
गरियाबंद जिला में “सत्ताधारी चिरकुट नेताओं” के संरक्षण प्राप्त रेत चोरों का आतंक जारी, खनिज अधिकारियों के बाद अब खबर कवरेज करने गए पत्रकार की कर दी पिटाई
विधान सभा चुनाव में ही तय हो चुका था कि कौन रेत चोर कहा से चोरेगा रेत?
गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। सरकार किसी भी पार्टी की हो गरियाबंद जिला में अवैध रेत खनन को रोकना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया हैं।तत्कालीन भूपेश सरकार के समय रेत माफियाओं का नग्गा नाच पांच सालों तक चलते रहा और कर्ज में डूबे छत्तीसगढ़ का राजस्व की खुले आम लूट मचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया।अब छत्तीसगढ़ मोदी गारंटी के साथ भाजपा नीत “विष्णु” सरकार है सत्ता पर काबिज हुए चार माह भी पूरे नही हुए है और चिरकुट नेताओं का संरक्षण प्राप्त रेत चोरों का आतंक जिला गरियाबंद में फिर देखने को मिल रहा हैं।जिसे देख कर लगता हैं की छत्तीसगढ़ में मोदी गारंटी की हवा निकल गई हैं?गरियाबंद जिले में अवैध रेत खदान धडल्ले से जारी है।राजिम से लेकर देवभोग तक अवैध रेत खनन से रोजाना प्रशासन को हजारों रुपए की रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है।हालाकि छत्तीसगढ़ राज्य से भूपेश की भ्रष्ट सरकार तो जनता ने उखाड़ फेका हैं किंतु भ्रष्ट नौकरशाह आज भी अपनी कुर्शियो में चिपके हुए है जिसका नतीजा यहा है कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में प्राकृतिक संसाधनों को गिद्ध की तरह नोचने वाले माफिया अपने सियासी रसूख की बदौलत खुलेआम नदियों का सीना चीर कर रेत का अंधाधुंध अवैध खनन करते रहते हैं।सवाल उठता है कि आखिर छत्तीसगढ़ में कब तक चलता रहेगा अवैध रेत उत्खनन व परिवहन का कार्य? कब तक सत्ता पक्ष व विपक्ष के लोग गुंडागर्दी,दादागिरी,मारपीट,खौफ व प्रभाव का इस्तेमाल कर रेत और गौण खनिज का उत्खनन अवैध तरीके से करते रहेंगे। दिनरात चैन माउंटेन(पुकलेण्ड)से रेत की अवैध खुदाई कर सैकड़ों ट्रीप परिवहन हो रहा है।जिसके चलते कर्ज में डूबे छत्तीसगढ़ का राजस्व को एक बड़ी हानि हो रही हैं तो वंही एनजीटी के सारे नियमो और सारे कानून कायदा को सरेआम ठेंगा दिखाते हुए चैन माउंटेन मशीन से नदीयों का सीना छलनी किया जा रहा है और जिम्मेदार मौन साधे हुए है। दिनदहाड़े कानून की धज्जियां उड़ाते हुए हो रहे रेत के अवैध कारोबार में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों,ओहदे पदो पर बैठे जिम्मेदारों सहित छुट भैया और चुरकुट नेताओं का नाम सामने आ रहा है।जिसके वजह से प्रशासन अपना रोना रोने में लगे है।गरियाबंद में हो रहे रेत के गोरखधंधे का तार रायपुर के ओहदेदार पदो पर विराजमान जिम्मेदार से जुड़ने का खबर सामने आ रहीं हैं जो कि अवैध रेत खनन पर खनन माफियाओं को जिला प्रशासन की खुली छूट मिली हुई है।नतीजन सरकार को लाखो रुपए का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।गौरतलब है कि शासन द्वारा अवैध रेत खनन रोकने तरह-तरह के नियम बनाकर प्रशासन को लगातार निर्देश दे रहे है।तो दूसरी ओर गरियाबंद जिले में जिला प्रशासन कि नाक के नीचे खुलेआम नियमों को ताक में रखकर नदीयों में रेत खनन का अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है।इस पूरे मामले में जिम्मेदार की संलिप्तता,तगड़ी सेटिंग और चोरों को खुला संरक्षण साफ तौर पर नजर आ रहा है।जिसके कारण बेरोकटोक रेत की अवैध खुदाई और परिवहन लगातार जारी है।कभी कभार दिखावे की कार्यवाही कर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते है।खनन माफिया की पहुंच और पैसों के दम पर सारे नियम और कानून कायदों को जेब में रख लिए है।जिसे प्रशासन भी रोकने में बेबस नजर आ रहे है।जिसके कारण खनन चोरों की दबंगई खुलकर सामने आ रहा है।
अवैध रेत खुदाई में खनन चोरों को संरक्षण के चलते इनके हौसला इतना बुलंद है कि इसे किसी भी कानून का डर नहीं है।जिसके कारण बेधड़क चैन माउंटेन से रेत खुदाई कर कानून के विपरीत कार्य कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में भी कोई गुरेज नहीं कर रहे है।बताना लाजमी होगा कि गरियाबंद जिले की पैरी और महानदी के 8 अवैध घाट में 14 चेन माउंटेन से चौबीसो घंटे अवैध रेत परिवहन हो रहा हैं।500 से ज्यादा ट्रिप रेत का अवैध परिवहन धडल्ले से हो रहा।l हैं चोरों का हौसला इतना बुलंद की कवरेज के लिए गए यूट्यूबर की पिटाई कर दी गई। बड़ा सवाल यहा हैं कि रेत चोर राजिम की सत्ताधारी राजनीति का पर्याय बना हुआ है।पैरी और महानदी का सीना चीर सिस्टम को ठेंगा दिखा रहे रेत चोरों,इस इलाके में हथखोज का एक खदान भर माइनिंग से अधिकृत है लेकिन यहा पैरी के सिंधोरी, महानदी के पिताईबंद, चौबेबांधा,परसदा जोशी में 9 से ज्यादा घाट बनाए गए हैं जहा 14 चेन माउंटेन मशीन लगाई गई है जिससे रोजाना अवैध खनन चल रहा है।अंदरूनी इलाके के छोटी बस्तियों से निकल कर रेत से भरे हाईवा नेशनल हाइवे में दौड़ रायपुर भिलाई जैसे महानगरों तक बगैर किसी वैध दस्तावेज के जा रही है।इसके एवज में खदान संचालक 4500 से लेकर 7800 रुपए तक वसूल रहे है। रोजाना 400 से 500 ट्रिप हाईवा रेत निकाला जा रहा है।दबाव बना या दुर्घटना हुई तो कार्यवाही दिखाने 7,8 हाईवा की जप्ती माइनिंग विभाग दिखा कर खाना पूर्ति कर देते हैं।धमतरी जिले से भी ज्यादा रेत अब गरियाबंद से परिवाहन होने लगा है। राजस्व के कुछ अफसर ईमानदारी से कार्यवाही भी करने फील्ड पर उतरते हैं पर उन पर सिंडीकेट राजनीति पावर के बूते नकेल कस दिया जाता है।एक वायरल विडियो में रेत घाट के सिंडीकेट के पीछे सत्ताधारी संगठन के जनप्रतिनिधियों का नाम तक गिनाया जा रहा है।मौजुदा स्थिति और बिना रोक टोक के चल रहे खदान इस रेत के सिंडीकेट को राजनीतिक सरंक्षण की पुष्टि भी करता है।
कवरेज के लिए गए तो होगी पिटाई
सिंडीकेट अपनी करतूत ढकने के लिए गुर्गे भी फैला रखे हैं।घाट के आने जाने वाले रास्तों में कई नकाबपोश दिखेंगे,1 मई को सिंधोरी घाट में हो रहे अवैध निकासी का विडियो बनाने पहुंचे राजिम के यूट्यूब नागेंद्र निषाद की पिटाई कर दी गई,पिटाई का विडियो भी वायरल हो रहा है।पीड़ित के शिकायत के बाद राजिम पुलिस ने मामले में तत्काल कार्यवाही करते हुए मारपीट का मामल दर्ज हो भी के दिया है।नागेंद्र ने बताया की आज उसके मोबाइल पर कॉल आया जिसमे कॉलर ने अपने आप को एसपी ऑफिस से बोलना बताया ,जिसमे कहा गया कि जिसके खिलाफ शिकायत किया गया था वो लोग अब तुम्हे एट्रीसिटी लगा रहे। हालाकि बोलने के तरीके से नागेंद्र भी समझ गया है की उसे डराया जा रहा है।
परसदा जोशी हाई प्रोफाइल खदान, यहां 80 हजार घनमीटर रेत चोरी का मामला विस में गूंजा था
पूरे अवैध खनन में माइनिग व एन जी टी के नियमो की धज्जियां उड़ाई जा रही है, परशदा जोशी के पंचायत ने 30जनवरी 2021 में महानदी को बचाने रेत खदान आवंटित नहीं करने का प्रस्ताव भी पारित किया था,लेकिन आज पंचायत प्रतिनिधियों के मौन स्वीकृति में परसदा जोशी इलाके में 4 घाट चल रहा है।सबसे ज्यादा मशीने भी इसी पंचायत के घाटों में। बताया जाता है की सभी घाट में प्रभावशाली राजनीति की एंट्री है,लिहाजा सबसे सुरक्षित इसी खदान को माना जाता है, जहां कार्यवाही करने के लिए अफसरों को सोचना पड़ता है।जानकारी के मुताबिक रोजाना इस घाट से 225 से 250 ट्रिप तक रेत की निकासी होती है।पिछले वित्तीय वर्ष में महानदी के 9.80 हेक्टयर रकबे में हुए 80 हजार घन मीटर रेत चोरी का मामला ,विधायक धरम लाल कौशिक फरवरी में संपन्न हुए सत्र में उठा चुके हैं।इसी खदान में माइनिग कर्मियो की पिटाई भी हुआ था।
राजिम,रेत और राजनीति
यह जुगल बंदी भी वर्तमान हालात पर सटीक बैठता है।जिस दल की राजनीति में पावर है उसी दल के लोगो का सीधा कनेक्शन घाट से होता है।नाते रिश्तेदार के आलावा कई नाम सिंडिकेट में आ रहे है।कांग्रेस सत्ता काल में जो कांग्रेस का दामन थाम कर रेत की राजनीति में घुसे थे उनमें से कुछ नामचीन अब भाजपा में शमिल होकर रेत की राजनीति का रिनीवेल करवा लिया है।पैसे बटोरने के चक्कर में नदियों का हाल बदतर हो गया है,रेड जॉन में शामिल पैरी नदी के सिंधौरी घाट में अब 10 से 12 फिट गहरे खुदाई नजर आ रहे ।यही हाल महानदी के घाटों का है।
सदन में चिल्लम चोंट के बाबजूद भी छत्तीसगढ़ के नदी और नाले जिम्मेदारों ने किया रेत “चोरों”के हवाले
बताते चले कि छत्तीसगढ़ राज्य से भूपेश की भ्रष्ट सरकार तो जनता ने उखाड़ फेका हैं किंतु भ्रष्ट नौकरशाह आज भी अपनी कुर्शियो में चिपके हुए है जिसका नतीजा यहा है कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में प्राकृतिक संसाधनों को गिद्ध की तरह नोचने वाले माफिया अपने सियासी रसूख की बदौलत खुलेआम नदियों का सीना चीर कर रेत का अंधाधुंध अवैध खनन करते रहते हैं।सवाल उठता है कि आखिर छत्तीसगढ़ में कब तक चलता रहेगा अवैध रेत उत्खनन व परिवहन का कार्य? कब तक सत्ता पक्ष व विपक्ष के लोग गुंडागर्दी,दादागिरी,मारपीट,खौफ व प्रभाव का इस्तेमाल कर रेत और गौण खनिज का उत्खनन अवैध तरीके से करते रहेंगे। दिनरात चैन माउंटेन(पुकलेण्ड)से रेत की अवैध खुदाई कर सैकड़ों ट्रीप परिवहन हो रहा है।जिससे राजस्व को एक बड़ी हानि हो रही हैं तो वंही एनजीटी के सारे नियमो और सारे कानून कायदा को सरेआम ठेंगा दिखाते हुए चैन माउंटेन मशीन से नदीयों का सीना छलनी किया जा रहा है और जिम्मेदार मौन साधे हुए है। दिनदहाड़े कानून की धज्जियां उड़ाते हुए हो रहे रेत के अवैध कारोबार में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों,ओहदे पदो पर बैठे जिम्मेदारों सहित छुट भैया और चुरकुट नेताओं का नाम सामने आ रहा है।जिसके वजह से प्रशासन अपना रोना रोने में लगे है।गरियाबंद में हो रहे रेत के गोरखधंधे का तार रायपुर के ओहदेदार पदो पर बिराजमान जिम्मेदार से जुड़ने का खबर सामने आ रहीं हैं जो कि अवैध रेत खनन पर खनन माफियाओं को जिला प्रशासन की खुली छूट मिली हुई है।नतीजन सरकार को लाखो रुपए का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।गौरतलब है कि शासन द्वारा अवैध रेत खनन रोकने तरह-तरह के नियम बनाकर प्रशासन को लगातार निर्देश दे रहे है।तो दूसरी ओर जिला प्रशासन कि नाक के नीचे खुलेआम नियमों को ताक में रखकर नदीयों में रेत खनन का अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है।इस पूरे मामले में जिम्मेदार की संलिप्तता,तगड़ी सेटिंग और माफियाओं को खुला संरक्षण साफ तौर पर नजर आ रहा है।जिसके कारण बेरोकटोक रेत की अवैध खुदाई और परिवहन लगातार जारी है।कभी कभार दिखावे की कार्यवाही कर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते है।खनन माफिया की पहुंच और पैसों के दम पर सारे नियम और कानून कायदों को जेब में रख लिए है।जिसे प्रशासन भी रोकने में बेबस नजर आ रहे है।जिसके कारण खनन माफिया की दबंगई खुलकर सामने आ रहा है।
अवैध रेत खुदाई में खनन माफियाओं को संरक्षण के चलते इनके हौसला इतना बुलंद है कि इसे किसी भी कानून का डर नहीं है।जिसके कारण बेधड़क चैन माउंटेन से रेत खुदाई कर कानून के विपरीत कार्य कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में भी कोई गुरेज नहीं कर रहे है।बताना लाजमी होगा कि एक बार फिर
