होटल के कमरे में फंदे पर लटका युवक ! शहर में “सुसाइड पॉइंट” बनते होटल, आखिर कब जागेगा प्रशासन?

होटल के कमरे में फंदे पर लटका युवक ! शहर में “सुसाइड पॉइंट” बनते होटल, आखिर कब जागेगा प्रशासन?

 

रायपुर (गंगा प्रकाश)। राजधानी में होटल अब सिर्फ ठहरने की जगह नहीं, बल्कि मौत के अड्डे बनते जा रहे हैं! आजाद चौक थाना इलाके के हरदेव होटल में एक और दर्दनाक आत्महत्या का मामला सामने आया है। रायगढ़ निवासी युवक ने कमरा नंबर 203 में फांसी लगाकर जान दे दी। पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो अंदर का दृश्य झकझोर देने वाला था-युवक का शव फंदे से झूल रहा था और कमरे में बिखरी थीं कर्ज से जुड़ी फाइलें! प्राप्त जानकारी अनुसार मृतक ने प्रधान नाम से रूम बुक किया था जो रायगढ़ जिले का निवासी बताया जा रहा है।

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि युवक भारी कर्ज के बोझ से दबा था। उसके बैग से लोन के दस्तावेज और बैंक की नोटिसें मिली हैं, जिससे साफ है कि वह आर्थिक संकट से जूझ रहा था। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई और रास्ता नहीं था? क्या समाज और प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?

होटल या “मौत के ठिकाने”

ये अकेला मामला नहीं है! रायपुर के होटल लगातार आत्महत्या के केंद्र बनते जा रहे हैं। कुछ महीने पहले कैलाशपुरी स्थित एक होटल में एक युवक ने संदिग्ध हालात में करंट लगने से जान गंवाई। गुढ़ियारी के एक लॉज में भी युवक ने पंखे से झूलकर मौत को गले लगाया।

इन घटनाओं ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं-

  • होटल संचालकों की जिम्मेदारी क्या है?

  • प्रशासन क्यों नहीं करता निगरानी?

  • आखिर होटलों में आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

आखिर कब जागेगा प्रशासन

आत्महत्या की इन घटनाओं ने रायपुर को हिला कर रख दिया है, लेकिन प्रशासन अब तक आंखें मूंदे बैठा है! क्या होटल मालिक सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए हैं? क्या होटल में ठहरने वालों की काउंसलिंग नहीं होनी चाहिए? क्या पुलिस को होटलों की सख्ती से निगरानी नहीं करनी चाहिए?

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