छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना घोटाला : ₹350 करोड़ की कथित हेराफेरी, विपक्ष ने CBI जांच और FIR की मांग तेज की…

रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत भूमि मुआवजा वितरण में ₹350 करोड़ के कथित घोटाले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है और CBI जांच व दोषी अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। हालांकि, सरकार ने CBI जांच से इनकार कर दिया है और मामले की जांच रायपुर मंडल आयुक्त के हवाले कर दी है।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ में रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक गलियारे के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में मुआवजा वितरण में व्यापक अनियमितताओं की बात सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। अनुमान है कि इससे सरकार को ₹350 करोड़ का नुकसान हुआ है।
सरकार की कार्रवायी और विपक्ष की नाराजगी
घोटाले के खुलासे के बाद, सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए उप-मंडल मजिस्ट्रेट (SDM), अतिरिक्त कलेक्टर, तहसीलदार और पटवारी सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि सिर्फ निलंबन से काम नहीं चलेगा, बल्कि दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणदास महंत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “सरकार खुद मान रही है कि घोटाला हुआ है, फिर भी CBI जांच से क्यों भाग रही है? इससे साफ है कि इसमें बड़े अधिकारी और कुछ सत्तारूढ़ दल के नेता भी शामिल हो सकते हैं। हम इस मामले को हाईकोर्ट तक ले जाएंगे।”
CBI जांच से इनकार क्यों?
राज्य सरकार ने CBI जांच से इनकार करते हुए तर्क दिया कि मामला पहले से ही रायपुर मंडल आयुक्त की जांच के दायरे में है, और इस स्तर पर बाहरी जांच एजेंसी की जरूरत नहीं है। लेकिन विपक्ष इस सफाई को मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस विधायकों ने सरकार के इस फैसले का विधानसभा में विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।
भविष्य की संभावना: क्या होगी अगली कार्रवाई?
- 1. कानूनी मोर्चा: विपक्ष इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहा है।
- 2. राजनीतिक असर: घोटाले को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो सकता है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा।
- 3. संभावित जांच: यदि अदालत हस्तक्षेप करती है तो CBI या ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों की जांच का रास्ता खुल सकता है।
- 4. FIR की मांग: अभी तक किसी अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हुई है, लेकिन न्यायिक हस्तक्षेप के बाद सरकार को यह कदम उठाना पड़ सकता है।
क्या कहती है CAG रिपोर्ट?
यह पहला मौका नहीं है जब भारतमाला परियोजना पर सवाल उठे हैं। कैग (CAG) की हालिया रिपोर्ट में भी इस परियोजना की टेंडरिंग प्रक्रिया में गड़बड़ियों की बात कही गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, कई टेंडर ऐसे कंपनियों को दिए गए, जिन्होंने शर्तें पूरी नहीं की थीं।
छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना से जुड़े ₹350 करोड़ के कथित घोटाले ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। CBI जांच और FIR की मांग को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर बना हुआ है। यदि इस मामले में जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आने वाले दिनों में राजनीतिक भूचाल ला सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार विपक्ष के दबाव में झुकती है या फिर अपनी जांच एजेंसी के जरिए ही मामले को सुलझाने की कोशिश करती है।