
तबादला उद्योग पर कलेक्टर का प्रहार से दलालों के मुंह पर तमाचा?जिला स्तरीय स्थानान्तरण के पहली सूची में शामिल 20 शिक्षको के तबादला आदेश कलेक्टर श्री मलिक ने किया निरस्त।
जिला के अधिकार क्षेत्र से बाहर था शिक्षक एल बी का तबादला करना, फिर भी शिक्षा विभाग ने प्रभारी मंत्री से अनुमोदन करवाया और कलेक्टर से आदेश।कलेक्टर बोले जिम्मेदार को भेज रहे नोटिस।
गरियाबंद(गंगा प्रकाश):-छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों पर लगी रोक हट गई हैं दरअसल, तबादलों को लेकर बनी नई नीति के मसौदे को मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने अपनी मंजूरी दे दी थी मसौदे को फाइनल अप्रूवल के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास भेज दिया गया था जानकारी के मुताबिक नई नीति के तहत अब 10 फीसद अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला होना हैं।इसके लिए जिले के भीतर तबादले का अधिकार प्रभारी मंत्री को हैं और दूसरे जिले में तबादले का अधिकार विभागीय मंत्री को हैं।मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद अधिकारियों व कर्मचारियों का ट्रांसफर शुरू कर दिया गया हैं।उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जिला स्तर पर तबादलों के लिए मंत्रियों की उप समिति ने कहा है कि जिला संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का स्थानांतरण प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर करेंगे। स्थानांतरण आदेश भी प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद ही जारी होगा। तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के मामलों में उनके संवर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या के 10% तक का तबादला किया जा सकेगा।वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के मामले में अधिकतम सीमा 10% होगी। अनुसूचित क्षेत्र से किसी कर्मचारी का सामान्य क्षेत्र में तबादला होता है तो उसके एवजी दार का भी प्रस्ताव अनिवार्य रूप से रखना होगा। यानी तबादले से अनुसूचित क्षेत्रों में रिक्तियां नहीं होनी चाहिए। अधिक कर्मचारी वाली जगहों से कम कर्मचारी वाली जगहों पर तबादले करने हैं। कम कर्मचारी वाली जगह से अधिक कर्मचारी वाली जगह पर तबादले नहीं होंगे। 30 सितम्बर 2022 के बाद से तबादलों पर प्रतिबंध लग जाएगा। उसके बाद बहुत आवश्यक हुआ तो समन्वय में अनुमोदन के बाद किसी अधिकारी-कर्मचारी का तबादला किया जा सकेगा।ट्रांसफर मसौदे को उपसमिति की मंजूरी के बाद सियासत भी तेज हो गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की एक नई दुकानदारी शुरू हो रही है।कांग्रेस शासनकाल में चल रहे ट्रांसफर उद्योग में अब मंत्रियों को भी मौका मिलेगा।बीजेपी का आरोप है कि ट्रांसफर में भ्रष्टाचार और उगाही की जाएगी।बता दें कि छत्तीसगढ़ में पिछले काफी समय से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगा दी गई थी। नई तबादला नीति के मसौदे को मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारियों के तबादले शुरू हो चके हैं।बताना लाजमी होगा कि जिला गरियाबंद में शिक्षक दिवस के दिन यानी 5 सितम्बर को तबादला की पहली सूची जारी किया गया था।रोक हटने के बाद नई तबादला नीति के तहत जिले का यह शिक्षा विभाग द्वारा जारी पहली सूची थी।जिसमे 65 शिक्षको के जिला स्तर पर तबादला किया गया था।आदेश जारी होने के दो दिन बाद से लगातार शिकायते हुई थी।चिखली के ग्रामीण भारी संख्या में गुरुवार को कलेक्टर चेम्बर के बाहर ज्ञापन लेकर खड़े दिखे तो,अमलीपदर व गोहरापदर के कांग्रेसी नेताओं का प्रतिनिधि मंडल प्रभारी मंत्री से मिलने पहुंच गए।इस बीच आज पहली सूची में जारी 65 नाम मे से 20 शिक्षक (एल बी) के स्थानन्तरण आदेश को कलेक्टर श्री मलिक ने निरस्त कर दिया हैं।जिससे गरियाबंद जिला में तबादला उद्योग के सक्रिय दलालों के मुंह पर जोर दार तमाचा पड़ा हैं।बता दें कि जबकि 45 के आदेश जो सहायक शिक्षक एलबी को यथावत रखा गया।हालांकि कलेक्टर प्रभात मलिक ने निरस्तीकरण की वजह शिकायत होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया है।उन्होंने बताया कि शिक्षक संवर्ग का स्थानान्तरण सम्भाग से संयुक्त संचालक से होना है।जिला स्तर पर गलत तरीके से पुटअप किया गया है।इसमे जो भी जिम्मेदार है उन्हें नोटिस तामील कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।


क्या नियम कायदे को ध्यान में रखा गया?
निरस्त के आदेश के बाद अब पूरी सूची की समीक्षा की मांग उठ रही है।दरअसल मैनपुर व गरियाबन्द के बीहड़ इलाके में पदस्थ 35 से ज्यादा ऐसे नाम है जिन्होंने स्वैछिक तबादला करवाया है,पर इनमें से ज्यादातर लोग नीति में तय मापदंड का पालन नहीं करते।नियम के मुताबिक एकल शिक्षकीय होने या छात्र अनुपात में शिक्षक सँख्या नही होने की स्थिति में ही तबादला की पात्रता होगी।फिंगेश्वर में तो अतिशेष में पहले से जन्हा अतरिक्त शिक्षक मौजूद है वँहा पोस्टिंग पा लिया गया है,जबकि इसमे पोस्ट होने वाले शाला में शिक्षकीय कमी को भी ध्यान में रखा जाना था।देवभोग के सीनपाली में मिडिल स्कूल शिक्षक की कमी से जूझ रहा था, लेकिन वँहा के शिक्षक को प्रशासनिक आदेश तहत अन्यत्र भेज दिया गया।मैनपुर गोढियारी शिक्षक को धवइभर्री भेजने का भी जम कर विरोध हो रहा है।अब विरोध होना लाजमी भी हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ जब से अधिकारी कर्मचारियों के तबादले पर रोक हटाई गई हैं तब से शिक्षा विभाग में दलाल और विचोलिए मनचाही जगह पर तबादला करवा देने की दम भरते हुए अधिकारी कर्मचारियों से सम्पर्क में लगे हुए थे और अपने मनसूबे पर सफल भी हुए हैं।

भाजपा और आप पार्टी का आरोप
वंही छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक तबादला नीति तैयार करने पर राजनीतिक बहस छिड़ गई थी और विपक्ष ने इसे ”पैसे के बदले उद्योग लगाने” की नींव रखने वाला बताया था और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसका विरोध करते हुए कहा था कि कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला एक प्रशासनिक आवश्यकता है।मुख्य विपक्षी दल भाजपा, साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि ‘सामूहिक तबादलों’ का कदम राज्य में अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों के माध्यम से भ्रष्टाचार और धन का खनन करने का एक साधन है। विपक्षी नेताओं का दावा है कि यह कोई रहस्य नहीं है कि तबादले और पोस्टिंग कैसे की जाती है।छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक तबादला नीति तैयार करने पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है और विपक्ष ने इसे ”पैसे के बदले उद्योग लगाने” की नींव रखने वाला बताया है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसका विरोध करते हुए कहा कि कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला एक प्रशासनिक आवश्यकता है।
