
रायपुर (गंगा प्रकाश )। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला परिवहन घोटाला मामले में रायपुर केंद्रीय जेल में बंद IAS रानू साहू और राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रहीं सौम्या चौरसिया से ईडी तीसरे दिन शुक्रवार को भी पूछताछ करेगी। बता दें कि विशेष कोर्ट ने ईडी को आरोपियों से 16 जनवरी तक पूछताछ की अनुमति दी है। इस बारे में बकायदा सवाल तैयार कर पूछताछ की जा रही है।
जानकारी के अनुसार रायपुर केंद्रीय जेल में बंद निलंबित आइएएस रानू साहू और राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रहीं सौम्या चौरसिया से गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने करीब तीन घंटे पूछताछ की। दोनों से अन्य आरोपियों की भूमिका के बारे में जानकारी ली गई। ईडी के अधिकारियों ने पूछा कि कोयला घोटाले में और कितने अधिकारी और कांग्रेस के नेता शामिल हैं?
बता दें इस मामले में भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, चंद्रदेव राय, आरपी सिंह, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, विनोद तिवारी समेत अन्य की घोटाले भूमिका की पड़ताल भी चल रही है। विशेष कोर्ट ने देवेंद्र यादव की अग्रिम जमानत याचिका पिछले दिनों खारिज कर दी थी। अब जांच के घेरे में आए इन नेताओं की भूमिका की पड़ताल की जा रही है।
कोयले की कालिख से नहीं बच पाई आईएएस रानू साहू,अब खा रही हैं जेल की हवा
बता दें कि विगत वर्षों से छत्तीसगढ़ में लगातार ईडी की कार्यवाही जारी हैं ईडी की अब तक की कार्यवाही में छत्तीसगढ़ के कई बगडबिल्लो को जेल का रास्ता दिखाया हैं।इसी कड़ी में कोयला घोटाले में हाल ही में गिरफ्तार हुई IAS रानू साहू को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब अगले महीने की चार तारिख को पुनः उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। रानू साहू को आज प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों ने विशेष आदालत में पेश किया था।
ईडी रानू साहू से छापों के दौरान जब्त डायरी और मोबाइल चैट के संबंध में पूछताछ की। बताया जा रहा है कि इस पूछताछ में कोयला घोटला की रकम, उसके डिट्रीब्यूशन से जुड़े कई सवाल किए है। ईडी ने साहू से उनके आईएएस पति जेपी मौर्या और उनके मायके वालों की आर्जित संपत्ति और आय के स्रोतों के संबंध में भी पूछताछ की है।
ब्लैकमनी के हब“छत्तीसगढ़” में रोजाना 50 करोड़ से अधिक की काली कमाई जाती हैं “सौदागरों” की तिजोरी में?
दरअसल छत्तीसगढ़ में कोयले के टेंडर घोटाला और उन काले कारोबारियों के साथ कई सरकारी अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की वजह से इस मामले की पड़ताल शुरू की गई थी। लिहाजा मामले की तफ्तीश के पहले काफी जांच पड़ताल की गई और काफी पुख्ता इनपुट्स मिलने के बाद रायपुर के देवेंद्र नगर इलाके में स्थित एक चार्टेड एकाउंटेंट विजय मालू, रायगढ़ में आईएएस अधिकारी रानू साहू,महासमुंद्र में कांग्रेस नेता अग्नि चंद्राकर और अनुपम नगर में सूर्यकांत तिवारी के आवास सहित अन्य लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया,इस मामले की तफ्तीश के दौरान ईडी की टीम को कई ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत मिले हैं, जिससे कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसी के तफ्तीशकर्ताओं को सर्च ऑपरेशन के दौरान कई ऐसे दस्तावेज बरामद मिले हैं, जिससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में राजनीतिक गलियारों के कई वरिष्ठ नेताओं, राज्य में कार्यरत कई वरिष्ठ अधिकारी और कोयले का काला कारोबार करने वाले बिचौलियों की मदद से कुछ कारोबारी ‘लेवी वसूली ” का खेल खेल रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक, कई सरकारी अधिकारियों को इस काले धंधे का बैसाखी बनाकर करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी। जांच एजेंसी के राडार पर फिलहाल 500 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता दिख रहा है, जो आने वाले वक्त में तफ्तीश के बाद और ज्यादा बढ़ भी सकता है।
’25 रुपये प्रति टन था लेवी रेट’
जांच एजेंसी ईडी की तफ्तीश में ये भी पता चला है कि कोयले के अवैध कारोबार के लिए 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध वसूली यानी लेवी का रेट तय किया था, जिसे सभी कारोबारियों को देना था।इस हिसाब से तय समय के अंतराल और अब तक की तफ्तीश में ही ये आंकड़ा 500 करोड़ रुपये को पार जा चुका है।सूत्रों के मुताबिक आने वाले वक्त में इस मामले में और ज्यादा इजाफा देखने को मिल सकता है और कई बड़े खुलासे तथा आरोपियों की गिरफ्तारी भी देखने को मिल सकती है। ईडी मुख्यालय में तैनात सूत्र के मुताबिक इस मामले में आने वाले वक्त में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि अभी तफ्तीश शुरू हुई है ऐसे में उसके बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
रोजाना आमदनी के मामले में अडानी-अंबानी को भी पछाड़ा कबीले के “सरदार” ने?शराब, खनिज,कल कारखानों और MOU से ब्लैक मनी की हो रही हैं बंपर पैदावार?
