
ट्रांसफर रूल की उड़ाई जा रहीं धज्जियां?
डोंगरगांव (गंगा प्रकाश)। पुलिस नियमावली के तहत किसी भी थाने में कोई भी सिपाही व अधिकारी तीन वर्षों से अधिक नहीं रह सकते, लेकिन जिले के कई थानों में कुछ पुलिसकर्मी लंबे समय से अंगद की तरह पैर जमाये हुए हैं, तबादले के नियम की पुलिस विभाग में धज्जियां उड़ रही हैं। पुराने कर्मचारियों के कारण स्टाफ में मतभेद की स्थित बनी रहती है, थानों में आरक्षक से लेकर प्रधानआरक्षक तक कई साल से जमे होने के कारण पुलिसिंग भी प्रभावित हो रही है। थानों में कई रसूखदार पुलिसकर्मी अपनी मनचाही जगह में सालों से पदस्थ हैं, कई बार कर्मचारियों के तबादले भी होते हैं, लेकिन उनमें वही शामिल होते हैं जिन्हें एक साल भी नहीं हो पाता है। आला अधिकारी भी उन कर्मचारियों पर मेहरबान हैं, जो कई सालों से एक ही थाने में पदस्थ हैं या ऐसे पुलिसकर्मी जिनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत होने के कारण अपने मनचाहे थाने पर सालों से जमे हुए हैं। जबकि पुलिस मुख्यालय का आदेश हैं कि कोई भी पुलिसकर्मी किसी एक थाने में तीन वर्षों से अधिक नहीं रह सकता परंतु जिले के डोंगरगांव थाना में एक पुलिसकर्मी ऐसे हैं जिन्हें आठ वर्षों से अधिक समय एक ही थाने में हो गया है।
सूत्रों की मानें तो मलाईदार थानों में अंगद की तरह पैर जमाये हुए पुलिस आरक्षक को रेवड़ी बटोरने के लिए अधिकारियों ने उनकी मन पसंद जगह दे रखा है।
खाना पूर्ति के लिए एक दो माह के लिए होता है ट्रांसफर?
डोंगरगांव थाने में एक ऐसा आरक्षक है जो करीब आठ वर्षों से जमे हुए है। जमे हुए आरक्षक विधायक के करीबी बताए जाते है जिनका डोंगरगांव से ट्रांसफर होना मुश्किल है। अधिकारी खाना पूर्ति के लिए 2-3 माह के किए आरक्षक को कही अन्यत्र भेज देते है ताकि रिकॉर्ड मेंटेन हो सके। अब देखना होगा कि क्या पुलिस अधीक्षक बड़ी सर्जरी कर वर्षों से एक ही थाने पर जमे पुलिसकर्मियों का फेरबदल कर अंगद के पैर वाली प्रथा को खत्म करेंगे या पुलिसकर्मी राजनैतिक पहुंच का फायदा उठाकर अपने मनचाहे थानों पर ही बने रहेंगे?