छुरा अस्पताल में लापरवाही का दर्दनाक नतीजा: समय पर इलाज न मिलने से गर्भवती महिला और नवजात की मौत, परिजनों में आक्रोश

छुरा अस्पताल में लापरवाही का दर्दनाक नतीजा: समय पर इलाज न मिलने से गर्भवती महिला और नवजात की मौत, परिजनों में आक्रोश

 

छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले के छुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। समय पर इलाज न मिलने के कारण एक गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। मृतका की पहचान खैरझिटी गांव निवासी रामरतन ध्रुव की पत्नी ममता बाई ध्रुव (28 वर्ष) के रूप में हुई है। घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए न्याय और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

घटना का पूरा विवरण

सोमवार सुबह करीब 9 बजे ममता बाई को पेट में तेज दर्द उठा। परिजनों ने तत्काल 102 महतारी एक्सप्रेस को कॉल किया, लेकिन कई बार फोन करने के बावजूद संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया गया, जो लगभग एक घंटे की देरी से मौके पर पहुंची। इस बीच महिला की स्थिति बिगड़ती रही।

एंबुलेंस से ममता बाई को छुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, लेकिन परिजनों के मुताबिक अस्पताल में उस समय कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। गर्भवती महिला दर्द से कराहती रही और परिजन इधर-उधर डॉक्टर को खोजते रहे। लगभग आधे घंटे बाद ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर निषाद अस्पताल पहुंचे और डिलीवरी रूम में इलाज शुरू किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इलाज के दौरान महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की मौत हो गई।

परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

ममता बाई के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय पर एंबुलेंस सेवा मिलती और अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू होता, तो जच्चा-बच्चा की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल में आपातकालीन सेवाओं की घोर लापरवाही है और इमरजेंसी में तैनात स्टाफ समय पर मौजूद नहीं रहता।

डॉक्टर का पक्ष

मामले पर सफाई देते हुए ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर निषाद ने कहा कि वे अस्पताल परिसर में ही ओपीडी कक्ष में अन्य मरीजों का इलाज कर रहे थे। जैसे ही उन्हें गर्भवती महिला के आने की सूचना मिली, वे तत्काल डिलीवरी कक्ष पहुंचे। डॉक्टर के अनुसार, जब उन्होंने महिला की जांच की तो उसकी धड़कन पहले ही बंद हो चुकी थी और गर्भस्थ शिशु की भी मृत्यु हो गई थी।

तीन बड़े सवाल उठे

  1. एम्बुलेंस सेवा में लापरवाही: 102 महतारी एक्सप्रेस से समय पर संपर्क क्यों नहीं हो सका? 108 एंबुलेंस सेवा एक घंटे की देरी से क्यों पहुंची?
  2. अस्पताल में आपातकालीन व्यवस्था फेल: इमरजेंसी मामलों के लिए अस्पताल में तुरंत डॉक्टर या स्टाफ क्यों उपलब्ध नहीं था?
  3. इलाज में देरी का जिम्मेदार कौन: आधे घंटे तक इलाज शुरू न होना किसकी लापरवाही है?

ग्रामीणों और परिजनों में आक्रोश

घटना के बाद खैरझिटी गांव सहित आसपास के ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। परिजनों ने मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

प्रशासन से मांग

  • अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की जांच हो।
  • 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं की कार्यप्रणाली की समीक्षा हो।
  • दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • अस्पताल में आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाया जाए।

फिलहाल घटना की सूचना स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचा दी गई है और मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है।

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