गुणवत्ता पूर्ण कौशल विकास मूल्य परक तथा रोजगार मुखी शिक्षा देना समावेशी समानता बहुभाषी शिक्षा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य लक्ष्य

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। शासकीय फणिकेश्वरनाथ महाविद्यालय फिंगेश्वर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एकदिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त मास्टर ट्रेनर डॉक्टर गोवर्धन यदु सहायक प्राध्यापक भौतिक शास्त्र मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित थे। मुख्य प्रशिक्षक डॉक्टर गोवर्धन यदु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रशिक्षण महाविद्यालय के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को दिया। डॉक्टर यदु ने बताया कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए गुणवत्ता पूर्ण, कौशल विकास, मूल्य परक तथा रोजगार मुखी शिक्षा देना, समावेशी समानता, बहुभाषी शिक्षा और विकसित भारत का सपना सरकार करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। अब नियमित विद्यार्थी के साथ-साथ प्राइवेट विद्यार्थियों का भी सतत आंतरिक मूल्यांकन होगा साथ ही दोनों के लिए सेमेस्टर परीक्षा भी आयोजित होगी विद्यार्थियों को विषय लेने की स्वतंत्रता होने के कारण बहूविषयक प्रणाली लागू की गई है। पाठ्यचर्या में भारतीय ज्ञान प्रणाली का समावेश किया गया है। प्रौद्योगिकी के अधिकतम व अनुकूलतम उपयोग पर बल दिया जाएगा। सत्र 2024-25 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 3 वर्षीय बहुसंकाय और 4 वर्षीय बहुसंकाय स्नातक पाठ्यक्रम पूरे प्रदेश में लागू हो गया है एक प्रदेश एक अध्यादेश के नारे के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति छत्तीसगढ़ के सभी महाविद्यालयों में प्रभावशील हो रही है समस्त पाठ्यक्रम सेमेस्टर आधारित होंगे विद्यार्थी अधिकतम 7 वर्षों में स्नातक पाठ्यक्रम पूर्ण कर सकता है जिन विद्यार्थियों को विषय में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी या शोध करने की इच्छा होगी उसे ऑनर्स और ऑनर्स के साथ रिसर्च की उपाधि चौथे वर्ष में दी जाएगी। सतत आंतरिक मूल्यांकन में 30ः अंक और अंत सेमेस्टर परीक्षा में 70ः अंकों का प्रावधान है। जेनेरिक इलेक्टिव के अंतर्गत कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय का विद्यार्थी अपने संकाय के अतिरिक्त अन्य संकाय के किसी भी एक विषय को पढ़ सकता है विद्यार्थी ऑनलाइन पोर्टल ैॅ।ल्।डध्डव्व्ब् पर भी उपलब्ध पाठ्यक्रम से पढ़ाई कर सकता है। डॉक्टर यदु ने बताया प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा। विद्यार्थी को क्षमता संवर्धन पाठ्यक्रम और कौशल अथवा मूल्य संवर्धित पाठ्यक्रम लेना अनिवार्य होगा। क्षेत्र कार्य, प्रोजेक्ट वर्क, असाइनमेंट टेस्ट को अनिवार्यता प्राइवेट और नियमित विद्यार्थियों के लिए महाविद्यालय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। एकाधिक प्रवेश और एकाधिक निकास का प्रावधान इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाहित किया गया है। यदि विद्यार्थी किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ना चाहता है तो वह सर्टिफिकेट कोर्स या डिप्लोमा कोर्स भी ले सकता है और अपनी उच्च शिक्षा को प्राप्त कर सकता है। सतत आंतरिक मूल्यांकन होने से विद्यार्थियों की रुचि अध्यापन की ओर बढ़ेगी साथ ही इसका महत्व भी बढ़ जाएगा जितने नंबर सतत आंतरिक मूल्यांकन में विद्यार्थी को मिलेगा उतना ही फायदा उसे अंत सेमेस्टर परीक्षा में आसानी से क्रेडिट लेने में होगी। अनुभवप्त्मक कार्यों को इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बढ़ावा मिलेगा। विद्यार्थी महाविद्यालय के बाहर और आसपास के क्षेत्र में स्थित संस्थान, उद्योग, रोजगार के संस्थान में जाकर अपने कार्य कर कौशल विकास के पाठ्यक्रम और मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम को पूरा कर क्रेडिट हासिल कर सकता है डॉक्टर यदु ने बताया कि पूरे प्रदेश में समरूप शिक्षा होने से वनांचल एवं दुरुस्त क्षेत्र के विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किया जाएगा। कार्यशाला में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर श्वेता मिश्रा और राजीव लोचन महाविद्यालय राजिम के प्राचार्य प्रोफेसर एम. एल. वर्मा के साथ समस्त अध्यापक और कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय में गठित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कार्यान्वयन प्रकोष्ठ के संयोजक देवादास बंजारे, सहायक प्राध्यापक, सदस्य रितेश गोलछा, एवम कमलेश्वर प्रसाद निषाद सहायक प्राध्यापक ने किया।

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