धान लुआई के बाद खेतों में पलारी जलाना अत्यंत घातक इसके प्रभावी रोक से बचेगा पर्यावरण, चारा, भूमि की उर्वरता क्षमता-सांसद चौधरी

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। महासमुंद सांसद रूपकुमारी चौधरी ने संसद के निचले सदन लोकसभा में धान पराली को जलाने से होने वाली समस्याओं की और ध्यान अकृष्टि किया। श्रीमती चौधरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए इस दिशा में सार्थक पहल करने की जरूरत पर बल दिया। भाजपा सांसद चौधरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ जिसे धान का कटोरा कहा जाता है। में पिछले कुछ वर्षों से रबी और खरीफ सीजन में धान की खेती का रकबा कई गुना बढ़ गया है। जिससे तिलहन, दलहन, सब्जी, बागवानी की जगह धान की खेती ज्यादा की जाने लगी है। समस्या पर ध्यान आकर्षित कर श्रीमती चौधरी ने कहा कि धान कटाई के बाद खेत में जो धान जो पराली बचे जाती है, उसको जलाने की विकराल समस्या देश के सामने खड़ी हुई है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, भूमि की उर्वरता लगातार नष्ट हो रही है और दुर्घटना की आशंका भी बढ़ गई है। श्रीमती चौधरी ने कहा कि आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के चलते भयावह स्थिति का सामना कर रहा है और विश्व में हालात ज्यादा भयावह हो सकते है। इसके लिए जरूरी है कि पर्यावरण बचाने के लिए हरसंभव प्रयास के चलते खेतों में पलारी जलाने पर सख्त कानूनी कार्यवाही किए जाने का कारण बनाया जाए। इससे जहां पर्यावरण सुरक्षित होगा वही मूक पशुओं का चारा जलने से बचने पर जानवरों को चारा उपलब्ध करवाने में सहजता होगी।

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