“विष्णु”सरकार के एक माह बीत गए आखिर मोहम्मद अकबर का “मुनीम” श्रीनिवास राव और उसकी “बसूली गैंग”को क्यों झेल रही हैं सरकार?

अब तक कैम्पा मद के 5000 हजार करोड़ रुपए की लूट मचाने बाले मोहम्मद अकबर का “मुनीम” और उसका गिरोह वन विभाग में हैं सक्रिय

छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णुदेव करने जा रहे बड़ा प्रशासनिक बदलाव? अनेक सिकरेट्री, कलेक्टर,एसपी बदलेंगे ?

रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में बड़ी प्रशासनिक उठापटक की हलचल तेज हो गई है। सरकार ने कल सामान्य प्रशासन विभाग से अफसरों का ग्रेडेशन लिस्ट मंगाया है। इसी के हिसाब से प्रशासनिक अधिकारियों का ट्रांसफर किया जाएगा। पता चला है, इनमें बड़ी संख्या में मंत्रालय के सिकरेट्री, जिलों के कलेक्टर, एसपी, निगम कमिश्नर, जिला पंचायत सीईओ और बोर्ड निगम आयोगों के एमडी, सीईओ शामिल होंगे। हो सकता है, लिस्ट 50 से उपर चली जाए।किंतु वन विभाग मोहम्मद अकबर की पूरी की पूरी बसुली गैंग आज भी सक्रिय हैं।इस की प्रशासनिक सर्जरी और कैम्पा मद की राशि के पांच हजार करोड़ की लूट मचाने वाले श्रीनिवास और उसका पूरा गिरोह के खिलाफ जांच कब होगी और इन्हे कब हटाया जाएगा बड़ा सवाल बनते जा रहा हैं। गौरतलब हो कि बीजेपी को सत्ता में आए आज एक महीने हो जाएंगे। सरकार बदलने के बाद बड़े स्तर पर सिर्फ एक पोस्टिंग हुई है। सिकरेट्री टू सीएम पी दयानंद की। बाकी सीएम के दो-तीन ओएसडी अपाइंट हुए हैं। इसके अलावा कुछ नहीं। जबकि, पिछली सरकार में सरकार बदलने के दूसरे दिन ही डीजीपी, खुफिया चीफ, सीपीआर को हटा दिया गया था। और दो दिन बाद पहली जंबो सूची 58 आईएएस अफसरों को निकली थी, जिसमें 22 जिलों के कलेक्टर बदल गए थे। मगर सीएम विष्णुदेव जल्दी में नहीं है। सोच समझकर पोस्टिंग की लिस्ट तैयार की जा रही है। ठीक उसी तरह जिस तरह मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया गया। मंत्रियों को देर से विभाग मिला मगर उस पर किसी ने उंगली नहीं उठाई। सीएम सचिवालय में पोस्टिंग सबसे पहले विभागों के सिकरेट्री पर नजर डालें तो पिछली सरकार के कुछ सिकरेट्री को सरकार हटाने जा रही है। खासकर जिन बड़े विभागों में एडिशनल चीफ सिकरेट्री और प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल के अफसर होते थे, वहां नया प्रयोग करते हुए वहा सिकरेट्री पोस्ट किए जाएंगे। ये प्रयोग रमन सरकार की तीसरी पारी में भी हुआ था, जब कई स्पेशल सिकरेट्री लेवल के अधिकारियों को विभागीय सचिव की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। फिलहाल सिकरेट्री लेवल पर आईएएस अफसरों की कोई दिक्कत नहीं है। सूबे में इस समय तीन दर्जन से अधिक सचिव हैं। सो, विभागों के सचिवों में भी बड़ा बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री का सचिवालय भी अभी कंप्लीट नहीं हुआ है। वहां सिर्फ एक सिकरेट्री की पोस्टिंग हुई है। वहां तीन-चार सिकरेट्री और पोस्ट किए जाएंगे। पिछली सरकार में प्रताड़ित और पांचों साल हांसिये पर रहे एक और आईएएस को आजकल में सीएम सचिवालय में पोस्ट किया जा सकता है।कलेक्टरों की बड़ी लिस्ट उधर, कलेक्टर, एसपी, निगम कमिश्नर और जिपं सीईओ में भी काफी परिवर्तन किया जाएगा। इनमें दो दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए जाएंगे। कलेक्टरों के ट्रांसफर को लेकर सरकार बड़ी उलझन में है। चूकि जिसकी सरकार होती है, कलेक्टर उसी के इशारे पर कार्य करते हैं। सो, जिस जिले में मंत्री, मिनिस्टर जा रहे, पहली मांग यही आ रही…कलेक्टर को बदलो, एसपी को हटाओ। सरकार अब एक साथ सभी 33 जिलों के कलेक्टर, एसपी को तो हटा नहीं सकती। ऐसे में, सरकार के रणनीतिकारों को लिस्ट तैयार करने में बड़ी दिक्कत जा रही है। एसपी में भी च्वाइस सरकार को समझ में नहीं आ रहा। पांच साल में पोलिसिंग खतम हो गई है। 33 में से अधिकांश एसपी के खिलाफ काफी शिकायतें हैं।