देश में छत्तीसगढ़ ने एक नया आयाम गढ़ा है।हालांकि यह ताज्जुब करने वाली बात नहीं है।क्योंकि कबीले के “सरदार” ने पहले ही “गढ़बो नया छत्तीसगढ़” के नारे का एलान कर रखा है।एक जानकारी के मुताबिक “सरदार” की तिजोरी में रोजाना 50 करोड़ से ज्यादा की रकम इक्क्ठा हो रही है।बताया जा रहा है कि भारी-भरकम रकम का एक बड़ा हिस्सा देश दुनिया के मिडिल ईस्ट तक के इलाकों में निवेश हो रहा है। रकम का कुछ भाग एक राजनैतिक दल और उसके नंबरदारों के हाथों में भी जाना बताया जा रहा है।ब्लैक मनी की बंदरबांट में सौदागर के कर्णधार भी पीछे नहीं है,कुछ चुनिंदा कर्णधारों के दोनों हाथ घी में और सिर कढ़ाई में बताया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य उद्योग धंधों और खनिज के दोहन के मामले में देश में अग्रणी माना जाता है।लेकिन अब इसकी गिनती ब्लैक मनी के हब के रूप में भी होने लगी है।भले ही आप यह सुनकर हैरत में पड़ जाए,कि बगैर खून खराबा किए कबीले का सरदार कैसे रोजाना करोड़ों की रकम अपनी तिजोरी में भर रहा है।तो समझ लीजिए सरदार का हुनर,ब्लैक मनी के कारोबार पर चार चांद लगाने के लिए सरदार ने किन किन क्षेत्रों में अपने कर्णधारों को बागडोर सौंपी है।छत्तीसगढ़ में रोजाना 25 करोड़ रूपये से ज्यादा की अवैध शराब की बिक्री का दावा किया जा रहा है।राज्य के दर्जनों जिलों में आय दिन प्रदेश के बाहर से तस्करी कर लाई जा रही शराब की खपत हो रही है।हाल ये है कि पुलिस को इसकी धर पकड़ के लिए सिर्फ खानापूर्ति पर जोर दिया जा रहा है।कुछ एक जिलों में तस्करी कर लाई जा रही शराब की खेप की खेप पुलिस ने अपने कब्जे में की है।लेकिन असल सौदागर तक पुलिस के हाथ नहीं पहुँच पाए है। यही हाल सरकारी शराब दुकानों का है।रायपुर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित एक सरकारी शराब दुकान में राज्य से बाहर की बियर की खेप पकड़ी गई थी। लेकिन अधिकारियों ने मामले की तह में जाने के बजाय यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि “मिस हेंडलिंग” की वजह से बाहरी राज्यों के शराब सरकारी दुकान में पाई गई।जानकारी के मुताबिक राज्य की ज्यादातर सरकारी शराब दुकानों में सरकारी और गैर सरकारी दो भागों में शराब की बिक्री हो रही है।यहां शराब की खपत और आमदनी के दो रजिस्टर मैंटेन किए जाने की चर्चा आम है।ब्लैकमनी के इक्क्ठा होने की जानकारी के कारण ही कई सेल्समेन शराब दुकानों से नगदी लेकर भाग खड़े हो रहे है।यह भी बताया जा रहा है कि कुछ खास ब्रांड की शराब बेचने पर ही अफसर जोर देते है , उसकी खपत के लिए आबकारी विभाग ने कोटा भी तय कर दिया है।हाल ही के महीनों में छत्तीसगढ़ में शराब की खपत के मामले में दिन दुनि रात चौगुनी प्रगति हुई है।यह प्रदेश अब शराबखोरी के मामले में पहले पायदान पर है। बीते 8 माह में 24 अरब से ज्यादा की शराब की बिक्री हुई।यह आंकड़ा अधिकृत रजिस्टर में दर्ज की गई रकम का बताया जाता है।यह रकम सरकार की तिजोरी में जाती है।लेकिन गैर सरकारी रजिस्टर में भी इस अवधि में अरबों की एंट्री है।बताया जाता है कि यह रकम रायपुर में एक होटल-बिल्डर कारोबारी के हाथों से सरदार की तिजोरी तक पहुंचती है।यह कारोबारी कबीले का कर्णधार नंबर-वन बताया जाता है।
