प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प से सिद्धि तक का सफर

(मोदी जी के जन्मदिन पर विशेष)

आलेख –चंद्रशेखर साहू, पूर्व सांसद / पूर्व मंत्री छग

गुजरात के एक छोटे से कस्बे बड़नगर से दिल्ली के पंचवटी (प्रधानमंत्री निवास) तक का सफर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघर्ष और जुनून की ऐसी दास्तान है जिसे सुनकर कोई भी आश्चर्यचकित हुए बगैर नही रह सकता। आर्थिक तंगी और बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि जैसी तमाम विषम परिस्थियों के बावजूद भी उन्होंने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। ज्यादातर लोगों के लिए यह एक सपने की तरह हो सकता है। मगर नरेंद्र मोदी ने अपनी मेहनत, लगन, जुनून और काबलियत से यह कर दिखाया है।

इस लेख में हम उनके जीवन और उनके कार्यो के कुछ ऐसे बिंदु साझा कर रहे है जो उनकी एक अलग छवि तो बनाते ही है साथ ही एक मजबूत शख्सियत, नेता और प्रधानमंत्री के रूप में भी प्रतिलक्षित करते है। 

गुजरात के मुख्यमंत्री का कार्यकाल रहा हो या फिर प्रधानमंत्री का, नरेंद्र मोदी ने अनगिनत ऐसे कार्यो को अंजाम दिया है जो मील के पत्थर बन गए है। उनके इन कार्यो का दुर्गामी परिणाम हमें देखने को मिलता रहेगा।

 नरेंद्र भाई दामोदरदास मोदी ने 2001 में गुजरात की कमान संभाली और 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक वे प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने वाइब्रेंट गुजरात की कल्पना और लगभग 14 वर्ष के उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में गुजरात ने विकास के जो नये सौपान गढ़े वह किसी से छुपे नही है। उनके कार्यकाल में गुजरात आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत राज्य के रूप में उभरकर पटल पर सामने आया। इस दौरान गुजरात ना केवल देश मे बल्कि विदेशों में भी एक विकसित राज्य की पहचान बनाने में सफल रहा। नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते राज्य में ऐसा वातावरण और विकास का मॉडल तैयार किया जिससे प्रदेश में तेजी से उद्योगिक विकास हुआ और कॉरपोरेट सेक्टर अधिक से अधिक निवेश करने को आतुर हुआ। नरेंद्र मोदी द्वारा तय किए गए रास्ते पर चलते हुए गुजरात आज भी विकास की नई ऊचांईया छू रहा है।

गुजरात के लोगों के नजरिए से  कच्छ इलाके में नर्मदा का पानी पहुंचाना नरेंद्र मोदी की उन बड़ी उपलब्धियों में से एक है जिसने प्रदेश की तस्वीर और कच्छ के लोगों की तकदीर बदलने का काम किया है। कच्छ की भूगोलिक परिस्थिति को देखते हुए जिम्मेदार अक्सर पानी नही पहुंचा पाने की बात करते थे लेकिन नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री बनने पर कच्छ के लोगों की पीड़ा को महसूस करते हुए संकल्प लिया और अपने भागीरथी प्रयास से नर्मदा का पानी कच्छ तक पहुंचाने में सफल हुए। उनके इस प्रयास से ना केवल वहां के पशुओं के लिए चारे की समस्या हल हुई और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी शुरू हुई बल्कि पानी की तंगी के चलते पशुपालकों का मवेशियों के साथ किया जाने वाला पलायन भी बंद हुआ है। कच्छ क्षेत्र में नर्मदा जल से कृषि और पशुपालन के विकास को नई दिशा मिल रही है।

