“एनटीपीसी लारा में फर्जी अफसर का खेल ! नकली सहायक श्रम आयुक्त बनकर ठेके की साजिश, CISF ने रंगे हाथों दबोचा”…

“एनटीपीसी लारा में फर्जी अफसर का खेल ! नकली सहायक श्रम आयुक्त बनकर ठेके की साजिश, CISF ने रंगे हाथों दबोचा”…

 

रायपुर/रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। एनटीपीसी लारा में सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। ऋत्विक कुमार षडंगी नामक व्यक्ति ने खुद को सहायक श्रम आयुक्त (केंद्रीय), बिलासपुर बताकर बीएचईएल के अधिकारियों पर दबाव डालते हुए गिट्टी और रेत का ठेका दिलाने का प्रयास किया। लेकिन CISF की सतर्कता के चलते यह षड्यंत्र नाकाम हो गया, और आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।

कैसे खुला फर्जीवाड़ा? : 

गुरुवार दोपहर करीब 1:20 बजे, एनटीपीसी प्रबंधन के मानव संसाधन अनुभाग के एक अधिकारी ने ऋत्विक कुमार षडंगी के लिए विजिटर पास जारी करने का अनुरोध किया। फोन पर यह भी कहा गया कि उक्त व्यक्ति को संयंत्र में प्रवेश देना बेहद आवश्यक है और पहचान सत्यापन के लिए एनटीपीसी मानव संसाधन टीम के सदस्य मुख्य द्वार पर मौजूद रहेंगे।

CISF ने प्रोटोकॉल के तहत विजिटर पास जारी कर दिया और ऋत्विक कुमार षडंगी को संयंत्र में प्रवेश मिल गया। लेकिन कुछ समय बाद मानव संसाधन अनुभाग को यह चौंकाने वाली सूचना मिली कि आरोपी बीएचईएल के उच्च अधिकारियों से मुलाकात कर खुद को “सहायक श्रम आयुक्त (केंद्रीय)” बताकर गजेन्द्र सिंह परमार नामक व्यक्ति को ठेका दिलाने का दबाव बना रहा था।

CISF की त्वरित कार्रवाई, आरोपी पकड़ा गया :

सूचना मिलते ही CISF की क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) मौके पर पहुंची। ऋत्विक कुमार षडंगी वहां से भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन CISF ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। जब उसकी गहन तलाशी ली गई तो उसके पास से फर्जी सरकारी पहचान पत्र, नकली सरकारी मुहर और अन्य जाली दस्तावेज बरामद हुए।

फर्जी अधिकारी बनकर ठगी का प्लान, बड़ा रैकेट होने की आशंका :

पूछताछ में यह साफ हुआ कि ऋत्विक कुमार षडंगी एक जालसाज है, जिसने एनटीपीसी और बीएचईएल के अधिकारियों को धोखा देने की पूरी योजना बना रखी थी। वह सरकारी पद का दुरुपयोग कर अधिकारियों को गुमराह कर ठेका दिलाने की कोशिश कर रहा था।

CISF और पुलिस की सख्त कार्रवाई, संगठित गिरोह की जांच शुरू :

CISF कंपनी कमांडर संयंत्र ने इस घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना पुसौर, जिला रायगढ़ को भेज दी, जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2) BNS के तहत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।

अब पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या इस फर्जीवाड़े के पीछे कोई संगठित गिरोह काम कर रहा है? क्या इससे पहले भी इसी तरह की ठगी को अंजाम दिया गया है?

CISF की सतर्कता से बची NTPC लारा की साख :

अगर यह मामला समय पर उजागर न होता, तो एनटीपीसी और बीएचईएल के अधिकारियों को गंभीर आर्थिक और प्रशासनिक नुकसान झेलना पड़ सकता था। लेकिन CISF और NTPC प्रबंधन की सतर्कता के कारण एक बड़े घोटाले को टलने में सफलता मिली।

अब यह मामला उद्योग जगत और सरकारी महकमों में चर्चा का विषय बन गया है। क्या यह सिर्फ एक व्यक्ति की जालसाजी थी, या इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है? यह आने वाले दिनों में जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। फिलहाल आरोपी पुलिस हिरासत में है, और मामले की जांच जारी है।

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