23 साल बाद अक्षय तृतीया पर नहीं है विवाह का मुहुर्त, नहीं बजेगी शहनाई

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। बिना शुभ अशुभ देखे शुभ कार्य करने का दिन अक्षय तृतीया, अक्ती, परशुराम जयंती आदि नाम से जाने वाले दिन में इस वर्ष किसी भी शुभ कार्य को नही करने का पंचाग में उल्लेखित निर्देश लोगों के लिए असमंजस उत्पन्न कर दिया है। इस शुभ दिन को पूजा कर मुहुर्त मान शुभ काम करने लोग बकायदा पत्रिका आमंत्रण छपवाकर बांट रहे है। हिन्दी पंचागों के अनुसार इस वर्ष 28 अप्रैल के बाद लगातार 51 दिनों तक शुभ मुहुर्त नहीं है। यानी अब बैशाख एवं जेठ में विवाह नहीं होना कहा जा रहा है। जबकि अंचल में अभी मई के प्रथम सप्ताह एवं 10 मई अक्षय तृतीया के दिन आमंत्रण बांटे जा रहे है। अक्षय तृतीया अपने आप में बिना देखे जानें शुभ दिन माना जाता है। इस दिन छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा शादी होने का रिवाज है। बिना पंचाग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूत अक्षय तृतीया को माना जाता है। लगभग 23 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले शुक्र और गुरू तारा अस्त होने से इस दिन विवाह मुहुर्त नहीं है। हालांकि अक्षय तृतीया को महामुहुर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे। खास बात यह है कि हर साल गर्मी के दिनों में मई और जून महीने में सबसे ज्यादा विवाह मुहूर्त होते है लेकिन इस साल मई-जुन में विवाह मुहुर्त नहीं है। पंडितों के अनुसार अक्षय तृतीया पर गुरू तारा अस्त रहेगा। इससे पहले सन 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था। इस साल संवत 2081 में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक गुरू तारा अस्त रहेगा। अंग्रेजी वर्ष के अनुसार गुरू तारा सात मई से 31 मई तक अस्त रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान, गुण दोष मिलान किया जाता है। इसके अलावा गुरू और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। यदि आकाश मंडल में गुरू और शुक्र ग्रह उदितमान हो तो ही विवाह के शुभ मुहुर्त होते है। यदि ये ग्रह अस्त हो तो विवाह के लिए मुहुर्त नहीं होता। दोनों ग्रह के अस्त होने से मई-जून में विवाह के फेरे नहीं लिए जा सकेंगे। वैशाख कृष्ण चतुर्थी 28 अप्रैल से आषाढ़ कृष्ण अमावस्या पांच जुलाई तक शुक्र तारा अस्त रहेगा। इसी बीच बैशाख कृष्ण चतुर्दशी सात मई से ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी 31 मई तक गुरू तारा अस्त रहेगा। गुरू व शुक्र तारा अस्त होने से शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे। हालांकि वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को महामुहुर्त कहा गया है जो 10 मई को है। इस दिन गुरू शुक्र तारा अस्त होने से मुहूर्त नहीं है लेकिन अबूझ मुहुर्त माने जाने से विवाह किया जा सकता है। अक्षय तृतीया जो छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा उच्च के होते है। सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होते है। इसीलिए अक्षय तृतीया को अबूझ मुहुर्त कहा जाता है। अक्षय तिथि अर्थात जिस तिथि का कभी क्षय नहीं होता।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *