श्रीराम मंदिर में रामलला, विश्व में सनातन संस्कृति का सूर्योदय-चंदूलाल साहू

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)।   अंचल सहित पूरे देश के गांव गांव में अक्षत चांवल बांटकर रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी का आमंत्रण देने का अभियान 1 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है। इस अवसर को हमें चिरस्मरणीय बनाना है। पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कहा कि राम हमारी प्रेरणा, पहचान और हमारी अस्मिता है। प्रभु श्रीराम लगभग 500 वर्षो के संघर्ष के पश्चात् 22 जनवरी को जन्म स्थान पर बन रहे भव्य मंदिर में पुनः विराजमान होंगे। उन्होंने बताया कि धर्म की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष सदैव से होता आया है। कभी कभी सृजन के लिए यह आवश्यक भी होता है। श्रीराम जन्मभूमि के लिए 76 बार विकट संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की थी। 25 पीढ़ियों के बलिदान, त्याग और समर्पण के प्रतिफल स्वरूप प्राप्त इस भव्य आयोजन की साक्षी वर्तमान की पीढ़ी बनेगी, जिन्होंने वर्तमान के संघर्ष और विजय को प्रत्यक्ष देखा है। अयोध्या में केवल राम मंदिर की ही नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है। पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कहा कि संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का सूर्योदय हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि का संघर्ष विश्व का सबसे लंबा संघर्ष है। सबसे बड़ा आंदोलन राम मंदिर के निर्माण के लिए ही किया गया जो 35 वर्ष तक अनवरत चला और लगभग 16 करोड़ रामभक्तों ने इसमें प्रत्यक्ष भाग लिया। उन्होंने कहा कि जिस उत्साह से दो वर्ष सकल हिन्दू समाज ने मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में हिस्सा लिया उससे दुगुने उत्साह से वो प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुआ हुआ है। आगामी 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन संपूर्ण विश्व के 5 लाख से अधिक मंदिरों में संपन्न होने वाले कार्यक्रमों के लिए 12.5 करोड़ों से अधिक परिवारों को श्रीराम जन्मभूमि में पूजित पीले अक्षत चांवल देकर निमंत्रित किया जा रहा है। श्री साहू ने जन जन से 22 जनवरी को इस युग का सबसे महत्वपूर्ण, चिरस्मरणीय दिवस के रूप में युगों युगों तक याद किया जाने वाले बनाने तन मन धन से जुट जाने की अपील की है।

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