उत्तर रामायण पर आधारित लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम ने दर्शकों को किया रोमांचित

उत्तर रामायण पर आधारित लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम ने दर्शकों को किया रोमांचित

महादेव हिरावानी के कार्यक्रम ने बांधा समा

गरियाबंद /राजिम (गंगा प्रकाश)। राजिम कुंभ कल्प के सांस्कृतिक मंच में 9वें दिन उत्तर रामायण पर आधारित लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। मंच पर बहुत ही सुंदर ढंग से लाइट एवं साउंड के माध्यम से उत्तर रामायण को जीवंत रूप से दर्शाया गया। कार्यक्रम में 50 से अधिक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। जिसमें भगवान श्री राम एवं उनके सुपुत्र लव-कुश के बीच संवाद को शानदार तरीके से दर्शाया गया। अवध में आकर लव-कुश ने गीत के माध्यम से राम चरित्र की व्याख्या की। राम द्वारा सीता त्याग के पश्चात उस दुख से उबरने के लिए अश्वमेघ यज्ञ की शानदार प्रस्तुति दी गई। जिसे देखकर दर्शक भावुक हो गए।

लोक कला मंच के महादेव हिरावानी ने बांधा समा

सांस्कृतिक मंच में छत्तीसगढ के प्रसिद्ध कलाकार महादेव हिरवानी ने लोक कलामंच की शुरूवात गणेश वंदना से की। गजानंद गौरी के लाल…, भोले बाबा ला कइसे…, तोर कारण बइहा बने…, माटी होही तोर चोला रे संगी…, कर्मा गीत के साथ ही झमाझम प्रस्तुति से बस्तर की लोक संस्कृति का दर्शन कराया। जिसे देख दर्शक भी झुम उठे।

लेवेन्द्र चंद्राकर और नारायण पचपेड़िया ने लोक कलामंच के माध्यम से छत्तीसगढ की विभिन्न संस्कृतियों को बहुत ही सुंदर ढंग से समझाया। जिसे दर्शकों ने खूब सराहना की। रमेसर गंर्धव ने लुप्त हो रही नाचा की विधा को मंच पर पुनर्जीवित किया है। नाचा के माध्यम से सामाजिक संदेश भी दिया गया। शंभुराम टोंण्डरे की सतनाम भजन की शानदार प्रस्तुति से दर्शको की खूब तालियॉ बटोरी। श्री विश्वास ने गीत और गजल के माध्यम से दर्शकों को बांधे रखा। अरूण निर्मलकर ने जसगीत झांकी प्रस्तुत दी। जिसमें माता के सेवा गीतों से दर्शक भी भक्ति के रंग मे डूब गए। देवेन्द्र साहू की टीम ने मानस गायन मे सीता अपहरण के घटना की व्याख्या की। धामसिंग की टीम ने लोक कलामंच की शानदार प्रस्तुति दी। कौशल बाई साहू की टीम ने परम्परिक वेश-भूषा मे सुआ नृत्य हाथ और पैर की सुंदर ताल से प्रस्तुत किया। प्राची निगम ने मनमोहक कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी। महेश पाल ने सुमधुर भजनों, मनीषा साहू की टीम ने मानस गायन एवं दीलिप नवरत्न ने लोक कलामंच की जानदार प्रस्तुति दी। वेदकुमारी ने पंडवानी गायन कपालिक शैली में बहुत ही सुदंर हाव-भाव के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने महाभारत की कथा ला सुनले…., जनम-जनम के दुख मिट जाथे जैसे भजन से मंच को सुशोभित किया। इसी मंच पर शंकर भोला भंडारी…, सगुरी नहाए बर वो…, झन जा राधा होबे लाले-लाल वो…, नदिया के तीर मा पुन्नी के रात… जैसे सुमधुर गीतों को सुनकर दर्शक झूम उठे।

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