CGNEWS:उदंती के जंगलों में दुर्लभ दृश्य: मादा भालू की पीठ पर सवार दिखे दो नन्हे शावक, ट्रैप कैमरे में कैद हुई खूबसूरत तस्वीर

गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व से एक दुर्लभ और हृदयस्पर्शी दृश्य सामने आया है, जिसने वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों को उत्साहित कर दिया है। जंगल में लगाए गए ट्रैप कैमरे में एक मादा भालू अपने दो नन्हे शावकों के साथ दिखाई दी है, जो उसकी पीठ पर सवार थे। यह दृश्य न केवल अत्यंत दुर्लभ है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि जंगल में वन्यजीवों को सुरक्षित, अनुकूल और प्राकृतिक परिवेश मिल रहा है।
कैसे हुआ दुर्लभ दृश्य कैमरे में कैद
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरे ने हाल ही में यह दृश्य कैद किया। तस्वीरों में देखा गया कि एक मादा स्लॉथ बियर (भालू) जंगल के रास्ते पर चल रही थी, और उसकी पीठ पर दो शावक सवार थे। यह व्यवहार सामान्यतः तभी देखने को मिलता है जब मादा भालू अपने शावकों को खतरों से दूर रखने या लंबी दूरी तय करने में उनकी सहायता करती है। यह पल न केवल जैव विविधता की सुंदरता को दर्शाता है, बल्कि वन्यजीवों के व्यवहारिक पक्ष को भी उजागर करता है।
DFO ने दी जानकारी, संरक्षण कार्यों का बताया असर
इस बारे में जानकारी देते हुए उदंती टाइगर रिजर्व के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) श्री वरुण जैन ने बताया कि विभाग की निरंतर निगरानी, गश्ती दलों की सक्रियता, संवेदनशील इलाकों की मैपिंग और बेहतर रहवास संरक्षण जैसे कदमों का सकारात्मक असर अब प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है।
“हमारी टीम लगातार वन्य प्राणियों की सुरक्षा, रहवास संरक्षण और जैव विविधता की निगरानी में लगी हुई है। ट्रैप कैमरे में इस तरह का दुर्लभ दृश्य मिलना वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक उपलब्धि है,” – वरुण जैन, DFO
भालुओं के लिए आदर्श है उदंती का जंगल
श्री जैन ने यह भी बताया कि उदंती-सीतानदी क्षेत्र भालुओं के लिए आदर्श रहवास है। यहाँ प्राकृतिक आहार की भरपूर उपलब्धता है। जंगलों में शहद, मधुमक्खियों के छत्ते, दीमक, टेंंदू फल, बाँबी और अन्य जंगली फल बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं, जो भालुओं की मुख्य खुराक हैं। यही वजह है कि भालू जंगल के भीतर ही रहना पसंद करते हैं और बस्तियों की ओर आने की घटनाएं बहुत कम हो गई हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष में आई कमी
बीते कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं काफी कम हो गई हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि वन विभाग ने वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की है। जल स्रोतों की मरम्मत, घास के मैदानों की सफाई और गश्ती तंत्र की मजबूती ने वन्यजीवों को जंगलों में ही सीमित रखा है।
वन्यजीव पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस तरह के दृश्य वन्यजीव पर्यटन की संभावनाओं को भी मजबूती देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह की दुर्लभ गतिविधियों को उचित प्रचार और संरक्षण के साथ जोड़ा जाए, तो यह क्षेत्र पर्यावरणीय पर्यटन और शोध के लिए एक आदर्श केंद्र बन सकता है।
निष्कर्ष:
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व से मिला यह दृश्य हमें यह विश्वास दिलाता है कि सही संरक्षण नीतियों और सतत प्रयासों से हम प्रकृति की अनमोल धरोहरों को न केवल सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उन्हें फलने-फूलने का अवसर भी दे सकते हैं। यह खबर न केवल वन विभाग के प्रयासों की सराहना है, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच संतुलन के महत्व को भी रेखांकित करती है।