
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग ने मार्गदर्शन में फिंगेश्वर-राजिम अनुविभाग बाल संरक्षण टीम ने अक्षय तृतीया में बाल विवाह होने की संभावना को देखते हुए बाल विवाह की रोकथाम के लिए तैयारी शुरू कर दी है ताकि क्षेत्रान्तर्गत अंतर्गत कहीं भी बाल विवाह ना हो सके। इसके लिए हर ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव को फोन करके सूचित कर दिया है कि उनके गांव में कोई भी बाल विवाह ना होने पाए अगर ऐसे किसी द्वारा किया जाता तो तत्काल बाल विवाह रोकते हुए उसकी सूचना कार्यालय को प्रदान करें। फिंगेश्वर-राजिम अनुविभाग की एसडीएम अर्पिता पाठक ने कहा कि ग्राम में कोटवारों से मुनादी कराया गया है। महिला समूह एवं किशोरी बालिकाओं का समूह बनाया गया है ताकि उनकी या सहेलियों का विवाह नाबालिक अवस्था में हो तो वे सब तत्काल सूचित करें। साथ ही परियोजना अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, संबंधित गांव के पुलिस थाना प्रभारी, सुपरवाइजर, चाइल्ड लाइन टीम, सभी को सतर्क कर दिया गया है। एसडीएम अर्पिता पाठक ने बताया कि वैसे तो जिला बाल संरक्षण टीम सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह हमेशा रोकते आ रही है परंतु रामनवमीं एवं अक्षय तृतीया पर विशेष अभियान चलाया जाता है जिसके लिए सूचना तंत्र को मजबूत कर दिया गया है एवं सभी गांवो में टीम बनाकर सतर्क कर दिया गया है। अनुविभाग स्तर पर पांच लोगों की टीम तैयार रहेगी जैसी कहीं सूचना प्राप्त होगी वह बाल विवाह को रोकने हेतु निकल पड़ेंगे। उन्होंने बताया कि वह मौके पर जाकर परिजनों को समझाइस देते है बाल विवाह के दुष्परिणामों को बताते है। कानूनन वह एक अपराध है बाल विवाह कोई करता है माता पिता सहित उसमें यदि कोई सम्मिलित होता है तो पंडित के साथ सभी परिजन को भी 1 साल का जेल और दो लाख जुर्माने की सजा का प्रावधान है जिस पर परिजन समझ जाते है और शपथ पत्र एवं घोषणा पत्र लिखकर देते है यदि उसके बाद भी कोई बाल विवाह करता है तो इसके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराया जाता है। उन्होंने समाज प्रमुखों से भी अपील की है कि इस कुप्रथा को बंद करने में शासन की मदद करें एवं लड़कियों की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के को उम्र 21 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् ही विवाह करें ताकि किसी नाबालिक बच्चे का भविष्य बर्बाद न हो सके।