ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटा, चक्का जाम के दबाव में झुका प्रशासन- आखिरकार शुरू हुआ सड़क निर्माण…

ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटा, चक्का जाम के दबाव में झुका प्रशासन- आखिरकार शुरू हुआ सड़क निर्माण…

 

रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। “अब और नहीं!” यह नारा बुलंद करते हुए चंद्रशेखरपुर (एडु) और खेदापाली के ग्रामीणों ने अपने हक की लड़ाई में प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया। सालों से टूटी-फूटी सड़क पर चलने को मजबूर ग्रामीणों का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा, जब उन्होंने दो दिन तक पूरे क्षेत्र में चक्का जाम कर दिया। प्रशासन की बेरुखी के खिलाफ यह एकजुट आंदोलन इतना प्रभावी साबित हुआ कि अधिकारियों को आनन-फानन में मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य शुरू कराना पड़ा।

आखिर क्यों भड़के ग्रामीण

सड़कों पर बने गड्ढे प्रशासन की अनदेखी की गवाही दे रहे थे। बरसात में ये गड्ढे तालाब बन जाते थे, तो गर्मी में धूल का गुबार उड़ता था। स्कूली बच्चे हों, बुजुर्ग हों या बीमार—सब इस बदहाल सड़क की सजा झेल रहे थे। कई बार दुर्घटनाएँ भी हुईं, लेकिन जिला प्रशासन कानों में तेल डाले बैठा रहा। अंततः सब्र का बांध टूटा, और 18 मार्च को ग्रामीणों ने सड़क पर उतरकर चक्का जाम कर दिया।

जब तक काम नहीं, तब तक आंदोलन

 गांववालों ने दो टूक कह दिया था—“कागजी आश्वासन नहीं, बुलडोजर और ग्रेडर चाहिए!” दो दिनों तक पूरा क्षेत्र थम गया। प्रशासन बैकफुट पर आ गया। आखिरकार, कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देश पर एसडीएम धरमजयगढ़ श्री धनराज मरकाम की अगुवाई में अधिकारियों का दल गांव पहुंचा और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की।

ग्रामीणों ने सरकार को साफ संदेश दिया कि जब तक सड़क पर निर्माण कार्य शुरू नहीं होगा, तब तक न कोई गाड़ी चलेगी, न कोई अधिकारी लौटेगा। दबाव में आकर प्रशासन ने तुरंत लोक निर्माण विभाग को सक्रिय किया और हाईवा ट्रकों में भरकर मटेरियल पहुंचाया गया।

जीत की पहली सीढ़ी, लेकिन भरोसा अधूरा

 20 मार्च को शाम 5 बजे, जैसे ही ग्रेडर और बुलडोजर सड़क पर चले, ग्रामीणों ने आंदोलन खत्म करने की घोषणा की। लेकिन उनके मन में अभी भी आशंका है-“क्या यह सिर्फ एक दिखावा है, या वास्तव में सड़क बनेगी?” एक स्थानीय किसान ने कड़ी चेतावनी दी- “अगर काम में लापरवाही हुई या अधूरा छोड़ दिया गया, तो अगला आंदोलन और उग्र होगा!”

प्रशासन की कार्यशैली पर अभी भी सवाल बरकरार हैं। क्या यह सड़क निर्माण वाकई समय पर पूरा होगा? या फिर जैसे ही आंदोलन की आग ठंडी होगी, वैसे ही काम भी बंद हो जाएगा? ग्रामीणों की नजरें प्रशासन की हर हरकत पर टिकी हुई हैं। अब यह जिला प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा है- या तो वे इस बार जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे, या फिर एक और बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहें!

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