जि.पं. सीईओ ने किया सचिव का तबादला, सचिव-सरपंच में विवाद, सरपंच ने लगाई सचिव पर भ्रष्टाचार का आरोप, जांच की मांग।

बसना (गंगा प्रकाश)। जिला पंचायत महासमुन्द के जिम्मेदार अधिकारियो के द्वारा आरोपित सचिवो को विभागीय संरक्षण देने का शिकायते थम नही रहा है। बल्कि एस. आलोक सीईओ जिपं के वजह से सरपंच व सचिव बीच में घनघोर विवाद बढ गई है। अधिकारी ही जानबूझकर पंचायत विभाग की किरकिरी करवाने में आमदा है। आखिर क्यो अब यह सवाल बन चुका है। ऐसा ही मामला लक्ष्मीपुर ग्राम पंचायत का प्रकाश में आया है।

 

मालूम हो कि लक्ष्मीपुर पंचायत के सरंपच श्रीमती कुमारी भोई ने कलेक्टर महासमुन्द को 23 दिसम्बर 2024 को लिखित शिकायत की है। शिकायत पत्र के अनुसार तात्कालीन सचिव श्रीमती कुन्ती आवडे द्वारा पंचायत खाते से बगैर प्रस्ताव एवं बगैर सरपंच के हस्ताक्षर लगभग साढे चार लाख रूपये आहरण करने व उक्त राशि को गबन का आरोप लगाई है। तात्कालीन सचिव के द्वारा डी.एस.सी. बनवाकर अभी भी रखा गया है। इस प्रकरण में जांच करके कार्यवाही करने की मांग किया है।

 

यहां बताना जरूरी है कि लक्ष्मीपुर सरपंच श्रीमती कुमारी भोई ने 27 जून 2024 एवं 08 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री जनदर्शन रायपुर में पहुंच कर अपनी दुखद व्यथा को बतलाई है। सरपंच के बताये अनुसार वह आदिवासी महिला है। अधिक पढी लिखी नही है। जिसका अनुचित लाभ तात्कालीन सचिव ने उठाया है। सरपंच ने आरोप लगाई है कि सचिव उसे अभिलेख में फंसवा सकती है। इस शिकायत में भी जांच नही कराई गई है।

 

गौरतलब है कि पूर्व सचिव श्रीमती कुन्ती आवडे ने ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर से स्थानांतरण के दौरान   सचिव मुरलीधर साव को सम्पूर्ण अभिलेख रिकार्ड नही सौंपे है। इसकी सूचना सचिव मुरली ने सीईओ जपं पिथौरा को दिया है। लेकिन इन्होने कुछ नही किया। मामले की जानकारी सीईओ जिपं महासमुन्द को दिये है। लेकिन उन्होने भी कुछ नही किया। बल्कि ग्राम पंचायत भतकुन्दा से वापस लक्ष्मीपुर पंचायत के लिए कुन्ती आवडे का स्थानातंरण आदेश जारी कर दिया। मूल विवाद की जड यह आदेश है।

सरपंच एवं सचिव का विवाद बढता देख सच्चिदानंद आलोक सीईओ जिपं ने सचिव कुन्ती आवडे को लक्ष्मीपुर पंचायत से हटाने का आदेश कर दिया। जिससे क्षुब्ध होकर सचिव कुन्ती इस आदेश को रोक लगवाने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गई है। अब मामला पेचिदा हो गया है। कलेक्टर महासमुन्द को सौपे गये शिकायत पत्र में आदिवासी सरपंच को न्याय मिलती है, अथवा शिकायत पत्र फाइलो में ही दब जायेगा। इस पर चर्चा बना हुआ है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *