कोंडागांव में सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खुली : लाखों की लागत से बनी सड़क चंद महीनों में बर्बाद!…

कोंडागांव में सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खुली : लाखों की लागत से बनी सड़क चंद महीनों में बर्बाद!…

 

कोंडागांव (गंगा प्रकाश)। जिले में विकास के दावे किस हद तक खोखले हैं, इसकी बानगी ग्राम देऊरबाल की सड़क पर देखी जा सकती है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लाखों की लागत से बनाई गई यह सड़क कुछ ही महीनों में जर्जर हो गई। जगह-जगह उखड़ी गिट्टियां और धूल फांकती सड़क सरकार, ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत की पोल खोल रही है। सवाल उठता है कि जनता के पैसों की इस खुली लूट का असली गुनहगार कौन है?

ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया निर्माण :

कोंडागांव जिले के देऊरबाल तक ग्रामीणों की सुविधा के लिए करीब 35.94 लाख रुपये की लागत से वर्ष 2019 में पवार कंस्ट्रक्शन कंपनी, कुरूद द्वारा बनाई गई यह सड़क अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के दौरान ही गड़बड़ियां साफ नजर आ रही थीं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। आज हालत यह है कि सड़क पर बिखरी गिट्टियों के कारण पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। क्या यह भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण नहीं है?

गांववालों का फूटा गुस्सा, सड़क पर विरोध प्रदर्शन :

 कोंडागांव जिले के स्थानीय निवासी भवानी प्रसाद, पप्पू मंडावी और कमलू राम ने बताया कि वर्षों की मांग के बाद जब सड़क बनी थी, तो गांववालों में खुशी की लहर थी। लेकिन यह खुशी अब गुस्से में बदल चुकी है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार ने घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया, जिससे सड़क बनने के कुछ ही समय बाद उखड़ने लगी। अब पूरी सड़क बर्बाद हो चुकी है और सरकार-प्रशासन से की गई शिकायतें बेअसर साबित हो रही हैं।

जिम्मेदार अधिकारी का गैरजिम्मेदाराना जवाब :

जब इस गंभीर मामले पर कार्यपालन अभियंता बलराम सिंह ठाकुर से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘मामले की जानकारी मिली है, निरीक्षण के बाद ही कुछ कह सकता हूं।’ सवाल यह है कि जब सड़क पूरी तरह खराब हो चुकी है, तो अब निरीक्षण का क्या मतलब? क्या यह सिर्फ जनता को गुमराह करने की कोशिश नहीं है?

कोंडागांव में कब होगी भ्रष्ट ठेकेदारों और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई? :

 कोंडागांव जिले में यह मामला कोई अकेला नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र में इसी तरह सरकारी धन की लूट जारी है। हर बार जनता को ही इस भ्रष्टाचार की कीमत चुकानी पड़ती है। आखिर क्यों सरकारी योजनाओं का लाभ जनता तक सही तरीके से नहीं पहुंचता? कब दोषी ठेकेदारों और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी? अब जनता सिर्फ जवाब नहीं चाहती, बल्कि गुनहगारों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग कर रही है।

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