़ 76 लाख रुपये 15 साल में 41.5 करोड़ रुपये के करीब दिया गया था। शेड निर्माण, बोरवेल, बिजली व्यवस्था के अलावा अन्य खर्चों के नाम से 76 करोड़ रुपये बंदरबाट किया। गौशाला को लगभग 5 से 10 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित किया गया। 15 साल में लगभग 1000 एकड़ से अधिक के जमीन, भाजपा नेताओं ने गौशाला के नाम से लिया और उसका निजी उपयोग किया। स्वयं को गौसेवक बताने वाली भाजपा गौमाता के नाम पर घपला करने वालों पर कार्यवाही कब करेगी? प्रधानमंत्री जी आपकी ईडी इस घोटाले की जांच क्यों नहीं करती है?
इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक के गुनाहगार भाजपा नेताओं पर कब कार्रवाई करेगी?
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 22000 से अधिक खातेदारों का 54 करोड़ रुपये का गबन हो गया। इस बैंक के घोटालेबाजों से भाजपा की तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों ने घूस की रकम लिया था। मुख्य आरोपित ने अपने नार्को टेस्ट में रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, रामविचार नेताम को पैसे देना स्वीकार किया था। गरीबों के रकम में घोटाले के इन आरोपित भाजपा नेताओं को भाजपा क्यों संरक्षण दे रही है? प्रधानमंत्री मोदी को इसका जवाब देंना चाहिए?
छ.ग. : समाज कल्याण विभाग में हुआ था 1 हजार करोड़ का घोटाला
मामला निशक्तजन स्त्रोत संस्थान से जुड़ा हुआ था और यह घोटाला रमन सिंह के शासन काल में हुआ है। इस संस्थान के हर जिले में कार्यालय और हर कार्यालय में 18-20 से ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती कर लाखों रुपये का वेतन निकाला गया, जबकि कार्यालय कहीं था ही नहीं।यह खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के जरिए हुआ है। इस घोटाले के खुलासे की कहानी भी रोचक है। रायपुर निवासी कुंदन सिंह समाज कल्याण विभाग के राज्य निशक्त जन स्त्रोत संस्थान में संविदा कर्मचारी थे। उन्होंने अपने आपको स्थायी करने के लिए समाज कल्याण विभाग को आवेदन दिया था। तब उन्हें यह जानकारी दी गई कि वह समाज कल्याण विभाग के नहीं, बल्कि पीआरआरसी के स्थायी कर्मचारी हैं और उनका नियमित रूप से वहीं से वेतन जारी हो रहा है। यह पता चलने पर कुंदन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली। तब उन्हें पता चला कि रायपुर में मुख्यालय और सभी जिलों में जिला कार्यालय हैं, जिनमें 18 से 20 कर्मचारी तैनात हैं।
बाद में यह खुलासा हुआ कि अधिकारियों ने सांठगांठ कर कर्मचारियों की नियुक्ति कर एक हज़ार करोड़ का घोटाला किया था।
सात आईएएस अफसरों की संलिप्तता का था शक
बताते चले कि इस मामले में 12 अधिकारियों के नाम सामने आए थे, जिनमें सात आईएएस हैं।जिसमे आलोक शुक्ला, विवेक डांड, एन के राउत, सुनील कुजूर, बी एल अग्रवाल, पीपी सोती, समेत सतीश पाण्डे, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी हरमन खालखो, एम एल पांडेय, पंकज वर्मा का नाम सामने आया था,यह घोटाला जिस समय हुआ, उस समय समाज कल्याण मंत्री रेणुका सिंह थीं, ज्ञात हो कि पीआरआरसी की स्थापना निशक्त लोगों के लिए उपकरण बनाने और उपलब्ध कराने के नाम पर की गई थी, मगर इस संस्थान ने फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन का भुगतान कर बड़ा घोटाला किया था,15 साल रमन सरकार का नारा रहा कि खाओ और खाने दो। जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए कहते रहें कि न खाऊंगा न खाने दूंगा। भ्रष्टाचार, घोटाले और कमीशनखोरी के रमन सिंह सरकार के 15 साल कभी नहीं भूलेगा छत्तीसगढ़। एनजीओ के माध्यम से प्रदेश के लाखों करोड़ रुपये सरकार ने बर्बाद कर दिए।
भाजपा करोड़ो का रतनजोत घोटाला कर लूटते रही छत्तीसगढ़ को
छत्तीसगढ़ में भाजपा रमन सरकार के दौरान “डीजल नहीं अब खाड़ी से-डीजल मिलेगा बाड़ी से”का नारा देकर करोड़ों का घपला किया गया। इसी तरह के एक मामले में रतनजोत की फर्जी खेती और उत्पादन दिखाकर एक करोड़ दस लाख रुपये के घोटाले के मामले में दो लोगों को अंबिकापुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कृषि विभाग के तत्कालीन अधिकारी आर के कश्यप पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के ओएसडी गिरफ्तार आरोपियों लोगों में शामिल था। इसके साथ ही कृषि विभाग के सर्वेयर राणा प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था। पूरा प्रकरण 2009 का है। प्रकरण में आरोप था कि रतनजोत का उत्पादन बटवाही गांव के समीप गांव में मनरेगा और फूड फार वर्क से दर्शाया गया था और यह उत्पादन पूरी तरह से फर्जी था। एक करोड़ दस लाख रुपये कागज में ही खर्च कर घपला किया गया हैं इस मामले को लेकर कांग्रेस वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने विधानसभा में सवाल भी लगाया था।
