धुरवागुड़ी में लगा समाधान शिविर बना सुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण

धुरवागुड़ी में लगा समाधान शिविर बना सुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण

जिला पंचायत अध्यक्ष गौरीशंकर कश्यप की अगुवाई में हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ, ग्रामीणों को दिलाई जल संरक्षण व वृक्षारोपण की शपथ

तिरंगा यात्रा में गूंजे देशभक्ति के नारे, शिविर बना जनसेवा और जागरूकता का संगम

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत धुरवागुड़ी शनिवार को एक ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बना, जब सुशासन तिहार के तीसरे चरण में जिला स्तरीय समाधान शिविर का आयोजन पूरे उत्साह और जनभागीदारी के साथ किया गया। यह शिविर केवल सरकारी योजनाओं के लाभ वितरण का केंद्र नहीं रहा, बल्कि जनसंवाद, जागरूकता, राष्ट्रभक्ति और पर्यावरण संरक्षण का अद्वितीय मंच बनकर उभरा।

हर घर पहुँची शासन की योजना

शिविर में सैकड़ों की संख्या में धुरवागुड़ी और आसपास के गांवों से ग्रामीणजन उपस्थित हुए। मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष श्री गौरीशंकर कश्यप ने शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा, “शासन की मंशा है कि अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक योजना का लाभ पहुंचे और कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित न रहे। यही सुशासन की असली पहचान है।”

श्री कश्यप ने मौके पर मौजूद विभिन्न विभागों के स्टालों का निरीक्षण कर लाभान्वित हो रहे हितग्राहियों से संवाद किया। उन्होंने ग्रामीणों से योजनाओं की जानकारी लेकर उन्हें अधिक से अधिक अपनाने की अपील की।

प्रशासनिक अमला रहा पूरी तरह सक्रिय

शिविर में जिला पंचायत सीईओ जी.आर. मरकाम, जनपद सीईओ सुश्री श्वेता वर्मा, पूर्व विधायक डमरूधर पुजारी, गोवर्धन मांझी, अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने मिलकर हितग्राही मूलक योजनाओं – जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री पेंशन योजना आदि – का लाभ हितग्राहियों तक पहुँचाया।

जल संरक्षण और पर्यावरण के लिए एकजुटता की शपथ

कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि शिविर में मौजूद सैकड़ों ग्रामीणों को जल संरक्षण एवं वृक्षारोपण की सामूहिक शपथ दिलाई गई। श्री कश्यप ने जल संकट की गंभीरता पर बोलते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि हम सिर्फ योजना नहीं, जीवनशैली में बदलाव करें। जल बचाना और वृक्ष लगाना अब हमारा नैतिक कर्तव्य है।”

उन्होंने फसल चक्र परिवर्तन और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाने की सलाह दी ताकि जल संकट से निपटा जा सके।

तिरंगा यात्रा और देशभक्ति की हुंकार

शिविर के समापन अवसर पर तिरंगा यात्रा अभियान का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता की जय, वंदे मातरम् जैसे नारों से वातावरण को देशभक्ति से सराबोर कर दिया। यह दृश्य न केवल भावनात्मक था, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि ग्रामीण भारत राष्ट्र निर्माण की नींव है।

निष्कर्ष:

धुरवागुड़ी का यह समाधान शिविर सुशासन, सेवा और सहभागिता का आदर्श उदाहरण बन गया। यह दिखाता है कि जब प्रशासन, जनप्रतिनिधि और जनता एक मंच पर आते हैं, तो बदलाव न केवल संभव होता है, बल्कि दूरगामी और स्थायी होता है।

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