मोहम्मद अकबर ने वन विभाग के पैसों से सभी ज़िलों में बनवाया मस्जिद (दरगाह)PCCF श्रीनिवास राव ने दिया भरपूर साथ?

कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार का पूरा कैबिनेट ही माफिया बन कर रह गया था।और इस माफिया का सरदार था वनमंत्री मोहम्मद अकबर जिसने की कैम्पा मद अन्तर्गत 5,000 करोड़ को पूरा लूट खाया अकबर और उसका पालतू मुनीम पीसीसीएफ़ श्रीनिवास राव ने जिसका भरपूर साथ दिया था।जो अभी भी शान से प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर आसीन हैं।अभी सूत्रों से ये भी पता चला हैं कि अकबर और श्रीनिवास राव ने वनविभाग के पैसों को एडजस्ट कराके कईयों मस्जिद (दरगाह) का उन्नयन कराया हैं।जिसमें मिडिया के पास मरवाही वनमण्डल के मरवाही रेंज के मटियाडांड गाँव के मस्जिद (दरगाह) का फोटो भी हैं। इस मस्जिद (दरगाह) में अकबर बिना प्रोटोकॉल के दर्जनों बार आया हैं।इसकी जाँच कराई जा सकती हैं?मोहमद अकबर का मुनीम के रूप में काम करने वाले श्रीनिवास राव ने कैम्पा प्रमुख रहते 2019-20 में इसके उन्नयन का काम कैम्पा मद से करवाया हैं।इसका पैसा वनमंडल को लेंटाना उन्मूलन के नाम से जारी किया गया जिसमें बमुश्किल से 10% का खर्च होता हैं बाकि बचत।इसी तरह बहुत से ज़िलो में इसी तरह से फ़र्ज़ी कामों के लिए पैसे अलाट करवा कर श्रीनिवास राव ने कई मस्जिद का उन्नयन करवाया हैं।इसके बदले में अकबर श्रीनिवास राव को मनमर्ज़ी से पैसे खाने देता था और साथ में 7 सीनियर IFS को दरकिनार कर PCCF बनाया।
अकबर यही तक नहीं रुका। कवर्धा और अंबिकापुर के महामाया पहाड़ी में वन विभाग के ज़मीन पर रोहिंग्याओ को बसाया। इसके लिए श्रीनिवास राव के निर्देश पर इनको फ़र्ज़ी वनअधिकार पट्टा दिया गया। फिर एक ही समुदाय के लोगो को वन विभाग के सारे काम दिलवाये गये। अकबर का मुनीम काम करेगा 20% पर पेमेंट लेगा पूरा 100%। सभी रेंजर ,sdo और डीएफ़ओ से ज़बरदस्ती कैम्पा मद के सारे बिल वाउचर साइन कराये जाते थे। इसमें भी श्रीनिवास राव ही लीड किया । सभी DFO को धमका कर राव अकबर के साथ-साथ अपना काम निकालते रहा।भले ही इसके चक्कर में छत्तीसगढ़ जेहादगढ़ बन जाये । राव को तो मतलब बस अपने हैदराबाद के 25 करोड़ वाले घर से था। राव और अकबर तो कई मॉल और होटल में पार्टनरशिप में भी हैं।राव के चक्कर में अकबर रायपुर के आधे ज़मीन ख़रीद चुका हैं। इन्ही पैसों से अकबर चुनाव भी जितता हैं और अपने समुदाय के पसंदीदा पार्टी को जिताता भी हैं।कवर्धा विधानसभा में अकबर को जिताने राव ने तो पूरा वन विभाग को उतार दिया था।40 करोड़ का फंडिंग अकेले कवर्धा से हुआ।अगर भविष्य में ऐसे जेहादियो को रोकना हैं तो राव जैसे बाहरी अधिकारियों को सबक़ सिखाना ज़रूरी हैं।पिछले 2 साल के कैम्पा के निर्माण कार्यों का अगर CBI जाँच कराया जाये तो pccf और पूर्व वनमंत्री दोनों जेल जाएगा?