गब्बर सिंह टेक्स का दायरा
वर्ष 2020 की तुलना में अब काफी व्यापक बताया जा रहा है।इसकी वजह कई बड़ी कंपनियों को कोयले पर 25 रूपये प्रति टन की दर से लेव्ही देने के लिए राजी कर लिया जाना बताया जा रहा है।जानकारी के मुताबिक कोरबा,रायगढ़,अंबिकापुर,जांजगीर,बिलासपुर,सूरजपुर और कोरिया जिले से रोजाना 5 करोड़ से ज्यादा की अवैध वसूली हो रही है।कोयले का कारोबार करने वाले व्यापारी हो या फिर उद्योगपति,प्रत्येक पर गब्बर सिंह टेक्स थोप दिया गया है।इससे होने वाली अवैध वसूली की कमान कबीले के कर्णधार नबर-दो के हाथों में है।
सीमेंट पर भी गब्बर सिंह टेक्स लगा दिए जाने की खबर है।
बताया जाता है कि राज्य के सीमेंट उत्पादक कल कारखानों से 15 रूपये प्रति बैग गब्बर सिंह टेक्स वसूला जा रहा है।इसके चलते सीमेंट कंपनियों ने अपने उत्पादों के बाजार भाव में 20 रूपये से ज्यादा की प्रति बैग बढ़ोत्तरी कर दी है।यही हाल आयरन ओर इंडस्ट्री का है।छत्तीसगढ़ में लोहे की कीमते आसमान छू रही है।सरिया की बढ़ी कीमतों के चलते उन लोगों का बुरा हाल है,जो अपने घरों का निर्माण कर रहे थे।स्टील इंडस्ट्री ने लोहे की कीमतों में अचानक इतनी वृद्धि कर दी है कि सरकारी निर्माण कार्य भी ठप्प पड़ रहे है।
हाल ये है कि ठेकेदारों के संगठनों ने लोहे के दाम में कमी लाने और उसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को ज्ञापन सौंपा था। बताया जा रहा है कि विभिन्न ब्रांड का 34 से 36 हजार रूपये टन बिकने वाला सरिया चंद माह में 55 हजार रूपये टन तक जा पहुंचा है।स्टील इंडस्ट्री से जुड़े उद्योगपति बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे है। उनके मुताबिक कोयला और आयरन ओर पर गब्बर सिंह टेक्स लग जाने से कीमते तो बढ़ेगी ही।उनके मुताबिक औद्योगिक प्रयोजन के लिए होने वाले MOU एक हाथ दो , दूसरे हाथ लो की तर्ज पर हो रहे है।
रेत से भी तेल निकालने में माहिर है “सरदार”
काली कमाई के सरताज का कामकाज का तरीका भी काफी उन्नत और सुनियोजित बताया जा रहा है।कहा जा रहा है कि इस काम में अखिल भारतीय सेवाओं के कुछ अफसरों की सहभागिता भी है।सरदार के कर्णधारों में उनका भी ओहदा उच्च कोटि का है।ब्लैक मनी का हिसाब किताब सँभालने में डिप्टी कलेक्टर रैंक से लेकर सचिव स्तर तक की सेवाओं से जुड़े कर्णधारों का नाम लिया जा रहा है।बताया जाता है कि काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा रेत खदानों और उसके आवंटन से हो रहा है।छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर रेत की तस्करी हो रही है।अंबिकापुर, बलरामपुर,जशपुर और सूरजपुर इलाकों से रोजाना 500 से ज्यादा ट्रक रेत उत्तर प्रदेश के जिलों में सप्लाई की जा रही है।