इन दिनों आरंग क्षेत्र के महानदी किनारे लगभग आधा दर्जन गांवों में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन धड़ल्ले से जारी है। रेत माफिया बेखौफ होकर दिन-रात ‘छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा’ कही जाने वाले महानदी से बेहिसाब रेत निकाल कर महानदी का अस्तित्व खतरे में डाल रहे है। वही महानदी के लगभग 03 किलोमीटर किनारे तक रेत का अवैध भंडारण किया गया है। सूत्रों के अनुसार इन जगहों पर राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।वही कुछ माह पहले हरदीडीह रेत खदान में खनिज विभाग की टीम को बंधक बनाने और मारपीट की घटना के बाद से डरी हुई खनिज विभाग की टीम भी बेबस और लाचार नजर आ रही है।अब देखने वाली बात है कि खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन कुंभकर्णी नींद से कब जागती है और क्षेत्र में हो रहे रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर कब ईमानदारी से कार्यवाही करती है।
पुनः चैन माऊटिंग से खनन एवं परिवहन प्रारंभ कर नियम कानून को अंगूठा दिखा रहे है एवं बकायदा फोन में व्हॉटसप के माध्यम से ट्रांसपोर्टरों को रेत लोडिंग की जानकारी एवं रेत लोडिंग की दर 10 चक्का हेतु 2200, 12 चक्का 2700, 14 चक्का 3200 एवं 16 चक्का 3700 तथा रॉयल्टी 10 घनमीटर की 2000, 12 घनमीटर 2500 दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों रेत माफिया विभागीय अधिकारी एवं राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत एवं सेटिंग कर धड़ल्ले से रेत उत्खनन कर लाखें रूपयों की अवैध कमाई कर रहे है। शिकायत करना, अनियमियता सार्वजनिक होना यह सब अपनी जगह होता रहता है। मामूली दिखावटी कार्यवाही के बाद फिर रेत माफिया अपनी नियमित अवैध उत्खनन एवं परिवहन में लिप्त हो जाता है। ग्रामीणों ने कहा कि रेत माफिया अधिकारियों से सेटिंग कर जब चाहें जहां चाहें मनमाने ढंग से अवैध खनन करते है और प्रतिदिन मनमाने ढंग से हाईवा गाड़ी से रेत का परिवहन कर जहां शासन को हजारों रूपयों की रायल्टी की चोरी तो करते है साथ ही पर्यावरण का नुकसान, ग्राम्यांचल की सड़कों के साथ साथ दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब एनजीटी ने सभी खदानों के एनओसी को रदद करते हुए खनन पर रोक लगा दी है। सिर्फ स्टॉक के परिवहन को अनुमति दी गई है। इसके बाद भी अवैध रूप से खनन दिन रात चल रहा है। उन्हीं रेत खदानों से बिना पिटपास के हाईवा में लोडिंग दी जा रही है। इतना ही नहीं बिना अनुमति के ही कई रेत घाटों से दिन रात अवैध खनन कर लाखों रूपए की रेत बेची जा रही है। शासन द्वारा रेत लोडिंग एवं रायल्टी का मूल्य 980 रूपए निर्धारित किया गया है। सभी रेत घाटों में 2500 से 3000 रूपए लोडिंग चार्ज लिया रहा है। रेत की रॉयल्टी का मूल्य 650 रूपए है। गाड़ी मालिकों से 2000 रूपए अतिरिक्त लिया जा रहा है। इसके बाद भी रॉयल्टी पर्ची नहीं दी जा रही है। बता दें कि खनिज विभाग की छूट के कारण जिले में अवैध रेत खनन अब भी तेजी से चल रहा है। इसकी वजह से अवैध परिवहन लगातार किया जा रहा है। रेत खदान की स्वीकृति संदेह के दायरे में है। रेत ठेकेदार ने बताया कि हम रेत भंडारण से रेत उठा रहे है। खनन का सवाल ही नहीं है। जबकि रेत माफिया कहने को तो भंडारण से रेत परिवहन बताते है परंतु मौका मिलते ही चैनमाऊटिंग से नदी के बीच में जाकर अवैध खनन किया जाता है। धड़ल्ले से काफी ऊंची कीमत में हाईवा लोड की जाती है। ग्रामीणों ने क्षेत्र के रेत खदानों में नियमानुसार खनन एवं परिवहन किए जाने की मांग की है। ताकि हर समय ग्रामीण संशय में न रहे। और अवैध खनन परिवहन में अंकुश रखा जा सकें।

कार्यवाही के बाद भी रेत चोर प्रशासन को दिखा रहा हैं ठेंगा