छत्तीसगढ़ वन विभाग में तैनात अकबर की बसुली गैंग और कैंपा मद के लुटेरों पर कार्यवाही होगी या इन्हें ही किया जाएगा पोषित?

निवर्तमान भूपेश सरकार की भ्रष्ट सरकार के समय से छत्तीसगढ़ राज्य का वन विभाग भारत देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का केन्द्र बना हुआ था, जहाँ वन विभाग के अधिकारियों के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे थे जिन्हें पूर्व वन मंत्री अकबर से ही पूरा संरक्षण मिला हुआ था, फ़िर “सैय्या भये कोतवाल तो अब डर काहे का?” छत्तीसगढ़ वन विभाग में अधिकारी तो छोटी मछलियाँ रही है जो पदस्थापना की वफ़ादारी के एवज में सरकारी पैसो को भ्रष्ट तरीके से अपने आका मोहम्मद अकबर तक पहुंचाने का काम करते रहें, भूपेश सरकार के समय ये पॉवर में थे जी भरके सत्ता का खूब मज़े ले रहे थे और छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई को दोनों हाथो से लूट रहे थे जिस दिन पाप का घड़ा भरेगा मुँह छिपाने के लिए जेल में ही जगह मिलने वाली है जैसा कि निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की निज सहायक सचिव और छत्तीसगढ की निवर्तमान सुपर सीएम सौम्या चौरसिया आज अपने भ्रष्ट कु कृत्यों के चलते जेल की हवा खा रही हैं।वैसे भी जंगल विभाग के अधिकारियों के पुराने पापों की जाँच भी अभी होनी बाकि है क्योकि सबूत तो दस्तावेजों में है देर सबेर न्यायपालिका जरूर न्याय करेगा, अब छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय जॉंच एजेंसियों पर भरोसा करना बे – मानी होगा क्योकि यहाँ तो सर से पाँव तक सब के सब एक ही थैले के चट्टे-बट्टे नज़र आते है अब राज्य स्तरीय जाँच करने के स्थान पर सी.बी.आई.जाँच कराने की आवश्यकता है | फिर देखिए कैसे बड़ी मछलियाँ जाल में फंसती है ? वैसे भी एक अयोग्य और नकारे व्यक्ति से क्या उम्मीद की जा सकती है ?वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियो के खिलाफ इतने आरोप और प्रकरण लंबित होने के बाद भी कोई कार्यवाही का नहीं होना कई संदेहो को जन्म देता है की इन भ्रष्टाचारों के पीछे कौन है ? जनता देख भी रही है और समझ भी रही है, अब छत्तीसगढ़ की जनता में भूपेश की भ्रष्ट सरकार को उखाड़कर फेक दिया हैं।अब देखना होगा की मोदी की गारंटी में इन भ्रष्टाचारियों पर जांच की आंच आएगी या इन्ही ही पोषित किया जाएगा ऐ एक बड़ा सवाल हैं?
वन विभाग तो पहले भी भ्रष्टाचार के लिए बदनाम था पर हाल ही में बड़े बड़े अधिकारियों का सोशल मीडिया में जो खबरें आ रही हैं। लगता हैं मानो विभाग में वसूली के अलावा कुछ काम नहीं हो रहा हैं। संजय शुक्ला के पीसीसीएफ बनने के बाद ज़रूर विभाग में कुछ बदलाव आया हैं, पर राकेश चतुर्वेदी के चार साल में विभाग की जो हालत हुई उससे ऊभर पाना अब मुश्किल हैं। जब
से केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ वन विभाग को कैम्पा मद में 5,700 करोड़ का गिफ़्ट दिया, तबसे राकेश चतुर्वेदी और श्रीनिवास राव का खुल्लम खुल्ला खेल चालू हो गया। पीसीसीएफ का 3.25 % तो कैम्पा सीईओ का 2 % फ़िक्स हो गया। समय समय पर विभाग में उच्च अधिकारियों को प्रतिशत की खबरें आती रही हैं। कभी अधिकारी द्वारा रेंजर
को बुला के वसूली तो कभी ठेकेदारों से खुलआम वसूली की खबरें आती रही हैं। विभाग में कुछ ख़ास ठेकेदारों को ही काम देने की खबरें भी आती रही हैं।
ट्रान्सफर पोस्टिंग का तो वन विभाग में नया धंधा चालू हो गया हैं। डीएफओ का रेट 25 से 50 लाख तक है। अब ये सब पर ED की नजर पड़ चुकी हैं। केंद्र सरकार के पैसों का जो बंदरबाँट हुआ हैं उसका हिसाब कई IFS को जल्द देना पड़ सकता हैं।

