“हैप्पी होम” की आड़ में करोड़ों की ठगी ! खुलासा करने वाले पत्रकारों को ही बनाया जा रहा निशाना…

“हैप्पी होम” की आड़ में करोड़ों की ठगी ! खुलासा करने वाले पत्रकारों को ही बनाया जा रहा निशाना…

 

महासमुंद (गंगा प्रकाश)। जिले से एक सनसनीखेज घोटाला सामने आया है, जहां ‘हैप्पी होम हॉलीडेज प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी ने जमीन, वेकेशन पैकेज और गोल्ड क्वाइन के नाम पर आम नागरिकों के साथ करोड़ों की ठगी की। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस ठगी का पर्दाफाश करने वाले पत्रकारों को ही अब झूठे केस में फंसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है।

महासमुंद में वेकेशन पैकेज के नाम पर महाठगी : ‘हैप्पी होम’ कंपनी करोड़ों लेकर फरार, प्रशासन की मिलीभगत उजागर – एसडीएम पर लाखों लेकर रजिस्ट्री मंजूरी देने का सनसनीखेज आरोप!…

सपने दिखाकर जेब काटने वाली स्कीम :

कंपनी द्वारा लोगों को सुनहरे सपने दिखाए गए – महंगे वेकेशन पैकेज, सोने के सिक्के और जमीन में निवेश का झांसा देकर उनसे मोटी रकम वसूली गई। पर हकीकत में न तो वेकेशन मिला, न गोल्ड क्वाइन और न ही वैध प्लॉट!

नाम बदला, धंधा वही :

 पुरानी कंपनी पर भी दर्ज हैं आपराधिक मामले : जांच में सामने आया है कि इस ठगी के मास्टरमाइंड सुरज वासे पहले ‘डिजायर ताज वेकेशन’ नामक कंपनी में भी इसी तरह की ठगी कर चुके हैं। उनके खिलाफ पहले से ही कई जगहों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत मामले दर्ज हैं। अब उन्हीं लोगों ने नाम बदलकर ‘हैप्पी होम’ के नाम से फिर से ठगी का नया तंत्र खड़ा कर लिया है।

सच दिखाया तो गुनहगार बन गए पत्रकार :

 इस गिरोह की सच्चाई जब उजागर हुई, तो कंपनी के डायरेक्टर सुरज वासे ने उल्टा पत्रकारों के खिलाफ ही महासमुंद थाने में झूठी शिकायत दर्ज करा दी। यह घटना न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदार आवाज़ों को डराने की कोशिश भी।

अवैध प्लॉटिंग का भी पर्दाफाश :

ग्राम परसकोल, खसरा नंबर 165 व 175 की कृषि भूमि को टुकड़ों में बांटकर अवैध रूप से बेचा जा रहा है। हल्का पटवारी की रिपोर्ट और अनुविभागीय अधिकारी के निर्देश से स्पष्ट है कि यह प्लॉटिंग नियमों के विरुद्ध है और इसमें गंभीर अनियमितता पाई गई है।

प्रशासन को सौंपे गए प्रमाण – अब कार्रवाई की मांग :

पत्रकारों द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, डीजीपी, कलेक्टर और एसपी को आवेदन सौंपकर ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। आवेदन के साथ पुराने मामलों की एफआईआर, आरोपियों के फोटो और दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत किए गए हैं।

प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा – क्या अपराधियों पर गिरेगी गाज या फिर दबा दिया जाएगा मामला? :

यह प्रकरण अब प्रशासन और कानून व्यवस्था की गंभीर परीक्षा है। जनता जानना चाहती है — क्या उन ठगों पर कार्यवाही होगी, जिन्होंने मासूमों को लूटा? और क्या उन पत्रकारों को न्याय मिलेगा, जिन्होंने समाज के लिए खतरा बने इस गिरोह का भांडाफोड़ किया?

 

“आज यदि ठगों के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को चुप करा दिया गया, तो कल हर नागरिक खतरे में होगा।”

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