
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। वैवाहिक सीजन विशेषकर रामनवमीं तथा अक्ती यानी अक्षय तृतीया को अभी भी ग्राम्यांचल में छोटी उम्र में विवाह करने की प्रक्रिया है। जिसे बाल-विवाह कहा जाता है। बाल विवाह यानी वर का उम्र 21 वर्ष एवं वधु की उम्र 18 वर्ष से कम होती है जिसे कानूनन गंभीर अपराध माना जाता है। इस असमाजिका रूढ़िवादी रिवाज को सख्ती पूर्वक रोकने जिला प्रशासन के निर्देश पर फिंगेश्वर-राजिम अनुविभाग में अनुविभाग स्तर पर एसडीएम अर्पिता पाठक ने अपने नेतृत्व में बाल परियोजना अधिकारी कौशलेन्द्र देवांगन अनुविभागीय अधिकारी पुलिस पुष्पेन्द्र नायक, जनपद पंचायत फिंगेश्वर के सीईओ अजय पटेल तहसीलदार गैंदलाल साहू एवं खण्ड चिकित्सा अधिकारी की टीम बनाई है। इसी तरह ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव, पंचायत अंतर्गत शाला के प्राचार्य, रोजगार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, मितानीन, महिला स्व सहायता समूह के कार्यकर्ता, कोटवार एक छात्र एवं एक छात्रा के साथ गणमान्य ग्रामीण को टीम में रखा गया है। यह टीम अपने अपने क्षेत्र में संभावित अथवा जानकारी मिलने पर बाल विवाह को रोकने निगरानी करेंगे। एसडीएम अर्पिता पाठक ने बताया कि इस वर्ष 17 अप्रैल रामनवमी एवं 10 मई अक्ती का पर्व है। इस दिन हमारे अंचल में बालविवाह होने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। जो कि कानून गंभीर अपराध है। साथ ही अन्य वैवाहिक मूहूर्त में भी बाल विवाह हो सकते है। इन्हें रोकने अनुविभाग एवं पंचायत स्तर पर सधन निगरानी रखी जाएगी। ताकि ऐसे रूढ़िवादी कृत्य को सख्ती पूर्वक रोका जाए। उन्हांने बताया की ऐसे मामले में समझाईश के बाद भी न मानें जाने पर परिवार के लोगों, विवाह कराने वालों, वैवाहिक रस्म करवाने वाले पंडित, बाजे वाले, सजावट आदि करने वाले टेंट वालों उपसिथत रिश्तेदारों आदि के विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की जावेगी। एसडीएम अर्पिता पाठक ने अंचलवासियों से भी इस प्रकार के बाल विवाह किए जाने, जानकारी मिलने आदि पर उसे रोकने एवं प्रशासन को जानकारी दिए जाने की अपील की है।