राकेश चतुर्वेदी, रिटायर्ड पीसीसीएफ

हाल में 30 सितम्बर को राकेश चतुर्वेदी पीसीसीएफ के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सोशल मीडिया में कई रेंजर के निलम्बन से बहाली के लिए रिश्वत लेते
हुए की खबरें चल रही हैं जिसमें देखा जा सकता हैं राकेश चतुर्वेदी नोटों का बंडल बटोर रहे हैं। इन
रेंजर की हाल ही में बड़े बड़े भ्रष्टाचार के मामलों
में विधानसभा के सदन में निलम्बन की घोषणा हुई
थी। पर राकेश चतुर्वेदी द्वारा अपने विदाई के दिन ही बहाली कर दिया गया।मरवाही और बिलासपुर वनमंडल में भ्रष्टाचार के इतने बड़े मामले थे जो
कि विधानसभा में उठाया गया और इन रेंजरो की निलम्बन की घोषणा हुई पर 3 महीनो में ही इनको पीसीसीएफ ने अपने विदाई के ही दिन बहाल कर
दिया।मंत्री तक से इसके लिए पर्मिशन नहीं लेना समझा। इससे पहले चतुर्वेदी राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए थे आरा मिल कांड से। तब वो रायपुर के सीएफ थे और मुख्य आरोपी भी। सभी डीएफओ से आरा मिल के फ़र्ज़ी इन्स्पेक्शन दिखा के शासन
को करोड़ों का चूना लगाया।इसके वजह से चतुर्वेदी का लगभग 15 साल तक प्रमोशन रुका रहा।बाद
में राजनीतिक रसूख़ के चलते राज्य सरकार से क्लीयर हो गए।जबकि इसी केस में फसे हेमंत पांडेय आज तक फ़से हैं और उनका करोड़ों का वसूली आदेश निकला हुआ हैं।जब रेंजर तक को अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया तो उच्च अधिकारी कैसे
उसी केस में बरी हो गए।

जेआर नायक, सीसीएफ रायपुर- सीसीएफ

रायपुर का भी वीडियो सोशल मीडिया में लगातार वायरल हुआ था।किसी ठेकेदार का पेमेंट नायक ने रोक कर रखा हैं और ठेकेदार बार बार उनके ऑफ़िस जाकर पेमेंट कर देने की गुहार लगा रहा है। पर नायक पहले पैसे जमा करने की बात कर रहे हैं। उसके बाद ही पेमेंट देने की बात कर रहे हैं।चूल्हा काण्ड में इनका
नाम उछला था। आश्चर्य की बात हैं अभी तक इस बेशरम अधिकारी पर वनमंत्री ने कोई कार्यवाही नहीं की है।

राजू अगासिमनि, सीसीएफ कांकेर

सीसीएफ कांकेर और उनका स्टेनो किसी ठेकेदार से काम के बदले पैसे लेते हुए कैमरा में क़ैद हुए थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वाइरल हुआ था। कुछ अख़बारों ने ही प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया था। बावजूद इसके अब तक शासन ने इन पर कोई कार्यवाही नहीं की है।

