चारो आश्रमों में गृहस्थ श्रेष्ठ – पं अमन


छुरा (गंगा प्रकाश)। देवी भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यास पीठ से कथा वाचन करते हुए रामानुज अनिरुद्ध दास पं अमन शर्मा ने देवी उत्पत्ति कथा सुनाते हुए कहा कि चारो आश्रमों में गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है क्योंकि गृहस्थ आश्रम में ही भगवान का अवतार होता है ब्रम्हचारी के यहां तो आ नहीं सकते इसलिए वे किसी गृहस्थ को चुनते है शिव महापुराण में भी दो अध्याय गृहस्थ आश्रम का है कहा गया है धन्यो गृहस्थ आश्रम: किन्तु वही गृहस्थ धन्य होता है जिसके घर में आनंद होता है जहां आनंद होता है वहां दुख नहीं आता क्योंकि भगवान का एक नाम आनंद है जिसका कोई विपरीत नहीं होता आनंद हमेशा बढ़ता ही रहता है कथा में आनंद है सुख घटता है सानंदं सदनं सुताश्च सुतिय: कांता प्रिय भाषिणी सन्मित्रंस धनं अर्थात जिस घर के बच्चों की बुद्धि अच्छी हो वह गृहस्थ धन्य है जैसे ध्रुव प्रहलाद ने अपने घर को धन्य कर दिया उनके कारण भगवान ने उन्हे दर्शन दिया जिस घर की गृहणी मृदुभाषी हो वह गृहस्थ धन्य है जिनके अच्छे मित्र हों जहाँ रीति नीति और प्रीति से धनार्जन किया जाता हो जिस घर में अतिथि सत्कार किया जाता हो वह गृहस्थ धन्य है गृहस्थ आश्रम का दारोमदार माताओं के हाथों में होता है जो नारी सौभाग्य चिन्हों को हमेशा धारण किये रहती है सुंदर सुंदर भोजन पकाती है प्रतिदिन तुलसी को जल चढ़ाती है वह गृहस्थ धन्य है जिस घर में भोजन भजन भाष्य और भ्रमण परिवार के साथ एक साथ होता हो जिनकी सतसंग में लगाव हो वह घर धन्य है सत्संग का एक क्षण और अन्न का एक कण महत्वपूर्ण होता है जिस घर में बच्चों को संस्कारित किया जाता है वह गृहस्थ धन्य है क्योंकि बालपन से सिखाया गया संस्कार और भक्ति सदा साथ रहती है आजकल भौतिकवादी जीवन तथा एकल परिवार में इसका अभाव हो गया है उन्होंने बताया कि सतसंग के बिना विवेक नहीं आता कथा पंडाल में सतसंग होता है यह एक छोटा विश्व विद्यालय होता है जहां सबको कर्म और धर्म की शिक्षा दी जाती है जिससे इह लोक और परलोक दोनों को सुधारने का ज्ञान दिया जाता है जबकि भौतिकवादी विद्यालयों में केवल इहलोक की बातें सिखायी जाती है जीव का प्रथम लक्ष्य भगवती की प्राप्ति ही होता नारी के तीन रुप होते हैं पुत्री पत्नी और मां नारी ही पुरुष को परमेश्वर बनाती है इसलिए उसे धर्म पत्नी कहा जाता है जो पति को धर्म के मार्ग पर चलना सिखाए वही पति परमेश्वर होता है जो धर्माचरण करे। कथा के साथ साथ महराज जी सुमधुर संगीत के साथ भजन करते है जो आनंद देता है