बच्चों को ज्यादा मोबाईल एवं टीवी का उपयोग न करने दे, आटिज्म बीमारी का रहा है खतरा-डॉ. शाह

गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। इन दिनों बच्चों में टीवी देखने एवं मोबाईल चलाने का शौक तेजी से बढ़ रहा है। इसमें कन्ट्रोल न सिर्फ जरूरी बल्कि युवा पीढ़ी को जीवन में सफलता के सोपान गढ़े में प्रारंभ से इस ओर गंभीरता से ध्यान देना ही चाहिए। नगर के शाह नर्सिंग होम के डॉ. दिलीप शाह ने बताया कि बच्चों में आटिज्म (आत्मकेन्द्रित) नामक बीमारी बीते सात आठ सालों में तेजी से बढ़ रही है। यह बीमारी पहले केवल विदेशों में थी लेकिन अब भारत में भी तेजी से पांव पसार रही है। डॉक्टर शाह ने बताया कि इस बीमारी की प्रमुख वजह लोगों के लाईफ स्टाईल में परिवर्तन आना है। बच्चें ज्यादा टीवी देखते है या मोबाईल में लगे रहते है इस वजह से उन्हें एक्स्पोजर मिल रहा है। इस कारण से यह बीमारी अधिक फैल रही है। बीमारी से बचाव एवं उपचार के लिए सावधानी रखना और डायग्नोसिस मुख्य उपाय है। डॉ. शाह ने बताया कि ऑटिज्म के अंतर्गत ऐसे बच्चे आते है जो सही बोलते नहीं है और जिन्हें व्यवहार संबंधी समास्या होती है। यह समस्या बच्चें में डेढ़ से दो साल के भीतर दिखना शुरू हो जाती है। इसका इलाज जितना जल्दी हो सके शुरू किया जाना चाहिए। ऑटिज्म थेरेपी का इलाज महंगा जरूर है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं है। आम आदमी इसे एफर्ट कर सकता है। इसके पीछे वजह प्रत्येक पेशेंट या बच्चे को अलग से ट्रीटमेंट देना है। इसका प्रारंभिक स्टेज में ही उपचार होना बेहतर है टीवी मोबाईल से बच्चे दूर रहे तो ही ठीक है। बच्चों के चिकित्सक डॉ. दिलीप शाह ने बताया कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश में एक दो जगह चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर खुले है लेकिन यह नाकाफी है। राजनांदगांव सेंटर भगवान भरोसे है। बीमारे से निपटने समाज को जागृत होकर आगे आना होगा तभी यह समस्या कम हो पाएगी। डॉ. शाह ने बताया कि ऑक्यूपेशनल थेरेपी का एक भी कॉलेज छत्तीसगढ़ में नहीं है जबकि पड़ोसी राज उड़ीसा में शानदार कॉलेज बना हुआ है। यह आटिज्म पीड़ित बच्चों को काफी मदद करता है। शासन से अपेक्षा है कि ऐसे बच्चों के लिए आवासीय स्कूल खोलें मॉ-बाप भी बच्चों की और ध्यान दें शासन को और भी दो-तीन सेंटर खोलना चाहिए।

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