
रेत माफियाओं को मिला हुआ है वन विभाग का आशीर्वाद?
रिपोर्टर -टेमन बोरकर
राजनांदगाव(गंगा प्रकाश)। राजनांदगाव वन मण्डल के सड़क चिरचारी पिंकापार,नावागांव,भर्रिटोला गोपालपुर,छुरिया,जोब कटेंगाटोला वन विभाग के बीट क्षेत्रों से लगातार रेत निकाली जा रही है। एक तरफ शासन रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहा है, दूसरी ओर प्रशासन की उदासीनता वह कार्यवाही न होना, कहीं न कहीं रेत तस्करों से साठगांठ की ओर ईशारा कर रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजनांदगाव वन मंडल के बागनदी वन परिक्षेत्र के बीट सहित कई स्थानों से रोजाना रेत की अवैध निकासी हो रही है। सड़क चिरचारी,भर्रिटोला,जोब खोभा, छुरिया,गोपालपुर, पिंकापार,नावागांव.वन अधिकारियों द्वारा रेत माफियाओं पर कोई कार्यवाही नहीं किया जाना कई संदेहों को जनम दे रहा है। क्षेत्र के जंगलों से लगातार रात और दिन सैंकड़ों ट्रिप रेती की निकासी हो रही है। बताया जाता है कि महाराष्ट्र तथा अन्य क्षेत्रों में अधिक दाम मिलने के कारण रेत माफियाओं द्वारा (हाईवा ) रेत महंगे दामों में गाँव सहित अन्य क्षेत्रों में धड़ल्ले से रेत बेची जा रही है। इसके साथ ही क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों को रेत, ऊंचे दाम पर बेची जा रही है। साठगांठ के चलते राजस्व और वन विभाग के अधिकारी कार्यवाही करने से बच रहे हैं। इस तरह रेत का खेल वन अफसर और रेत माफियाओं के बीच सालों से चल रहा है, परंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई हो नहीं पाई है। महज
खानापूर्ति कर रेत माफियाओं को छोड़ दिया जाता है, जिससे रेत तस्करों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार ।इस क्षेत्र में लंबे समय से रेत का अवैध कारोबार किया जा रहा है, , बागनदी क्षेत्र के बीट सहित अन्य स्थानों से रेत की तस्करी जोरों से चल रही है। साथ ही जंगलों के आसपास तथा रेत माफिया अपने गोदामों में रेत डंप कर रखते हैं। रात को बेचने के लिए रेत से भरे हाईवा को रवाना कर दिया जाता है। इस तरह छत्तीसगढ़ की रेत को रेत
माफियाओं द्वारा महाराष्ट्र में अधिक दाम पर खपाया जा रहा है। यही स्थिति रही तो आगामी दिनों में जरूरतमंदों को रेत का मिलना । मुश्किल हो जाएगा और इन्हीं माफियाओं से अधिक दाम पर खरीदना पड़ेगा।बताया जाता है कि विगत कई माह से लगातार धड़ल्ले से रेत की अवैध निकासी की जा रही है। इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को भी है। इसके बावजूद साठगांठ के चलते इन पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही हैं।
कलेक्टर एवं पुलिस प्रशासन को चाहिए कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्व की भांति रेत माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई करने अभियान चलाए ।
खतरे में वनों का अस्तित्व
जंगलों से रेत निकालकर बेचने से जंगलों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। वन भूमि से रेत निकालने के लिए जगह-जगह जंगलों में खाइयां बन गई हैं। इससे पेड़-पौधो को क्षति पहुंच रही है। खुदाई के दौरान कई पेड़ जड़ों के कट जाने से सूख रहे हैं। वहीं ट्रैक्टर ट्रालियों के आवागमन से भी वन संपदा प्रभावित हो रहे है। वन विभाग द्वारा बीट प्रभारियों और चौकी के माध्यम से जंगल और पेड़ों के संरक्षण की बात कही जाती है, लेकिन इस प्रकार की गतिविधियां वन विभाग के कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठा रही हैं।