देखिए रमन और उनके मंत्री मंडलीय सहयोगियों के घोटालों की सूची
1. 36000 करोड़ का नान घोटाला।
2. पनामा पेपर घोटाला।
3. मोवा धान घोटाला।
4. कुनकुरी चावल घोटाला।
5. आंखफोड़वा कांड।
6. गर्भाशय कांड।
7. नसबंदी कांड।
8. डीकेएस घोटाला।
9. शिवरतन शर्मा के भतीजे द्वारा किया गया धान परिवहन घोटाला।
10. अवैध पेड़ कटाई।
11 .पोरा बाई कांड।
12 .तत्कालीन शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पत्नी की जगह कोई और महिला बैठी परीक्षा देने।
13 .फर्नीचर घोटाला।
14 .विज्ञान उपकरण खरीदी में घोटाला।
15. 4400 करोड़ का आबकारी घोटाला।
16 .1667 करोड़ गौशाला के नाम पर चारा, दवाई एवं निर्माण में किया घोटाला।
17 .बीज निगम में दवाइयां, बीज एवं कृषि यंत्रों की खरीदी में किया गया घोटाला।
18. स्टेट वेयर हाउस के गोदामों के निर्माण में घोटाला।
19. स्वास्थ्य विभाग में मल्टी विटामिन सिरप में घोटाला।
20 .जमीन घोटाला।
21. झलकी घोटाला (बृजमोहन अग्रवाल)।
22. परिवहन चेक पोस्ट पर घोटाला।
23 .मोबाईल खरीदी में घोटाला।
24. बारदाना घोटाला।
25 .भदौरा जमीन घोटाला (अमर अग्रवाल)।
26. पुष्प स्टील घोटाला।
27. चौबे कॉलोनी जमीन घोटाला।
28 .इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला।
29. स्काई वॉक घोटाला।
30. एक्सप्रेस-वे घोटाला।
31. बिलासपुर सकरी बायपास घोटाला।
32 .तेंदुपत्ता खरीदी घोटाला (300 करोड़)।
33 .चिटफंड घोटाला 6000 करोड़ का।
34 .रतनजोत घोटाला।
35.एक हजार करोड़ रुपए का समाज कल्याण विभाग में एन जी ओ घोटाला
कर्ज में डूबे छत्तीसगढ़ पर राजस्व से 106% से अधिक कर्ज छत्तीसगढ़ पर राजस्व से 106% अधिक कर्ज, भूपेश सरकार ने में 54 हजार 491.68 करोड़ कर्ज लिया, पूर्व की रमन सरकार ने भी छोड़ा था 41 हजार करोड़ का बोझ
छत्तीसगढ़ सरकार सरकार ने पिछले पांच साल में 54 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है। अब सरकार पर ऋण भार अनुमानित राजस्व आय का 106% हो गया है। मतलब, जितनी आय संभावित है उससे कहीं अधिक कर्ज है। बजट 2021-22 के मुताबिक प्रदेश में 79 हजार 325 करोड़ रुपए की कुल राजस्व प्राप्तियां अनुमानित हैं। कर्ज की यह मात्रा छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पाद (GDP)का 22% होता है।
छत्तीसगढ़ सरकार पर 82,125 करोड़ रुपये का कर्ज है, 2000 के बाद से लिए गए कुल ऋण का 66.35% कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद था
2019 से जनवरी 2023 तक सरकार ने 54,491.68 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जो छत्तीसगढ़ गठन के बाद से राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुल ऋण का 66.35 प्रतिशत है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधायकों द्वारा पूछे गए एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए थे।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा को बताया था कि उनकी सरकार ने 2000 (छत्तीसगढ़ के गठन) से जनवरी 2023 तक सामूहिक रूप से 1.05 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया है।उन्होंने कहा था कि कुल राशि में से 28,096 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है जबकि 82,125 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है।बघेल ने आगे कहा था कि 2019 से जनवरी 2023 तक सरकार ने 54,491.68 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जो छत्तीसगढ़ गठन के बाद से राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुल ऋण का 66.35 प्रतिशत है।
54,491.68 करोड़ रुपये में से 39,080 करोड़ रुपये का बाजार ऋण भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से, 3,783.56 करोड़ रुपये राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से और केंद्र सरकार की मदद से रुपये का ऋण लिया गया। एशियाई विकास बैंक, विश्व बैंक, जीएसटी सहित अन्य से 11,628.12 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया।
बघेल भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) विधायक प्रमोद शर्मा द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे । चंदेल और शर्मा द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए, बघेल के जवाब में कहा गया कि 2019 से हर महीने औसतन 460 करोड़ रुपये का ब्याज दिया जा रहा है।
शर्मा द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए ब्याज के 7,2225.05 करोड़ रुपये में से 4,233.00 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और शेष 2,989.05 करोड़ रुपये का भुगतान किये जाने का अनुमान है। जवाब में आगे कहा गया है कि 1 नवंबर 2000 (मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ का गठन) को मध्य प्रदेश से 4,686 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी।