
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। इस वर्ष मौसम के उतार चढ़ाव की सबसे ज्यादा मार सब्जी एवं फलों के उत्पादन एवं क्वालिटी पर पड़ी है। मार्च के प्रारंभ में आम के पेड़ो में बौर की शानदार दिख रही स्थिति से बंफर आम का उत्पादन होने की संभावना बताई जा रही थी। अपनी मिठास के लिए जाना जाने वाला फलों का राजा आम मौसम की मार झेल रहा है लगातार बदलते मौसम की वजह से आम की फसल में इस साल 50 प्रतिशत तक की गिरावट आने की आशंका है हर साल इस वक्त तक शहर में हर किस्म के भरपूर आम आ जाते थे। मौसम की आंखमिचौली फसलों के लिए अभिशाप बनती जा रही है। मौसम में हो रहे परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर फलों एवं सब्जी के उत्पादन पर पड़ रहा है। क्षेत्र में मौसम की बेरूखी से आम की फसल बर्बाद हो रही है। बेमौसम बारिश से फसल तो बिगाड़ी ही है फलों के राजा आम का भी हाल बेहाल कर दिया है। दशहरी, लंगड़ा, चौसा आम की फसल पर पानी फिरता दिख रहा है। उत्पादन कम रहा तो इस सीजन में आम के भाव ऊंचे रह सकते है। इस बार आम के बौर देख कर रिकार्ड उत्पादन की संभावना जातई जा रही थी पर बदलते मौसम ने आम की फसल को खराब कर डाला है। बसंत के आगमन के साथ ही उन्नत नस्ल के आम के पेड़ों पर लगे बौर से पेड़ों की रौनक बढ़ गई थी वहीं देसी प्रजाति के पेड़ पर में बौर आने शुरू हो गए थे। उम्मीद की जा रही है कि इस साल आम की फसल अच्छी होगी। हवा पानी के कारण बौर झड़ गए। जिससे आम के रसीले खटटे मिठे स्वाद में भी अंतर आने लगा है। इस वर्ष पेड़ों में बौर लगने के बाद बारिश होने के कारण बौर खराब हो गए थे। इस वर्ष आम के फल का बंफर उत्पादन की संभावना व्यक्त की जा रही थी। लेकिन आखरी समय में मौसम की बेरूखी से आम का फसल खराब हो गया है। जिससे किसानों को 50 से 60 प्रतिशत उत्पादन में गिरावट आ गई है। आम विक्रेताओं का कहना है कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष फसल अच्छी होने की संभावना थी और क्षेत्र के आम उत्पादक आम के पेड़ पर पर्याप्त बौर होने से संतुष्ट नजर आ रहे थे। बौर झड़ जाने के कारण आम के उत्पादक निराश नजर आ रहे है। मार्च में इतना अधिक उत्पादन पिछले कुछ वर्षो में नहीं देखा गया था। आम तौर पर आम का सीजन अप्रैल में शुरू होता है लेकिन इस बार कमाल हो गया। आम की खेती पर बेमौसम लू की भी मार पड़ी है। किसानों के मुताबिक इस बार फल बहुत अच्छा लगा था मगर पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश ने आम की फसल को लगभग चौपट कर दिया। मार्च के महीने में कई बार बारिश और आंधी आई तथा ओले भी पड़ गए। इससे आम के बौर झड़ गए। इस समय अभी तक वातावरण आम के लिए बहुत उपयुक्त नहीं है। कहीं कहीं पर आंधी की वजह से तो कहीं अत्याधिक तापमान और चल रही तेज लू की वजह से फलों का बहुत झड़ना देखा जा रहा है। ग्रामीण अंचल में पके देशी आम बहुत कम होने से अन्य आमों को काफी ऊंचे दरों में खरीदना पड़ रहा है। अचारी आम गांव के बाजारों में दिखने लगे है। पेड़ में पके देशी आम तो मानो गायब ही हो गए है। सैकड़ा में मिलने वाला देशी आम काटा बांट में तौलकर बेचा जा रहा है।