बताया जाता है कि नियमानुसार रेत का उत्खनन करने के बजाए तमाम रेत घाटों में बड़ी बड़ी मशीने लगाई गई है।जेसीबी और दूसरी खनन मशीनों से रोजाना सैकड़ों ट्रक रेत प्रतापपुर होते हुए उत्तर प्रदेश की सरहद पर स्थित जिलों में पहुँच रही है।जानकारी के मुताबिक यूपी के किसी “पुनिया” नामक ठेकेदार ने इस अवैध कारोबार की कमान संभाल रखी है।उसके तार रायपुर से भी जुड़े बताए जा रहे है।यही हाल अन्य जिलों का है।अवैध खनन और रेत के कारोबार ने “सरदार” की तिजोरी भर दी है।लोगों के मुताबिक राज्य सरकार और खनिज विभाग ने रेत का बाजार भाव तय कर रखा है।लेकिन रेत माफियाओं के हावी रहने के चलते आम लोगों को सरकारी दर पर नहीं,बल्कि सरदार द्वारा तय की गई कीमत पर रेत खरीदने को विवश होना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ में खनिजों के अलावा उसकी खदानों में भी बड़े पैमाने पर धांधली बरती जा रही है
बताया जा रहा है कि कांकेर-भानुप्रतापपुर स्थित आरी-डोंगरी आयरन ओर खदान आवंटन के लिए ऑनलाइन निविदा के बजाए ऑफ़ लाइन टेंडर जारी किये गए,ताकि “सरदार” को ही उनके करीबियों के नाम से यह खदान आवंटित की जा सके,बताया जाता है कि इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया से सरकारी तिजोरी पर 500 करोड़ से ज्यादा की चपत लगेगी, साफ है कि ऑफ़लाइन टेडंर से “सरदार” की तिजोरी भरेगी।रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में नामचीन इमारतों,होटलों और जमीनों की खरीदी को लेकर “सरदार” के कर्णधारो के सौदों की चर्चा भी जोरो पर है।बताया जाता है कि भिलाई-दुर्ग के कुछ मेडिकल और डेंटल कॉलेज,होटलें और बेशकीमती जमीनों के सौदे “सरदार” के कर्णधारों ने किये है।बेनामी संपत्ति की खरीद-फरोख्त के लिए कर्णधारों के नाते-रिश्तेदारों के नाम सुर्खियों में है।इसी कड़ी में बिलासपुर की जेबीएल होटल और खपरगंज में गोलबाजार स्थित कुछ विवादित इमारतें लगभग 50 करोड़ की लागत से बुधिया बंधुओं ने खरीदी है। “सरदार” के कर्णधारों में से एक प्रभावशील महिला की चल अचल संपत्ति के दस्तावेज भी लंबे अरसे से सोशल मीडिया में वायरल होते रहे है।
छत्तीसगढ़ में ब्लैकमनी की लहलहाती फसलों से केंद्रीय जांच एजेंसियां भी सकते में है
हालांकि उन्हें भी मैनेज करने का दावा किया जा रहा है। बताया जाता है कि “सरदार” के कर्णधारों में कुछ आईएएस और आईपीएस अफसर ऐसे है,जिनका दावा है कि उनकी ED,विजिलेंस और सीबीडीटी जैसे संस्थानों में गहरी पैठ है।छत्तीसगढ़ में कानून का राज स्थापित है या नहीं,फ़िलहाल तो इस तथ्य को लेकर प्रशासनिक महकमों से लेकर राजनीति के गलियारों मे चर्चा छिड़ी हुई है।वही गढ़बो छत्तीसगढ़ के मायने भी निकाले जा रहे है।