
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गुण्डरदेही में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिवस विद्यालय में अध्ययनरत सभी छात्रों ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की छाया चित्र पर गुलाल व पुष्प अर्पित कर उनके जीवन में किये गये अभूतपूर्व सफलता के बारे में सुनकर जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित हुए शिक्षक आशा राम साहू एवं संस्था के प्रभारी प्रधानाध्यापक तोषणनाथ देवांगन ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन में प्रकाश डालते हुए बताया कि डा सर्व पल्ली राधाकृष्णन बचपन से ही अनुशासन में रहकर शिक्षक के रुप में कार्य किया और आगे चलकर वह एक कुशल राजनीतिज्ञ बन देश कों आगे बढ़ाने में प्रेरणा स्रोत बने शिक्षक आशा राम साहू ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जीवन परिचय दिया और बताया कि उन्होंने पूरे जीवन काल में शिक्षक लेखक और काशी विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर सुशोभित रहते हुए उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए सन् 1950 में आपको रुस देश की राजदूत के पद पर सुशोभित हुए सन् 1952 में वह भारत का उपराष्ट्रपति बना। राधाकृष्णन महोदय भारतीय दर्शन और पाश्चात्य दर्शन का महान था। वे दर्शन के विषय में अनेक पुस्तकें लिखीं और दार्शनिक के रूप में में उसकी ख्याति विदेशों में भी फैली इस प्रकार राधाकृष्णन जी का जन्म और उसका पूरा जीवन एक विशाल कर्मभूमि रहा वह महान शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ विख्यात दार्शनिक, विशिष्ट देशभक्त कुशल चिंतक थे। उसके कुशल व्यक्तित्व सर्वाधिक प्रशंसनीय रहा उनकी 14 साल की सेवा को कोई भी कभी भी नहीं भुलेंगे अतःअसाधारण सेवा विशिष्ट व्यक्तित्व की उपलब्धि के कारणवश वह भारत के सर्वोच्च अलंकार भारतरत्न सम्मान से सम्मानित हुए। तभी से शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है एक व्यक्ति को अपनी जीवन में बिना गुरु ज्ञान प्राप्त होना असम्भव है मां प्रथम गुरु होती है विद्या पढ़ाने वाले शिक्षक को भी पिता के समान माना गया है एक छात्र को आगे बढ़ाने में सहायक बनकर उसे उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाने वाले शिक्षक अपने अथक परिश्रम और प्रेरणा से एक छात्र को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है हमारे धर्म शास्त्रों में भी गुरु को गोविंद समतुल्य माना है भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान उच्च माना गया है।