श्रीनिवास राव (पीसीसीएफ) कैम्पा, सीईओ

सभी जानते हैं वन विभाग की पूरी फ़ंडिंग अभी कैम्पा मद से ही होता है। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ वन विभाग को 5700 करोड़ दिया गया था। इस कैम्पा के पद पर 04 साल से एक ही अधिकारी का बैठे रहना संदेहास्पद हैं। बीजेपी के सांसद और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव द्वारा संसद में छत्तीसगढ़ कैम्पा के 4 सालो के कामों की जाँच की माँग की गयी। सूत्रों के अनुसार लैंटाना उन्मूलन में 80% तक का एडजेस्टमेंट हो रही हैं।ये मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गाय था। पिछले वर्ष
कैम्पा के फंड से पट्रोलिंग गाड़ियों के जगह लक्जरी गाड़ियाँ सभी वनमंडलो में ख़रीदी गयी वो भी बिना माँगपत्र के। इस मुद्दे को पिछले साल अख़बारों ने उठाया भी था और विधानसभा में प्रश्न भी लगा।पर क़ोरोना के चलते मामला दब गया। सोशल
मीडिया में हाल ही में खबरें वाइरल हो रही थी किये अपने गृहग्राम हैदराबाद में आलीशान घर बना रहे हैं। इसके अलावा पीसीसीएफ बनने के लिए बड़ी
पेशकश किए थे जबकि इनके ऊपर 07 सीनियर थे। राष्ट्र प्रसिद्ध आरामिल कांड के आरोपी थे।धमतरी डीएफओ रहते आरा मिल के बिना इन्स्पेक्शन किए
फ़र्ज़ी वाउचर बना के शासन को करोड़ों का चूना लगाने का आरोप लगा था। बाद में अपने राजनीतिक रसूख़ के चलते आरोप पत्र नसतिबद्ध करवा लिया।

श्रीनिवास का 25 करोड़ का घर और 10 करोड़ की पोस्टिंग,सबसे बड़ा लुटेरा अधिकारी।

कैम्पा में भ्रष्टाचार का एक नमूना मरवाही वनमंडल के कामों की सीसीएफ के जाँच प्रतिवेदन से पता चल जाता हैं कि कैसे श्रीनिवास राव के दलाल डीएफओं राकेश मिश्रा फ़र्ज़ीवाड़ा किए हैं? ये मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया था? पिछले वर्ष कैम्पा के फंड से पट्रोलिंग गाड़ियों के जगह लक्जरी गाड़ियाँ सभी वनमंडलो में ख़रीदी गयी वो भी बिना माँगपत्र के? कैम्पा मद से बोलेरो जैसी गाड़ी ख़रीदी जाती हैं जिससे जंगल में वनकर्मी निरीक्षण कर सकते हैं? पर श्रीनिवास राव ने पेट्रोलिंग गाड़ी के जगह सभी अधिकारियों के लिए लक्जरी स्कोर्पियो ख़रीद लिया? और ये ख़रीदी वनमंडलो ने नहीं बल्कि खुद कैम्पा के बॉस ने अपने कार्यालय से सीधे ख़रीदा? सूत्रों से जानकारी मिली हैं कि श्रीनिवास राव ने एजेन्सी से डील करके गाड़ियों में कुछ सामान कम करवा के कमीशन लिया और 35 गाड़ियाँ सीधे ख़रीद लिया? इस मुद्दे को पीछले साल अख़बारों ने उठाया भी था और विधानसभा में प्रश्न भी लगा।पर क़ोरोना के चलते मामला दब गया।सोशल मीडिया में हाल ही में खबरें वाइरल हो रही थी कि ये अपने गृहग्राम हैदराबाद में 25 करोड़ का आलीशान घर बना रहे हैं।छत्तीसगढ़ का पैसा लूट के आंध्र प्रदेश में इन्वेस्ट कर रहे हैं? इसके अलावा पीसीसीएफ बनने के लिए 10 करोड़ का पेशकस किए थे जबकि इनके ऊपर 7 सीनियर थे।पर तकनीकी अर्चन और बदनामी के डर से नेताओ ने संजय शुक्ला को पीसीसीएफ बना दिया? पर श्रीनिवास राव उनके मई में सेवनिवृत्ति के बाद पीसीसीएफ बनाए जाने की ख़बर हैं? खबरें आ रही हैं कि इनका ईडी और इंकम टैक्स में लम्बी चौड़ी शिकायत हो चुकी हैं? हैदराबाद में मनी लॉंडरिंग के पुख़्ता ख़बर मिली हैं? शिकायत इनके विभाग के उच्च अधिकारी ही करवाए हैं? परिणामस्वरूप श्रीनिवास राव आजकल हैदराबाद के चक्कर लगा रहा हैं और अपने काले करतूतों को ठिकाने लगा रहे हैं? ऐसे भ्रष्ट और काली करतूत वाले अधिकारी विभाग को ख़राब कर देते हैं? राकेश चतुर्वेदी इसका सबसे बड़ा प्रमाण हैं? श्रीनिवास राव राष्ट्रप्रसिद्ध आरामिल कांड के आरोपी थे? धमतरी डीएफओ रहते आरा मिल के बिना इन्स्पेक्शन किए फ़र्ज़ी वाउचर बना के शासन को करोड़ों का चूना लगाने का आरोप लगा था? बाद में अपने राजनीतिक रसूख़ के चलते आरोप पत्र नसतिबद्ध करवा लिया? जबकि इसी केस में डीएफओं हेमंत पांडेय आज तक फँसे हुए हैं और एक रेंजर का तो अनिवार्य सेवनिवृत्ति तक हो चुका पर श्रीनिवास राव अब तक बचा हुआ हैं? केस को फिर से खोलने की ज़रूरत हैं?