बताते चले की अंचल की रेत खदानों में मनमाने स्तर पर दिन रात 24 घंटे बड़ी बड़ी अनेकानेक चैन माऊंटिग मशीनों से धड़ल्ले से नदी के बीचों बीच पानी के अंदर से, स्वीकृत रकबा से कई कई एकड़ अनाधिकृत स्थानों से खनन एवं जब चाहें तब बड़ी बड़ी हाईवा वाहनों से किया जा रहा बेताहा मात्रा में रेत का परिवहन इन दिनों क्षेत्र की सुर्खियों में है। इस तरह खुले आम बड़े बड़े जनप्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों, पुलिस, खनिज विभाग के नाक के नीचे किया जा रहा यह अवैध एवं अनैतिक कृत्य रेत माफिया अपने दम पर कर रहा हो यह संभव प्रतीत नहीं होता। यदा-कदा झुटपुट कार्यवाही, ग्रामीणों की शिकायत, छत्तीसगढ़ सरकार को अवैध खनन के नाम पर कोसती मिडिया की हेडलाईन के चलते अधिकारी कार्यवाही की औपचारिकता तो करते है। परंतु ऐसी बनावटी और दिखावटी कार्यवाहियों से अभ्यस्त रेत माफिया रूकने का नाम नहीं ले रहे है। इन दिनों आरंग क्षेत्र रेत चोर अवैध खनन तथा परिवहन के मामले में सारी हदें पार कर रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां लंबे समय से स्वीकृत रेत खदान काफी अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के बल पर निर्बाध रूप से चल रही है। क्षेत्र में बेदर्दी से खनन किया जा रहा है। एक-दो नहीं दर्जनों बड़ी बड़ी चैन माऊटिंग से लगातार 24 घंटे खनन कर प्रतिदिन बड़ी मात्रा में हाईवा गाड़ी भरी जा रही है। ग्रामीणों ने कहा कि रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद है कि ग्रामीणों की कोई भी बल, शिकायत, कठिनाई समझता तो दूर सुनना ही नहीं चाहते। मनमाने जहां चाहे वहां खनन से नदी का स्वरूप ही बदलने लगा है। बरसात का पानी समीप के खेतों में गांव में घुसने की आशंका बढ़ती जा रही है। गांव वालो की बात कोई सुनने वाला नहीं है। अधिकारियों को कई कई बार शिकायत करो, कभी कभार अधिकारी औपचारिक कार्यवाही करने के प्रोग्राम से ही आते है। उनके जाने के दूसरे दिन से ही फिर वही अवैध खनन, मनमाना, परिवहन, दिन-रात 24 घंटे और ज्यादा बेदर्दी से खदान का दोहन शुरू हो जाता है। लगता है कि रेत माफिया शिकायत करने वालों को चिढ़ा रहा है और कार्यवाही से होने वाले नुकसान का कई गुना वसूल कर शासन को लाखों रूपयों का नुकसान पहुंचाने आपदा है। इतनी ज्यादा, इतनी बड़ी टैक्स चोरी में रेत माफिया को अधिकारियों की राह एवं मिलीभगत न हो ऐसा संभव प्रतीत नहीं होता। बीच नदी में खनन करती चैन माऊंटिग, हाईवा गाड़िया कई कई बार कार्यवाही के बाद भी अधिकारियों से सेटिंग के कारण हर बार मामूली कार्यवाही कर फिर उसी काम में लग जाती है। ग्रामीणों ने मांग की है कि अवैध खनन-परिवहन में पकड़ी गई गाड़ियों को राजसात जैसी सख्त कार्यवाही करने से ही इस प्रकार की अनियमियता पूर्ण गतिविधि से अंकुश लगाया जा सकता है। वरन इस प्रकार के कुत्ते बिल्ली के लुकाछिपी का खेल चलता ही रहेगा। जिसमें आर्थिक क्षति के साथ पर्यावरण की हानि तथा नदी का सीना छतनी होता ही रहेगा। रेत खदान में जब हमारे प्रतिनिधि ने चैन माऊटिंग देखा तो चैन माऊटिंग नदी के बीच में खड़ी थी और उसमें जब्ती किए जाने सील लगा हुआ था। इस बारे में जब खनिज अधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि अवैध खनन के कारण चैन माऊटिंग की जब्ती की गई है। जब अवैध खनन नदी के बीच में करते चैन माऊंटिग जब्त हुई है तो इसे राजसात क्यों नहीं किया जाता मात्र मामूली फाईन करके छोड़ दिया जाता है। इस बारे में खनिज अधिकारी ने कहा कि हम कोर्ट में यह सिद्ध नहीं कर पाते कि चैन माऊटिंग अवैध खनन के उद्देश्य से नदी में उतारी गई है। समझा जा सकता है कि मिलीभगत एवं भ्रष्टाचार की राह पर खनिज अधिकारी किस प्रकार की कार्यवाही करवाते है। इस मामले में यह स्पष्ट हो जाता है कि आरंग अंचल सहित पूरे छत्तीसगढ़ में अनेकों जगह पर चल रही रेत खदान के अवैध काम में अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह अवैध काम संभव नहीं है। आरंग अंचल में चल रही अवैध खनन में सख्ती पूर्वक कार्यवाही के लिए नवनिर्वाचित विधायक से ग्रामीणों ने तत्काल कार्यवाही करवाए जाने की मांग की है।
सत्ता बदली तो रेत चोरो ने चिरकुट नेताओं की ली शरण
