जन्माष्टमी 26 को पंजीरी माखन मिश्री श्रीखंड मालपुआ मोहनभोग ये 5 भोग भगवान श्री कृष्ण को प्रिय



गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। भाद्रपद यानी भादो का शुभ महीना शुरू हो चुका है। इस महीने में दो महा पर्व मनाए जाएंगे, जिसमें से पहला है जन्माष्टमी और दूसरा है गणेश चतुर्थी। जहां जन्माष्टमी भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है, वहीं गणेश चतुर्थी शुक्ल पक्ष में पड़ती है। भादो माह का पहला सबसे बड़ा त्योहार जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। साल 2024 के हर व्रत, पर्व और त्योहार की तरह जन्माष्टमी को लेकर भी लोगों को भ्रम है कि यह 25 को है या 26 अगस्त को। इस पर पंच मंदिर फिंगेश्वर के पंडित दादू महराज ने बताया की भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को हुआ था। वहीं, इस बार भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रविवार 25 अगस्त को शाम 6 बजकर 9 मिनट से शुरू होगी जो अगले दिन सोमवार 26 अगस्त 2024 की शाम 4 बाजार 49 पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि नियम के मुताबिक सावन जन्माष्टमी का व्रत सोमवार 26 अगस्त को रखा जाएगा। दादू महराज ने बताया की भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। जिसमें पंजीरी, माखन-मिश्री, श्रीखंड, मालपुआ, मोहनभोग ये 5 भोग भगवान कृष्ण को विशेष रूप से प्रिय है।

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