अनुराग श्रीवास्तव,सीसीएफ सरगुज़ा

31 अक्टूबर को ही ये सेवानिवृत्त हुए हैं। इनका भी रेंजर से वसूली और प्रॉपर्टी और विदेश के दौरों
की खबरें सोशल मीडिया में चला था। इनके ऊपर आरोप लगा था कि ये अपने वृत्त के सभी रेंजर को बंगले बुलाकर वसूली करते हैं और पीसीसीएफ के लिए 3.25% और कैम्पा सीईओ के लिए 2%
की माँग करते हैं। अनुराग श्रीवास्तव ने रायपुर के
पॉश इलाक़ों में अपने और अपने पिता के नाम पर महँगे प्लॉट ख़रीद करके रखा हैं। रायपुर के धरमपुरा में 12380 वर्गफ़ुट का प्लॉट ले रखा हैं जिसका अनुमानित क़ीमत 4.5 करोड़ हैं।इसके अलावा अपने पिताजी अशोक श्रीवास्तव के नाम पर 2540 वर्गफ़ुट का प्लॉट ले रखा हैं जिसका अनुमानित क़ीमत 01 करोड़ है। साथ ही रायपुर में आलीशान बंगला बना के रखा हैं। इसके अलावा अपने परिवार
के साथ विदेश घूमने भी जाते रहते हैं। सूत्रों से जानकारी मिली हैं कि इसके लिए वो सरकार से
अनुमती भी नहीं लिए थे।

