जिले में साढ़े 5 करोड़ का धान खरीदी केन्द्रों में बताया जा रहा डंप, जबकि केन्द्रों में या तो धान है ही नहीं या खराब धान पड़ा है ग्रामीण सोसायटीयों से खानगी वसूली की तैयारी, कैसे संभव होगी

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। खरीफ फसल का धान गांव गांव में सहकारी समिति के माध्यम से छ.ग. सरकार द्वारा प्रति एकड़ 21 क्विंटल एवं प्रति क्विंटल 3100 रू. के मान से 31 जनवरी 2024 तक खरीदा गया। छ.ग. में ग्रामीण सोसायटीयों ने अपनी पूरी क्षमता एवं नियम से छ.ग. सरकार के लिए धान खरीदा। ग्रामीण सोसायटी एक निश्चित राशि प्रति क्विंटल पर कमीशन लेकर धान क्रय करती है। धान खरीदी केन्द्र से जिला विपणन अधिकारी एवं खाद्य विभाग द्वारा धान खरीदी के 72 घंटे के अंदर खरीदे गए संग्रहित धान को कस्टम मीलिंग के लिए राईस मिलों एवं धान संग्रहण केन्द्रों में परिवहन कराना होता है। परंतु अब तक जबकि धान खरीदी 31 जनवरी को बंद होने के बाद लगभग 4 माह हो रहे है, छोटे छोटे गांवों की सहकारी संस्थाओं से खरीदे गए धान को नहीं उठाने से सभी सोसाटीयों में जहां धान की क्वालिटी खराब हो गई है वही बेमौसम वर्षा, तुफान तथा तेज गर्मी के कारण बोरे फटने, चूहों आदि के धान खाने इत्यादि के कारण धान की मात्रा भी काफी कम हो गई है। गरियाबंद जिले के 33 खरीदी केन्द्र में लगभग 17844.89 क्विंटल धान जिसकी कीमत 5,53,19500 हो रही आज की तारीख में कम अथवा खराब क्वालिटी के कारण केन्द्रों से उठाए नहीं जा रहे है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भावसिंग साहू ने कहा कि गांवों की छोटी छोटी सोसायटीयों जो किसानों के शेयर से बनी है, उन सोसायटीयों से धान साल्टेज की वसूली किए जाने का फरमान जिला प्रशासन द्वारा दिया गया है। जबकि दिखाया जा रहा धान साल्टेज अथवा क्वालिटी की खराबी का कारण समय सीमा के अंदर खरीदी केन्द्रों से धान का परिवहन न किया जाना ही है। जिसकी जिम्मेदारी जिला विपणन अधिकारी एवं खाद्य विभाग की होती है। फिर इसके लिए सोसायटीयों को कैसे जिम्मेदार मानकर उनसे वसूली का फरमान दिया जा रहा है। सोसायटीयों में तो खरीदी के ही दिन धान का कट्टा परिवहन के लिए तैयार रहता है। परिवहन समय पर किया जावें तो क्वालिटी एवं धान की कमी होने का प्रश्न ही नहीं उठता। 21 मई 2024 को जिले की प्राथमिक सहकारी सोसायटी में दिखाए गए धान के स्टाक में फिंगेश्वर विकासखंड की बोरसी एवं परसदाकला में ही सबसे ज्यादा धान स्टाक बताया जा रहा है। जबकि इन सोसायटी के प्रबंधकों ने बताया कि खरीदी केन्द्र में धान रखा हुआ है। राईस मिल वाले क्वालिटी का स्तर निम्न बताकर धान नहीं उठाए है। जबकि इन 4 माह में समय बेसमय वर्षा, तेज धूप, बारदाने के फटने एवं चुहों आदि के कारण धान की क्वालिटी में फर्क आया है। समय सीमा में धान उठ जाता तो यह परेशानी नहीं होती। सोसायटीयों तो छ.ग. सरकार के लिए कमीशन पर धान खरीदी करती है। फिर इस अनियमियता के लिए ग्रामीण सोसायटी को क्यों उत्तरदायित्व समझा जा रहा है। जिला कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भावसिंग साहू ने बताया कि यह गलती छ.ग. सरकार की है। और इसका खमिजाना ग्रामीण सोसायटीयों क्यों वहन करेगी। छोटे छोटे किसानों के शेयर से बनी इन ग्रामीण सोसायटीयों द्वारा इतना बड़ा नुकसान कैसे उठाया जाना संभव है। उन्होंने बताया कि फिंगेश्वर विकासखंड की बोरसी ग्रामीण सहकारी समिति द्वारा वसूली के शासन के फारमान के विरूद्ध न्यायालय जाने की तैयारी भी की जा रही है। भावसिंग साहू ने कहा कि मात्र 4-6 माह में ही छ.ग. की भाजपा सरकार का किसानों की हितैषी होने फर्दाफाश हो गया है।
दिनांक 21.05.2024 की स्थिति में उपार्जन केन्द्र में शेष धान की मात्रा

उपार्जन केन्द्र शेष धान
बोरसी 4557.40 क्विंटल
परसदाकला 1727.60 क्विंटल
चिचिया 1291.05 क्विंटल
घुमरगुड़ा 797.82 क्विंटल
बिनौरीभाठा 914.13 क्विंटल
सोरिद 354.91 क्विंटल
लचकेरा 1004.29 क्विंटल
कौंदकेरा 653.40 क्विंटल
पोलकर्रा 504.81 क्विंटल
रोहिना 301.20 क्विंटल
पोखरा 796.18 क्विंटल
बेलर 382.20 क्विंटल
कुण्डेलभाठा 589.20 क्विंटल
गुण्डरदेही 511.68 क्विंटल
देवरी 380.00 क्विंटल
भेजीपदर 304.06 क्विंटल
फिंगेश्वर 354.79 क्विंटल
तर्रा 302.40 क्विंटल
गोरघाट 143.08 क्विंटल
जेंजरा 382.86 क्विंटल
खड़मा 344.58 क्विंटल
गुरजीभाटा 173.78 क्विंटल
मैनपुर 187.32 क्विंटल
तेतलखुटी 202.30 क्विंटल
अकलवारा 151.60 क्विंटल
कोपरा 168.00 क्विंटल
रानीपरतेवा 124.28 क्विंटल
साजापाली 45.40 क्विंटल
कोयबा (बम्हनीझोला) 47.50 क्विंटल
लाटापारा 64.00 क्विंटल
सोहागपुर 52.69 क्विंटल
झरगांव 24.00 क्विंटल
धवलपुर 6.38 क्विंटल
कुलयोग-17844.89

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