गन्ने के मंडप में तुलसी व शालिग्राम का हुआ विवाह, शुभ और मांगलिक कार्यक्रम कि शुरूआत

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। देवउठनी एकादशी पर्व के साथ देवी-देवताओं के जागरण के साथ ही सभी शुभ कार्य शुरू हो गए है। हिंदू पंचाग के मुताबिक इस साल देवउठनी 23 नवंबर को मनाई गयी। देवउठनी एकादश्ज्ञी दीपावली के 11 दिन के बाद मनाई जाती है। जिसके चलते बुधवार सुबह से ही बाजार में गन्ने की बिक्री प्रारंभ हो गई थी। पुराना बस स्टैण्ड, नया बस स्टैण्ड, रानी श्यामकुमारी चौक, शिवाजी चौक, बोरिद मोड़ आदि अन्य स्थानों पर गन्ने की बिक्री हो रही थी। 50 से लेकर 80 रूपए जोड़ी तक गन्ने के दाम बताया जा रहा था। बता दे कि कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। यह माना जाता है कि चातुर्मास खत्म होने के बाद इस सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु और समस्त देवी देवता जाग जाते है। इस चार माह में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते है। यही कारण है कि देवउठनी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वहीं बताया गया कि देवउठनी एकादशी तिथि की शुरूआत 22 नवंबर रात 11.03 मिनट पर हुई और इसका समापन 23 नवंबर रात 9.01 मिनट तक रहा। ऐसे में उदया तिथि के कारण देवउठनी एकादशी व्रत 23 नवंबर 2023 को ही मनायी गई। पंडितों के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित की गई भगवान विष्णु को चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक लगाएं गए। दीपक जलाने के साथ प्रसाद में तुलसी की पत्ती डाली। इसके अलावा तुलसी के पौधे के चारों ओर गन्ने का तोरण बनाएं गए रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं और तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाए। तुलसी पूजा व आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। देवउठनी एकादशी के साथ ही वैवाहिक मुहुर्त शुरू हो जाएंगे और शहनाइयां बजने लगेगी। हालांकि इस वर्ष नवंबर में शादी के मात्र 3 मुहुर्त है और दिसंबर में 7 है। इस साल 10 दिन मुहुर्त बचे है जिसमें अधिकांश दिनों बड़ी संख्या में शादियॉ होगी। इसकी हलचल शुरू हो गई है। नवंबर माह में 23, 28 और 29 को शादी के लिए शुभ मुहुर्त है। इसके अलावा दिसंबर में 4,5,7,8,9,13 और 15 को शुभ मुहुर्त है।

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