भ्रष्ट्राचार और कैम्पा मद की खुली लूट की कहानी

  • राज्य सरकार के अधिकारियों ने राज्य के वनों को सुधारने के लिए बने छग राज्य क्षतिपूर्ति वनीकरण कोष प्रबंध एंव योजना प्राधिकरण यानि कैम्पा के जरिए से 107 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि की हेराफेर की है।
  • कैग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार का वन विभाग क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए गैर वनीय भूमि उपलब्ध होने के बावजूद भी गैर वनभूमि अनुपलब्धता के प्रमाण पत्र जारी करके अपनी काली करतूतों को छुपाने की लगातार कोशिशें करता आया है। जिन स्थानों पर बिगड़े वन क्षेत्रों में क्षतिपूर्ति वनीकरण का कार्य दिखाया गया है वो भी लगभग 75 प्रतिशत से अधिक फर्जी है। कार्य कराने के नाम पर कैम्पा कोष की राशि को मिल जुल कर दुरूपयोग किया गया और कई फर्जी कार्यों, स्थानों और बिलों को प्रस्तुत किया गया है। प्रति दर के हिसाब से गलत दरों के द्वारा प्रयोग किया गया है, मार्गदर्शिका या स्वीकृति आदेश की अवहेलना की गई और अकारण की मांग जारी करके अठ्ठासी करोड़ सत्तान्वे लाख रुपये (88.97 करोड़) क्षतिपूर्ति वनीकरण की लागत, शुद्ध मूल्य व प्रतिशत और तादाद आदि का रोपण किए बिना व बिना जांच के ही राशि का भुगतान कर दिया गया तथा क्षतिपूर्ति वनीकरण में शुद्ध प्रत्याशी दर पर भी वसूली कम की गई है।
  • कैग में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर, छग के प्रधान वन मुख्य संरक्षक ने बिगड़ते वनों के सुरक्षा व बहाली के लिए 400 पौधे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पहले दो वर्षों के कार्य के लिए जिसमें सर्वेक्षण, सीमांकन, क्षेत्र की तैयारी तथा पौधों की रोपणी को शामिल किया था, प्रति हेक्टेयर पन्द्रह हज़ार एक सौ रूपए (रू.15,100/-) खर्च का निर्धारण किया गया। सह-निर्माण अक्टूबर 2010 में हुआ था लेकिन वनमंडलाधिकारी धमतरी और पूर्वी सरगुजा के पांच कक्षों में बावन हज़ार सात सौ रूपए (रू.52,700/-) प्रति हेक्टेयर खर्च किया गया यानि कि दो करोड़ सत्तावन लाख रुपये (2.57 करोड़) का अतिरिक्त खर्च किया गया और जिसकी जानकारी भी छुपाई गई। यहाँ तक कि उच्च अधिकारियों को कोष की राशि के दुरूपयोग की जानकारी हो जाने के बाद भी मामले को संज्ञान में नहीं लिया गया और न ही किसी भी प्रकार की कार्यवाही ही की गई।
  • कैम्पा कोष की राशि से इको टूरिज्म पर भी जम कर खर्च किया गया है और इस अतिरिक्त खर्च के फर्जीवाड़े में सामान्य वन मंडल कार्यालय, रायपुर के वनमंडलाधिकारी और पंडरी परिक्षेत्र कार्यालय के रेंज अधिकारी दोनों की ही भागीदारी है। राज्य सरकार ने वन संरक्षक अधिनियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 77.500 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग ईको टूरिज्म केन्द्र के विकास में खर्च कर दिया है। जबकि मार्गदर्शिका और भारत सरकार के दिशा निर्देशों के विपरीत महंगे वाहनों की खरीदी की गई, अधोसंरचना निर्माण और ईको टूरिज्म गतिविधियों पर बारह करोड़ इकत्तीस लाख रुपये (12.31 करोड़) का अनाधिकृत व्यय किया गया है। इस मामले पर उच्चतम न्यायालय में याचिका भी दायर की गई है जिसमें सिलसिलेवार गतिविधियों की पूरी जानकारी का ब्यौरा दिया गया है।
  • इसके अलावा कैम्पा कोष की राशि को मनमाने ढंग से खर्च किया जा रहा है जंगल सफारी में, और जंगल सफारी के नाम पर बेहिसाब राशि का भी दुरूपयोग सामने आया है, और इस राशि की बंदरबांट में भी सामान्य वन मंडल कार्यालय, रायपुर के वनमंडलाधिकारी अभय श्रीवास्तव, उप-वनमंडलाधिकारी एम.बी.गुप्ता और पंडरी परिक्षेत्र कार्यालय के रेंज अधिकारी सिन्हा तीनों की बराबर की भागीदारी है। छग राज्य कैम्पा कोष द्वारा जंगल सफारी के अन्तर्गत स्वीकृत कार्य करने में दो करोड़ चालीस लाख रुपये (2.40 करोड़) का अतिरिक्त अनाधिकृत व्यय भी किया गया है।
  • मुरूम संग्रहण पर चालीस करोड़ बीस लाख रुपये (40.20 करोड़) अनाधिकृत व्यय किया गया है। – कैम्पा कोष के तहत विशेष प्रजाति रोपण योजना में भी पिछले कई वर्षों में रोपण होने के बावजूद गलत क्षेत्रों का चयन कर गलत प्रजातियों को चयनित किया गया और उच्चतम दर का भुगतान कर एक करोड़ सात लाख रुपये (1.07 करोड़ ) अनाधिकृत खर्च किया गया है। जबकि कैम्पा कोष और वन विभाग के अधिनियमों के विपरीत जाकर कार्य करने को दर्शा रहा है बावजूद इसके वन विभाग के उच्च अधिकारी और राज्य सरकार कार्यवाही करने की बजाए इन भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास कर रही है और कैग रिपोर्ट के आंकड़ों को भी अनदेखा करते हुए राज्य के वन मंत्री ने केंद्र से कैम्पा कोष के तहत बकाया राशि की एकमुश्त मांग की है। जबकि होना यह चाहिए कि पहले इन भ्रष्टाचारियों को उनके किए गए भ्रष्टाचार के तहत कार्रवाई होनी चाहिए उसके पश्चात ही बकाया राशि की मांग रखनी चाहिए थी।
  • कैम्पा कोष के दुरुपयोग की कहानी कैम्पा के गठन वर्ष 2009 के बाद जब पहली बार कैम्पा कोष के तहत राज्य को राशि आवंटित की गई थी तब से ही वन विभाग में लूट का यह खेल खेला जा रहा है, वर्तमान स्थिति तक में कैम्पा कोष के दुरुपयोग के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो आंकड़े हैरान कर देने वाले प्राप्त होतें हैं। सबसे अधिक आश्चर्य चकित करने वाली बात यह है कि वनमंडलाधिकारी, उप-वनमंडलाधिकारी और रेंज अधिकारी तीनों ने मिलजुल कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भी भ्रम में रखा और उनके पास तक कई फर्जीवाड़े को पहुंचने तक नहीं दिया गया और आंकड़ों में भी हेराफेरी कर गलत दस्तावेज उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया है जिसकी भनक प्रधान मुख्य वन संरक्षक को काफी बाद में लगी, यानी कि इन भ्रष्टाचारियों ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक तक को नहीं बख्शा है। रिकार्डों में भी हेराफेर की संभावना जताई गई है।