बताते चले कि छत्तीसगढ़ राज्य से पूर्ववर्ती भूपेश की भ्रष्ट सरकार को तो जनता ने तो उखाड़ फेका हैं किंतु भ्रष्ट नौकरशाह आज भी अपनी कुर्शियो में चिपके हुए है।जो की अब भाजपा नीत “विष्णु सरकार” के लिए एक बड़ा सरदर्द बने हुए हैं।सत्ता परिर्वतन के बाद रेत चोरों की टीम भी बदल गई है।जिसका नतीजा यहा है कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में प्राकृतिक संसाधनों को गिद्ध की तरह नोचने वाले रेत माफिया भ्रष्ट अधिकारियों से सांठ गांठ बदौलत खुलेआम नदियों का सीना चीर कर रेत का अंधाधुंध अवैध खनन करते रहते हैं।सवाल उठता है कि आखिर कर्ज में डूबे छत्तीसगढ़ का राजस्व को कब तक लूटा जाएगा? अवैध रेत उत्खनन व परिवहन का कार्य? कब तक सत्ता पक्ष व विपक्ष के लोग गुंडागर्दी,दादागिरी,मारपीट,खौफ व प्रभाव का इस्तेमाल कर रेत और गौण खनिज का उत्खनन अवैध तरीके से करते रहेंगे? हथखोज में दिनरात चैन माउंटेन(पुकलेण्ड)से रेत की अवैध खुदाई कर सैकड़ों ट्रीप परिवहन हो रहा है।जिससे राजस्व को एक बड़ी हानि हो रही हैं तो वंही दूसरी ओर एनजीटी के सारे नियमो और सारे कानून कायदा को सरेआम ठेंगा दिखाते हुए चैन माउंटेन मशीन से महा नदी का सीना छलनी किया जा रहा है और जिम्मेदार मौन साधे हुए है। दिनदहाड़े कानून की धज्जियां उड़ाते हुए हो रहे रेत के अवैध कारोबार में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों,ओहदे पदो पर बैठे जिम्मेदारों सहित छुट भैया और चुरकुट नेताओं का नाम सामने आ रहा है।जिसके वजह से प्रशासन अपना रोना रोने में लगे है।गरियाबंद में हो रहे रेत के गोरखधंधे का तार रायपुर और भिलाई के ओहदेदार पदो पर बिराजमान जिम्मेदार से जुड़ने का खबर सामने आ रहीं हैं जो कि अवैध रेत खनन पर खनन माफियाओं को जिला प्रशासन की खुली छूट मिली हुई है।नतीजन सरकार को लाखो रुपए का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।गौरतलब है कि शासन द्वारा अवैध रेत खनन रोकने तरह-तरह के नियम बनाकर प्रशासन को लगातार निर्देश दे रहे है।तो दूसरी ओर गरियाबंद जिले में जिला प्रशासन कि नाक के नीचे खुलेआम नियमों को ताक में रखकर नदीयों में रेत खनन का अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है।इस पूरे मामले में जिम्मेदार की संलिप्तता,तगड़ी सेटिंग और भिलाई के रेत माफियाओं को खुला संरक्षण साफ तौर पर नजर आ रहा है।जिसके कारण बेरोकटोक रेत की अवैध खुदाई और परिवहन लगातार जारी है।कभी कभार दिखावे की कार्यवाही कर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते है।रेत चोरों की पहुंच और पैसों के दम पर सारे नियम और कानून कायदों को जेब में रख लिए है।जिसे प्रशासन भी रोकने में बेबस नजर आ रहे है।जिसके कारण रेत चोरों की दबंगई खुलकर सामने आ रही है।
अवैध रेत खुदाई में रेत चोरों को संरक्षण के चलते इनके हौसला इतना बुलंद है कि इसे किसी भी कानून का डर नहीं है।जिसके कारण बेधड़क चैन माउंटेन से रेत खुदाई कर कानून के विपरीत कार्य कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में भी कोई गुरेज नहीं कर रहे है। रेत खदान में छापेमारी के बाद भी रेत उत्खनन धड़ल्ले से चैनमाऊटिंग मशीन से शुरू हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों रेत चोर और विभागीय अधिकारी एवं राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत एवं सेटिंग कर धड़ल्ले से रेत उत्खनन कर लाखें रूपयों की अवैध कमाई कर रहे है। शिकायत करना, अनियमियता सार्वजनिक होना यह सब अपनी जगह होता रहता है। मामूली दिखावटी कार्यवाही के बाद फिर रेत माफिया अपनी नियमित अवैध उत्खनन एवं परिवहन में लिप्त हो जाता है। ग्रामीणों ने कहा कि रेत चोरों और अधिकारियों से सेटिंग कर जब चाहें जहां चाहें मनमाने ढंग से अवैध खनन करते है और प्रतिदिन मनमाने ढंग से हाईवा गाड़ी से रेत का परिवहन कर जहां शासन को हजारों रूपयों की रायल्टी की चोरी तो करते है साथ ही पर्यावरण का नुकसान, ग्राम्यांचल की सड़कों के साथ साथ दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते