
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
प्रयागराज (गंगा प्रकाश)। ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर एवं हिन्दूओं के सार्वभौम धर्मगुरु तथा हिन्दू राष्ट्र प्रणेता अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगदुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज अपने राष्ट्रोत्कर्ष अभियान में प्रयागराज पहुँचे हुये हैं। यहां पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। वे प्रयागराज में श्रीगोवर्द्धनमठ पुरी ओड़िशा से संबद्ध शिवगंगा आश्रम, रेलवे पुल के पास, न्यू झूंसी में 14 जून तक निवासरत रहेगें। निवास स्थल शिवगंगा आश्रम में ही प्रातः कालीन सत्र में पूर्वान्ह साढ़े ग्यारह बजे से भक्तजनों को प्रतिदिन दर्शन , दीक्षा एवं गोष्ठी में धर्म , अध्यात्म तथा राष्ट्र से संबंधित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होंगे। वहीं सायं कालीन सत्र में साढ़े पांच बजे से दर्शन के साथ ही संगोष्ठी में श्रद्धालुजनों को आध्यात्मिक संदेश श्रवण करने का सौभाग्य सुलभ होगा। गौरतलब है कि अपने राष्ट्र व्यापी जनजागृति अभियान में पूज्य शंकराचार्यजी देश की जनता को यह स्मरण कराते हैं कि विश्व में सबसे प्राचीन हमारी सनातन संस्कृति है और इसका अस्तित्व तब है जब से वर्तमान में प्रचलित अन्य किसी धर्म का उदय ही नहीं हुआ था। निष्कर्ष यह निकलता है कि सभी मनुष्यों के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिन्दू ही थे। पूज्य शंकराचार्यजी अपने संदेशों में उद्घृत करते हैं कि इस राकेट , कम्प्यूटर , मोबाइल और परमाणु बम के युग में भी हमारा सनातन वैदिक सिद्धान्त दार्शनिक , वैज्ञानिक और व्यावहारिक धरातल पर आज भी प्रासंगिक एवं सर्वोत्कृष्ट है। महाराजश्री प्रत्येक हिन्दू को आह्वान करते हैं कि छोटे छोटे प्रकल्पों के द्वारा ही हम भव्य भारत के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभा सकते हैं। जैसे प्रत्येक परिवार से समाज और राष्ट्र निर्माण में प्रतिदिन एक घंटा समय और एक रुपया अर्थदान संग्रहित कर उस राशि और समय का सदुपयोग अपने अपने क्षेत्रों को सुबुद्ध और स्वावलम्बी बनाने में कर सकते हैं। मठ मन्दिरों को शिक्षा , रक्षा , सेवा , शील सुचिता के केन्द्र के रूप में संस्थापित कर क्षेत्र में आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का कार्य होना चाहिये। सनातन संस्कृति एवं वर्णाश्रम व्यवस्था पर आधारित हमारी शिक्षा , रक्षा , भोजन , वस्त्र , व्यापार , कृषि , गोरक्ष्य , आवास , चिकित्सा , विवाह , यातायात , उत्सव त्यौहार आदि कि पद्धति आज भी विश्व के समस्याओं के समाधान में सक्षम है। आवश्यकता इस बात की है कि शास्त्र सम्मत सिद्धान्तों का परिपालन हो तथा तथा क्रियान्वयन की विधा भी वैदिक होनी चाहिये। पूज्य शंकराचार्यजी प्रयागराज प्रवास के पश्चात 14 जून की रात्रि नौ बजे रेल मार्ग द्वारा राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के अगले चरण में आगरा प्रस्थान करेंगे। इसकी जानकारी श्रीसुदर्शन संस्थानम् , पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।