मतदान के दिन भी रेत का अवैध परिवहन धड़ल्ले से हुआ, सभी वाहनें जांच नाके में रोके जा रही थी, सिवाय रेत वाहनों के

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। अंचल में रेत की तस्करी को रोकने में माना जा सकता है कि जिला प्रशासन नकारा सिद्ध हो रहा है। मतदान के दिन भी इतनी ज्यादा सख्ती एवं लगातार अधिकारियों की लालबत्ती वाहनों रातभर दौड़ती रही परंतु न जाने कौन सा अलादीन का चिराग रेत माफियों को मिला हुआ है कि रेतों से भरी हाईवा वाहनें सैकड़ों की संख्या में दौड़ती ही रही। जबकि लोकसभा चुनाव के नाम पर अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने, उन्हें पकड़ने के लिए जगह जगह जांच चौकियों में मुस्तैदी से वाहनों को चेक करते देखा गया परंतु जिला प्रशासन हों, जनप्रतिनिधि हो अथवा भ्रष्टाचार की राह हो इन नाकों से रेत गाड़िया पूरी मस्ती के साथ पार होती रही। मालूम पड़ा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अंचल में 100 से ज्यादा टीमें पूरे दल बल के साथ ड्यूटी पर तैनात है। परंतु इसके बाद भी रेत की गाड़ियों की आवाजाही बदस्तूर जारी रही है। विशेष कर रात्रि में फिंगेश्वर विकासखंड के चारों तरफ से राजिम एवं महासमुंद रास्तों से सैकड़ों की संख्या में रेत वाहनें धड़ल्ले से महानगरों की ओर आ-जा रही है। परंतु अभी तक किसी भी चेक पोस्ट में रेत गाड़ियों पर कार्यवाही की सूचना नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि रेत सिंडीकेट जिला प्रशासन पर हावी है। चुनाव के दौरान आम नागरिकों को जांच नाकों से जरूर परेशानी है परंतु रेत से भरी वाहनों के लिए तो चुनाव का समय स्वर्णीम अवसर बन पड़ा है। इससे यह स्पष्ट है कि रेत माफिया को राजनेताओं का खुल्लम खुल्ला संरक्षण है। ये कितना भी अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन एवं अवैध कमाई कर सकें इन्हें पूरी छूट देने के विशेष मिला है। इन दिनों पूरे अंचल में 24 घंटे जांच दलों की तीन शिफ्टों में ड्यूटी चल रही है। परंतु रेत का अवैध परिवहन धड़ल्ले से चल रहा है। इन अवैध गतिविधियों के बारे में और कितना कहा जाए समझ से परे है।

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