है। महा नदी में अवैध रूप से खनन दिन रात चल रहा है। उन्हीं रेत खदानों से बिना पिटपास के हाईवा में लोडिंग दी जा रही है। इतना ही नहीं बिना अनुमति के ही कई रेत घाटों से दिन रात अवैध खनन कर लाखों रूपए की रेत बेची जा रही है। शासन द्वारा रेत लोडिंग एवं रायल्टी का मूल्य 980 रूपए निर्धारित किया गया है। सभी रेत घाटों में 2500 से 3000 रूपए लोडिंग चार्ज लिया रहा है। रेत की रॉयल्टी का मूल्य 650 रूपए है। गाड़ी मालिकों से 2000 रूपए अतिरिक्त लिया जा रहा है। इसके बाद भी रॉयल्टी पर्ची नहीं दी जा रही है। बता दें कि खनिज विभाग की छूट के कारण जिले में अवैध रेत खनन अब भी तेजी से चल रहा है। इसकी वजह से अवैध परिवहन लगातार किया जा रहा है। धड़ल्ले से काफी ऊंची कीमत में हाईवा लोड की जाती है। ग्रामीणों ने क्षेत्र के रेत खदानों में नियमानुसार खनन एवं परिवहन किए जाने की मांग की है। ताकि हर समय ग्रामीण संशय में न रहे। और अवैध खनन परिवहन में अंकुश रखा जा सकें।
कलेक्टर के निर्देश के बाद भी नहीं रुक रहा अवैध रेत खनन


आपको बता दे की हाल ही में अवैध खनन को लेकर टास्क फ़ोर्स की बैठक में छत्तीसगढ के समस्त कलेक्टरों ने अधिकारियो को निर्देश देते हुए कहा था कि अवैध रेत व मुरूम की खुदाई पर पुलिस विभाग के साथ टीम बनाकर कार्यवाही करे।लेकिन कलेक्टरों के निर्देश और आदेश का पालन नहीं हो रहा है। छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में में जगह जगह अवैध खनन से जंहा शासन को राजस्व की क्षति हो रही है तो वहीं पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है।दूसरी ओर खनिज विभाग रेत चोरों और रेत के अवैध कारोबार में जुड़े नेताओं के दबाव का दंश भी झेल रहा है।ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इन खनन माफियाओं को आखिर सरंक्षण कौन दे रहा है ?क्या इस अवैध कारोबारियों पर कोई कानून लागू नहीं?ये सवाल भी अब छत्तीसगढ़ कि जनता पूछ रही है।क्षेत्र में रेत चोर रातों में सक्रिय हो जाते है और रात भर नदियों से पुकलेण्ड मशीन से लोडिंग कर रेत चोरी करते हैं और सुबह होते ही नदी से मशीन निकाल ली जाती हैं। रेत को जमाकर मनमाने दाम पर बेचकर भारी अवैध मुनाफा लिया जा रहा है।रेत चोरों की इन हरकतों से खनिज विभाग को इन दिनों रेत की रायल्टी का जबरदस्त नुकसान हो रहा है,और ऐसा भी नही की प्रशासनिक अमला को इसकी जानकारी ना हो सारा खेल जिम्मेदारों की जानकारी में होने के बाबजूद भी रेत चोरी का खेल धड़ल्ले से जारी हैं जिससे रोजाना सरकार को लाखों रुपये का चूना लग रहें है।मिली जानकारी के अनुसार आरंग क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली नदियों के किनारे बसे रेत चोरों की नजर अब हर वर्ष की तरह रेत का नियमों को धता बताकर अवैध खनन कर डंपिंग कर भारी मूल्य में बेचकर चांदी नहीं बल्कि सोना काटने पर उतारू है। हर वर्ष की तरह खनिज विभाग भी इन रेत चोरों पर लगाम लगाने की तैयारी में उडनदस्ता तैयार किया है उसके बाबजूद भी रेत चोरों द्वारा भी तु डाल-डाल तो मैं पांत -पांत कहते हुए भारी मात्रा में अवैध खनन लगातार किया जा रहा है।प्रशासन द्वारा रेत की खुदाई बंद करने का आदेश खनिज विभाग के लोग मानने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि रेत चोरों के साथ सांठगांठ कर अनेक गांव में अभी भी धड़ल्ले के साथ नदी से रेत की खुदाई और अर्वध परिवहन दोनों ही चल रहा है।ग्रामों में तो और भी हद हो गई है।वहां गांव के सरपंच और पंचों द्वारा मना करने के बावजूद रेत चोर तथा उनके छूट भैये चिरकुट नेता पूरी तरह से दादागिरी करते हुए नदी से रेत निकालने का काम खुलेआम कर रहे हैं।खनिज विभाग के अधिकारियों को अवैध रेत उत्खनन तथा अवैध परिवहन दोनों की ही पूरी जानकारी रहती है।लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है।