
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। राज्य शासन के आयुष संचालनालय विभाग द्वारा राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत प्रदेश में आयुष ग्राम विकसित करने रायपुर में एक दिवसीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। सिविल लाइन स्थित नवीन विश्राम भवन में आयोजित कार्यशाला में जिला आयुर्वेद अधिकारियों और सभी विकासखंडों के आयुष ग्राम के चिकित्सकों को आयुष ग्राम में क्रियान्वित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला में जिला आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ निकिता धु्रव, विकासखंड आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ अमित चन्द्रवंशी, डॉ विनोद ठाकुर, डॉ ऐश्वर्य साहू, डॉ मिथलेश ठाकुर, डॉ राजकुमार कन्नौजे शामिल हुए। जिला आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ निकिता धु्रव ने बताया कि उक्त कार्यशाला में आयुष जीवन शैली के सिद्धांतों और प्रथाओं को अपनाने तथा स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वास्थ्य देखभाल व उपचारों पर आधारित आयुष ग्राम की परिकल्पना को साकार करने छत्तीसगढ़ के 146 विकासखंडों में आयुष ग्राम का चिन्हांकन किया गया है। जिसके तहत फिंगेश्वर विकासखंड के ग्राम पसौद को आयुष ग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा हैं। आयुष ग्राम के माध्यम से ग्रामीणों के स्वास्थ्य की रक्षा और आजीवन स्वस्थ रखने आयुर्वेद, योग तथा आयुष पद्धतियों के अनुसार उन्हें शिक्षित किया जाएगा। आयुष ग्रामों में जनभागीदारी के माध्यम से विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएगी। आयुष ग्राम में लोगों को पेड़-पौधों के औषधीय गुणों के बारे में जागरुक कर इनके पौधरोपण और संरक्षण को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत गांवों का चिन्हांकन कर स्थानीय लोगों को आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुरूप स्वस्थ जीवन शैली, उचित आहार-विहार, सामान्य रोगों के उपचार के लिए आसपास पाए जाने वाले औषधीय पौधों की पहचान एवं उपयोग के लिए प्रेरित करना है। फिंगेश्वर विकासखंड के विकासखंड आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ अमित चन्द्रवंशी ने बताया की कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम आयुर्विद्या के बारे में बताया गया। जिसके माध्यम से स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों को आयुर्वेद के बारे में जागरुक करना है। स्कूलों में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करना है। स्थानीय स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर लोगों को आयुष की उपयोगिता के बारे में जानकारी प्रदान कर इस क्षेत्र में उनके कौशल का उन्नयन करना है। एक वर्ष में 4 बार बड़ा शिविर लगाकर आसपास के गांव के लोगो का स्वास्थ्य परिक्षण कर उन्हें योग की जानकारी, खान-पान की जानकारी के साथ साथ दवाइयॉ उपलब्ध कराई जाएगी। औषधीय पौधों के बारे में ग्रामीणों को जानकारी भी दी जाएगी जिसके बाद इच्छुक ग्रामीणों को वन विभाग की तरफ से औषधीय गुणों से भरपूर स्टीविया, शतावरी, कालमेघ, लेमन-ग्रास, केऊकंद, अश्वगंधा, सर्पगंधा जैसे 20 पौधों को उपलब्ध करा इनके रोपण के लिए उपयुक्त मौसम और खेती के बारे में बताया जायेगा। डॉ चन्द्रवंशी ने बताया की आयुष औषधालय के संचालन समिति के अध्यक्ष सम्बंधित ग्राम पंचायत के सरपंच, संयोजक विकासखंड आयुष चिकित्सा अधिकारी, सम्बंधित ग्राम पंचायत के पांच एवं स्थानीय विद्यालयों के प्राचार्य सदस्य होंगे एवं मितानिनों व स्व सहायता समूह की महिलाओ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।