भाजपा का विरोध करते करते श्रीराम का विरोध कर रही कांग्रेस-चंदूलाल साहू

गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। कांग्रेस पार्टी राजनैतिक विचार धारा में मतभेद के चलते भाजपा का विरोध करती है। उसमें कोई गलत नहीं है। प्रजातंत्र में विपरीत विचारधारा एवं विपरीत सोच के कारण राजनीति विरोध समझा जा सकता है। परंतु धार्मिक आस्था एवं धार्मिक मान्यता में राजनैतिक मतभेद के कारण धार्मिक कार्यो का विरोध निष्कृष्ट विचार ही नहीं बल्कि धृणित मानसिकता ही उजागर करता है। पूर्व सांसद एवं भाजपा पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंदूलाल साहू ने कहा कि कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के न्योते को ठुकरा दिया है। कांग्रेस के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस को देश के 100 करोड़ से अधिक हिंदू सनातनियों के आस्था, भावना से कोई सरोकार नहीं। अब वक्त आ गया है कि भारत कांग्रेस मुक्त हो। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को नहीं आना था तो उन्हें निमंत्रण कार्ड ही नहीं लेना चाहिए था। श्री साहू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने रामसेतु को लेकर कहा था कि भगवान राम कोई थे ही नहीं ये काल्पनिक है। ये राम मंदिर में टांग अड़ाने वाले लोग है। कांग्रेस पार्टी की स्थिति अब ऐसी हो गई है जैसे शरीर के किसी भाग में कैंसर बढ़ जाता है तो जब उसका कोई उपचार नहीं बचता और उसे काटना पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत को कांग्रेस मुक्त होना चाहिए अब वो वक्त आ गया है कि भारत के करोड़ो सनातनी एकजुट होकर देश को कांग्रेस मुक्त करें। पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भाजपा का विरोध करते करते राम का विरोध करने लग जाते है और राष्ट्र का विरोध करती है। उन्हें ये पता होना चाहिए कि राम हिन्दुओं के भगवान होने के साथ समस्त मानव जाति के आदर्श है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक देशों में भी राम को अपना पूर्वज माना जाता है। फारूख अब्दूल्ला भी कह चुके है कि मुसलमानों के भगवान भी राम है वो हमारे पूर्वज है। इंडोनेशिया में भी राम को अपना पूर्व कहा जाता है। भगवान राम तो भारत के राजा है। पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कहा कि जिस राम राज की आज पूरे विश्व में चर्चा हो रही है ऐसे पतित पावन भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाकर कांग्रेस ने हिंदु विरोधी चेहरे को जग जाहिर किया है। भगवान श्रीराम राष्ट्र के गौरव है। कांग्रेस के आलाकमान सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी सहित समस्त सहयोगी दल कभी चाहते ही नहीं थे कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बने। वे तो यहां बाबरी मस्जिद को फिर से बनाना चाहते थे। ऐसी मानसिकता की हिन्दू समाज को सामूहिक बहिष्कार करना चाहिए।

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