-सूत्रों के अनुसार

वनमंडलाधिकारी काफी ऊपर तक पहुंच रखतें हैं जिस कारण से वह इतने बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने के बावजूद भी आज तक पूरी तरह से सुरक्षित हैं और भविष्य में फिर से कई बड़े भ्रष्टाचार करने की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस बार जंगल सफारी के नाम पर जोरदार हेराफेर की जाने की संभावना है और कुछ स्थानों पर सागौन रोपड़ी में भी हेराफेर की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, कैम्पा कोष के मद से इस बार फिर से तीन नयी लग्ज़री वाहनों की खरीदी करने की भी योजना तैयार की गई है जिसके तहत वन मंत्री, सचिव और वनमंडलाधिकारी इन लग्जरी वाहनों का उपयोग करेंगे। वाहनों में डस्टर नामक चारपहिया वाहन का चयन किया गया है।
इस सबके बावजूद भी 2015 के जुलाई माह तक में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में कोई परिवर्तन नहीं आया था आज भी लूटमारी चालू है, रायपुर सामान्य वन मंडल के वनमंडलाधिकारी अभय श्रीवास्तव की अड़ियलबाज़ी और भर्राशाही निरंतर चालू ही है। भ्रष्टाचार की यह कहानी कोई नई नहीं है बल्कि लगभग पांच वर्षों से लगातार जारी है। वन विभाग की कमान नये मंत्री को मिलने के बाद कुछ हद तक उम्मीदें जागृत हो उठीं हैं कि वनमंडलाधिकारी, उप-वनमंडलाधिकारी, रेंज अधिकारी, क्लर्क और अन्य सभी शासकीय कर्मचारी जो इन भ्रष्टाचारों में सम्मिलित हैं उन पर जांच कराई जाए और सख्त कार्रवाई की जाए, और दोषी पाए जाने वालों से शासन की राशि की वसूली भी की जाए, सारी संपत्ति को कुर्क करने जैसी प्रक्रिया भी अपनायी जाए ताकि ऐसे भ्रष्टाचार करने वालों के लिए यह कारवाई सबक साबित हो जाए और भ्रष्टाचार करने से पहले उनके अंदर इस बात का डर पैदा हो जाए कि गर पकड़े गए तो अंजाम कैसा होगा। जिस दिन ऐसा हो गया समझ लीजिए कि भ्रष्टासुरों पर लगाम कस गई?ज्ञात हो कि भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भारत समेत अन्य विकासशील देश में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है।गौरतलब हो कि अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।

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