Cgnews:कोसमबूढ़ा में हुआ इतिहास! एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन ने खोला महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का नया द्वार
छुरा (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव कोसमबूढ़ा में एक बड़ी शुरुआत ने इतिहास रच दिया। एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन के बैनर तले “डब्लू ई सी सिलाई सेंटर” का उद्घाटन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता की ओर पहला सशक्त कदम था।

कार्यक्रम की शुरुआत अत्यंत श्रद्धा के साथ भारत माता और मां सरस्वती के चित्रों पर दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पित कर की गई। वातावरण में जयघोष गूंज उठा, जब गांव की महिलाओं ने आत्मविश्वास के साथ मंच पर कदम रखा।
महापुरुषों का मार्गदर्शन, भविष्य की दिशा
इस गरिमामयी अवसर पर अमेरिका से हंसमुख शाह ऑनलाइन जुड़ते हुए बोले,
“यह सिर्फ एक सिलाई केंद्र नहीं, एक क्रांति है — जो गांव की हर बेटी को आत्मनिर्भर बनने का हौसला देगी।”
कार्यक्रम में उपस्थित महेन्द्र द्विवेदी (संच अध्यक्ष), हेमन्त कुमार सिन्हा (उपाध्यक्ष), मनीष शारडा (जिला सामाजिक समरसता प्रमुख) और लेखराज ध्रुवा (जिला पंचायत सदस्य) ने कहा कि यह पहल न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बदलाव का संकेत है।
गांव की बेटियों में जोश और जुनून
गांव की दर्जनों युवतियों और महिलाओं ने सिलाई प्रशिक्षण के प्रति अपना उत्साह दिखाया। सभी प्रशिक्षार्थी बहनों ने मंच पर उपस्थित होकर अपने सपनों की बात कही — कोई बुटीक खोलना चाहती है, तो कोई अपने परिवार को आर्थिक सहारा देना चाहती है।
स्थानीय नेतृत्व की भूमिका सराहनीय
कार्यक्रम में श्रीमती किरण ठाकुर (सरपंच), संतराम नेताम (पूर्व जनपद सदस्य) और विमल पुरोहित (शिक्षक) जैसे स्थानीय नेतृत्व ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और वादा किया कि गांव की हर बहन तक यह सुविधा पहुंचेगी।
एकल अभियान की मजबूत टीम
कार्यक्रम की सफलता का श्रेय एकल अभियान के समर्पित कार्यकर्ताओं को भी जाता है, जिनमें प्रमुख रूप से पंकज कुमार दास (ओडिशा-छत्तीसगढ़ प्रमुख), जगदीश सिदार (छत्तीसगढ़ कोऑर्डिनेटर), ओमकार साहू (ऑफिस इंचार्ज), हिम्मन कुमार साहू (कंप्यूटर शिक्षक), टीकम निषाद (कार्यालय प्रमुख), खेलन यादव (संच प्रमुख) और श्रीमती संगीता साहू (WEC ट्रेनर) शामिल हैं।
“यह सिर्फ सिलाई नहीं, सम्मान की सुई है”
इस उद्घाटन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब ग्रामीण भारत जागता है, तो प्रगति की रफ्तार खुद शहरी भारत को पीछे छोड़ देती है। अब यह केंद्र महिलाओं के सपनों को आकार देने, उन्हें स्वरोजगार और सम्मान की राह पर ले जाने का माध्यम बनेगा।
और यही है असली ग्रामोत्थान!
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