नगर पंचायत फिंगेश्वर में उपाध्यक्ष का चुनाव सरल नहीं, कांग्रेस भाजपा 3-5 के कारण निर्दलीय 7 होने से सारा समीकरण गड़बड़ाया

नगर पंचायत फिंगेश्वर में उपाध्यक्ष का चुनाव सरल नहीं, कांग्रेस भाजपा 3-5 के कारण निर्दलीय 7 होने से सारा समीकरण गड़बड़ाया

 

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। नगर पंचायत चुनाव के बाद अब फिंगेश्वर नगर पंचायत में उपाध्यक्ष का चुनाव होना है। यह चुनाव नगर पंचायत के निर्वाचित पार्षदों के बीच ही होगा। यही कारण है कि कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय के निर्वाचित पार्षद अपने अपने हिसाब से रणनीति बनाने में लगे है। कुल 15 पार्षदों वाले फिंगेश्वर नगर पंचायत में 5 भाजपा, 3 कांग्रेस एवं सबसे ज्यादा 7 पार्षद निर्दलीय चुनकर आए है। चूंकि नगर पंचायत अध्यक्ष का पद कांग्रेस के पास है परंतु पार्षदों में मात्र 3 पार्षद है। यही कारण है कि कांग्रेस प्रत्यक्ष रूप से उपाध्यक्ष के लिए फिलहाल चुप्पी बनाते हुए हवा के रूख का इंतजार कर रही है। इसके विपरीत निर्दलियों के हौसने काफी बुलंद है स्थिति यह है कि जिसे निर्दलीय चाहेंगे वही उपाध्यक्ष बनेगा। इधर भाजपा अपना उपाध्यक्ष बनाने निर्दलियों को टटोल रही है। भाजपा में कुछ वरिश्ठ पार्षद उपाध्यक्ष बनने लगातार चर्चा में बने हुए है। कुछ वरिश्ठ पार्षद निर्दलियों को साथ लेकर उपाध्यक्ष बनने का मंसूबा बनाए हुए है। परंतु विजयी निर्दलीय पार्षद भी कुछ कम नहीं है। बताया जा रहा है कि निर्दलीय पार्षद अपनी शर्तो में भाजपा प्रवेश करने की बात भी कह रहे है। यहां आकर पेच फस गया है। भाजपा के विजयी पार्षदों का कहना है कि निर्दलीय हमारे मत से उपाध्यक्ष बना तो हमारी पार्टी आस्था का क्या मतलब। इधर कांग्रसे तो खुला ऑफर रख रहे है कि निर्दलीय हमारे साथ आ जावें और उपाध्यक्ष बना लें। क्योंकि पार्शदों की मात्र 3 की संख्या के कारण कांग्रेस स्वयं तो उपाध्यक्ष नहीं बना सकती। यह स्थिति पेचीदा हो गयी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता न अपनों को समझा पा रहे है और न निर्दलीयों की शर्त मान पा रहे है। ऐसे में नगर पंचायत की प्रथम बैठक की तारीख का इंतजार है। वहां तो उपाध्यक्ष बनान ही पड़ेगा। वैसे देखा जाए तो ज्यादा निर्दलीय भाजपा के बागी ही है जो भाजपा टिकट न मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव जीतकर पार्षद बन गए है। भाजपा अगर अपने रूठे कार्यकर्ताओं को पार्टी में ले लेती है तो जरूरी नहीं कि वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से भाजपा जीते हुए भाजपा पार्षदों में से उपाध्यक्ष बना पाए। निर्दलियों में कुछ दमदार पार्षद भी है जो लाखों रूपये खर्चकर पार्षद बने है और इतना दम रखते है कि जोड़-तोड़ की राजनीति कर उपाध्यक्ष के पद पर दावा ठोकने का दम रखते है। और निश्चित है कि निर्दलीय पार्षद अपना स्वार्थ पूरा होने पर दमदार उपाध्यक्ष उम्मीदवार का समर्थन करने में परहेज नहीं करेंगे। परंतु सिर्फ निर्दलियों के दम पर भी उपाध्यक्ष बनना संभव नहीं है और यही आकर पार्षदों की दलीय आस्था की परीक्षा होगी। चूंकि अध्यक्ष कांग्रेस का है और नगर पंचायत में पी.आई.सी गठन का पूरा अधिकार अध्यक्ष को होता है। इसलिए पीआईसी में भी सौदेबा से इंकार नहीं किया जा सकता। दलीय आस्था के चलते नगर पंचायत का सफल संचालन संदिग्ध बन पड़ा है। स्थिति की जटीलता की पहली अग्नि परीक्षा फिलहाल नगर पंचायत की प्रथम बैठक में उपाध्यक्ष का चयन माना जा रहा है। इसके हिसाब से नगर पंचायत में आगे की रणनीति बनेगी।

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