इससे स्पस्ट होता है कि रेत चोरी का सारा खेल में खनिज विभाग के अधिकारी की सांठगांठ से सारा खेल खेला जा रहा हैं वंही राजस्व विभाग का भी अपना शेयर तय हैं जानकारी होने के बाबजूद राजस्व विभाग भी मूकदर्शक बना हुआ हैं।वहीं दूसरी ओर रेत चोरों द्वारा अवैध उत्खनन रोकने वालों के खिलाफ ही थाने में फर्जी शिकायतें दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है।तो कंही पत्रकारों को भी धमकी दी जा रही है। खनिज विभाग की छत्रछाया में चल रहे इस धंधे के कारण जिला प्रशासन कि न केवल छवि खराब हो रही है।वरन उसकी बदनामी भी हो रही है।
विधानसभा में उठा था अवैध रेत खनन का मुद्दा, धरमजीत सिंह ने किया था बड़ा दावा कि अभी चलिए अगर रेत खदान में मशीन नही हुआ तो मैं इस्तीफा दे दूंगा



छत्तीसगढ़ में हो रहे रेत के अवैध खनन और परिवहन का मुद्दा विधानसभा में जमकर गूंजा था।कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश द्वारा उठाये सवाल पर धरमजीत सिंह ने सरकार को घेरते हुए रेत खदानों में ठेकेदारों की मनमानी का आरोप लगाया था धरमजीत सिंह ने चुनौती देते हुए कहा था कि मंत्री जी अभी हेलिकाॅप्टर मंगवा लिजिये और रेत घाट का सर्वे करवा लीजिए….अगर 200 पोकलेन मशीन नदी में नही होंगे तो मैं विधानसभा से इस्तीफा दे दूंगा।धर्मजीत सिंह ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार ने रेत का बड़ा खेल खेला है।घाटों का अधिकार पूर्व की तरह पंचायत को देने की जरूरत है। इसके अलावा 15 दिनों तक लगातार कार्रवाई करने की जरूरत है।गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिले में आज भी रेत घाटो पर माफियाराज हावी है।प्रदेश के अधिकांश घाट विधिवत अनुमति नही मिलने के कारण बंद है। वावजूद इसके इन बंद पड़े घाटों पर ठेकेदार और खनन माफिया माइनिंग और पुलिस के संरक्षण में अवैध खनन धड़ल्ले से कर रहे है।आज विधानसभा में पामगढ़ से कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश ने इस मामले पर मुख्यमंत्री से सवाल किया था।मुख्यमंत्री के बदले वित्त मंत्री ओ.पी.चैधरी अवैध रेत खनन और परिवहन पर हुए कार्रवाई की जानकारी दे रहे थे।इसी दौरान बीजेपी विधायक धरमजीत सिंह ने अवैध रेत खनन के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाये थे धरमजीत सिंह ने पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप लगाया था कि पिछली सरकार ने निगम और पंचायत द्वारा चलाये जाने वाले रेत घाटों का निविदा कर ठेकेदारों को दे दिया गया। जिनके द्वारा सारे पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर जमकर अवैध रेत खनन किया गया धरमजीत सिंह ने आरोप लगाया था कि ये समस्या सिर्फ जांजगीर जिला का नही बल्कि प्रदेश के अधिकांश जिलों का है। उन्होने सदन में चुनौती देते हुए कहा कि मंत्रीजी अभी हेलिकाॅप्टर मंगवा लिजिये और सर्वे करा लिजिये। अभी अगर 200 पोकलेन नदी घाट पर नही मिलेंगे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।विधानसभा में सवाल उठाते हुए धर्मजीत सिंह ने मंत्री से मांग की थी कि क्या?वे आगामी 15 दिनों तक अवैध खनन में लगे पोकलेन मशीनों की जप्ती कार्रवाई के एक्सलिए आदेश करेंगे क्या ?इसके साथ ही धरमजीत सिंह ने सरकार से रेत घाटों को ठेकेदार और बाहुबलियों के कब्जे से वापस लेकर ग्राम पंचायत और नगर निगम को देने की अपील की थी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
फागुलाल नागेश,जिला खनिज अधिकारी गरियाबंद से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि मारपीट की घटना हमारे संज्ञान में नहीं है,यदि वहा अवैध घाट चलाया जा रहा होगा तो हम कार्यवाही करेंगे।सयुक्त टीम द्वारा लगातार कार्यवाही किया जा रहा है।रेत परिवाह में लगे आज 16 वाहन को जप्त किया गया है।जिसमे 14 राजिम तो 2 फिंगेश्वर थाना के सुपुर्द किया गया है।