कुम्हारों के हाथों से बना देशी फ्रीज ‘‘मटका‘‘ बना इन दिनों सबकी पहली पसंद

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। सूर्य देवता की प्रचंडता लगातार बढ़ रही तपन एवं लोगों के सूख रहे कंठ की ठंडकता की तलाश को चाहें घर हो बाजार हो ऑफिस हो दुकान हो सभी जगह तपता मिल रही है। देसी फ्रीज के ठंडे पानी से इन दिनों बाजार में देशी फ्रीज यानी लाल मटके की मांग तेजी से बढ़ रही है। चाहें गरीब हो या अमीर सभी इन दिनों लाल मटके के लिए घर की ओर जाते दिख रहे है। इन दिनों गर्मी बढ़ने के साथ देसी फ्रीज कहे जाने वाले मिटटी घड़ा की मांग एवं बिक्री बढ़ गई है। ज्यादातर घरों में फ्रीज का उपयोग होना आम बात हो गई है फिर भी गर्मी के दिनों में घड़ा की मांग अधिक रहती है। कहा जाता है कि घड़ा के ठंडे पानी की मिठास बेहतर होती है। वर्तमान में घड़े की कीमत अधिक है। कुम्हारों ने बताया कि घड़ो बनाने के लिए अच्छी क्वालिटी की मिटटी कम मिलती है तथा मेहनत एवं इसे पकाने में लागत बढ़ गई है। जिससे कीमत में इजाफा हो गया है। घड़ा वर्तमान में 50 से 100 रू. तक में बिक रहा है। आगामी 10 मई दिन शुक्रवार को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जायेगा। पर्व पर घड़ा की मांग बढ़ेगी। इस पर्व पर जाल भर कर घड़़ा दान करने की परंपरा है। इसी दिन से नया घड़ा में पानी पीना शुरू किया जाता है। नगर में स्थित छोटी से लेकर बड़ी दुकानों पर भी व्यापार में गर्मी के चलते दोपहर में कमी ही रहती है। सुबह जल्दी और देर शाम को ठंडा समय होने के बाद ही बाजार में हलचल की ही संभावना दिखाई पड़ रही है। ग्राहकी भी सुबह और शाम के समय ही हो पा रही है। दोपहर में तेज गर्मी के चलते लोग घरों में कैद होने को मजबूर है और आदमी जहां भी रहें, मटका का पानी सभी को सभी जगह तृप्ती एवं ठंडकता प्रदान कर रहा है।

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