
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। क्षेत्र में इस बार धान की बंपर फसल होने के कारण और समर्थन मूल्य पर धान खरीदी प्रारंभ हो जाने के चलते धान कटाई और मिसाई का कार्य तेज गति से चल रहा है। अधिकांश लोग हार्वेस्टर से धान कटाई का कार्य करवाने में लगे हुए है। जिसके कारण हार्वेस्टर की मांग ताबड़तोड़ बनी हुई है। मजदूरों का टोटा भी हुआ है जिससे छोटे किसान परेशान है। ज्यादातर किसान मशीनों का सहारा ले रहे है। हालांकि मशीन से कटाई, मिंजाई थोड़ी महंगी पड़ती है फिर भी किसान मशीनों से ही कार्य करने में लगे हुए है। जल्दी एवं मौसम की बेरूखी भी मशीन से कटाई करानी पड़ रही है। छोटे किसान मजदूरों के सहारे पर ही कार्य कराने मजबूर है। धान कटाई के कारण बड़ी संख्या में दुकानों में काम करने वाले कर्मचारी नहीं पहुंच रहे है जिसका एकमात्र कारण सभी लोग का धान कटाई करने में लगे हुए है। वहीं दूसरी तरफ जिन किसानों की फसल कट चुकी है वे किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने को सोसायटियों में लेकर जा रहे है। अथवा साथी कृशकों के खेत जा रहे है। वरिश्ठ कृशि अधिकारी बी. आर. साहू ने बताया कि किसान फसल को काटने के लिए तेजी से कार्य कर रहे है। जो किसान हार्वेस्टर से धान कटाई करवाते है उन्हें अभी हार्वेस्टर कटाई के कार्य के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। हार्वेस्टर की मांग बहुत अधिक है। कुल मिलाकर पूरे क्षेत्र में कृशि का कार्य बहुत तेजी के साथ चल रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस वर्श धान खरीदी में काफी अनियमिततायें देखने को मिल रही है। सरकार के 14 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ करने के निर्णय से उनकी नियत में खोट साफ नजर आ रहा है। राज्य सरकार ने 14 नवंबर से 31 जनवरी तक धान खरीदी का निर्णय लिया है, इसका मतलब है कि सरकार धान खरीदी 14 दिन कम करेगी। जबकि पंजीकृत किसानों की संख्या में इस वर्श काफी वृद्धि हुई है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा 117 रूपए की समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की गई है जिसका कोई लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। वहीं भाजपा सरकार द्वारा एकमुश्त 3100 रूपए प्रति क्विंटल देने की बात कही थी। जिसे की उन्होंने मोदी की गारंटी बताया था जबकि किसानों को 2300 के भाव से धान की कीमत मिल रही है, जिससे किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। धान खरीदी केन्द्रों में टोकन की व्यवस्था चरमरा सी गई है। ऑनलाइन टोकन कट नहीं रहा है, वहीं किसान सोसाइटियों में टोकन कटवाने के लिए सब काम छोड़कर खड़े है। कार्यकर्ताओं ने बताया कि सरकार द्वारा इलेक्ट्रानिक कांटों से धान खरीदी का निर्णय किया गया है। वहीं समिति में किसानों से सुखत के नाम पर प्रति तौल 200 से 300 ग्राम ज्यादा धान लिया जा रहा है इससे किसानों में रोश व्याप्त है और इसकी शिकायत जिलाधीश एवं अनुविभागीय अधिकारी से की गई है। कुल मिलाकर सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान परेशान है और धान खरीदी मात्र दिखावा साबित हो रही है।