ग्रामीणों के लिए कृषि के महत्व को समझते हुए मोदी ने 2013 में वैश्विक कृषि सम्मेलन आयोजित किया। अहमदाबाद में आयोजित इस सम्मेलन में देश के 29 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के 543 जिलों से 4500 किसान प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा 30 प्रतिनिधिमंडल एवं 12 देश भी इस सम्मेलन के सहभागी बने। (बकौल चंद्रशेखर साहू) मैं खुद छग के कृषि मंत्री होने के नाते इस सम्मेलन में शामिल हुआ। सम्मेलन की आपार सफलता को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे आगे भी जारी रखने का फैसले लिया जो आज भी निरंतर जारी है। कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना, किसानों की आय दुगना करना, कृषि लागत कम करना, किसानों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना और फसल का उचित मूल्य दिलाना आज भी प्रधानमंत्री की पहली प्राथमिकताओं में शामिल है। कृषि के साथ पशुपालन को जोड़कर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर सृजन करना अब उनका नया मिशन है।

भारत की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति आज जिस ऊंचाई पर है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान को नही भुलाया जा सकता। नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में जिस कूटनीतिक सूझबूझ का परिचय देकर देश की विदेश नीति को आगे बढ़ाया है उससे विश्व में भारत की एक अलग साख बनी है। पश्चिमी देशों से जहां संबंध प्रगाढ़ हुए है वही एशियाई और अफ्रीकी देशों के साथ भी रिश्ते मजबूत हुए है। रूस-यूक्रेन युद्ध, पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान को लेकर अपनाई गई उनकी कूटनीति ने विश्व पटल पर राजनीतिक प्रेक्षकों एवं आम जनमानस को सोचने पर मजबूर कर दिया। आज जहां विश्व के अधिकतर देश आर्थिक मंदी और महंगाई की मार से जूझ रहे है वही भारत मोदी के नेतृत्व में विकास की नई गाथा लिखने में जुटा है। विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन से का हिस्सा है जिसमें उन्होंने 2047 तक भारत को विश्वगुरु बनने का सपना देखा है। 

नरेंद्र मोदी जितने कुशल प्रशासक है उतने ही कुशल रणनीतिकार भी है। 2014 से उन्होंने चुनावों की बागडोर अपने हाथों में थाम रखी है। 2014 के बाद से अब तक चुनाव लोकसभा के हो या विधानसभा के भाजपा का चेहरा नरेंद्र मोदी ही बने हुए है। भारतीय जनता पार्टी को पहली बार उनके नेतृत्व में ही पूर्ण बहुमत से केंद्र में सरकार बनाने का मौका मिला है। उनके नेतृत्व में ही भाजपा पहली बार बहुमत से अधिक लोकसभा सीटें जीतने में भी कामयाब रही है। देश की राजनीति में एक अलग स्थान रखने वाले अपनी ही पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करने का उनका फैसला भी एतिहासिक माना जाता है।

नरेंद्र मोदी शिव भक्त है इस बात से तो अधिकतर लोग परिचित है। भगवान शिव की नगरी कांशी से चुनाव लड़ना हो या फिर बाबा केदारनाथ की गुफाओं में लीन होकर साधना करना हो। यह सब दर्शाता है कि वे भगवान शिव के कितने बड़े भक्त है। मगर कम ही लोगों को मालूम है कि मोदी बड़नगर स्थित हटकेश्वर महादेव के परम भक्त है। स्थानीय लोगों का दावा है कि आज नरेंद्र मोदी जो भी है वह हटकेश्वर महादेव शिव बाबा की कृपा से संभव हुआ है। हटकेश्वर महादेव के बारे में मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ भक्तों को तभी प्राप्त होता है जबतक वे हटकेश्वर महादेव के दर्शन नही कर लेते।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच एक भारत श्रेष्ठ भारत की है। धारा 370 समाप्त करना, अनुच्छेद 35 A खत्म करना, तीन तलाक पर रोक लगाना उनके द्वारा उठाये गए कुछ ऐसे ही कदम है जो उनकी सोच को साकार करने में मददगार साबित हो रहें है। पहले परफॉर्म, फिर रिफॉर्म और उसके बाद ट्रांसफार्म उनके मिशन की पॉलिसी है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लाल किले की प्राचीर से उनके द्वारा देशवासियों को दिए 5 प्रण का मूलमंत्र भी उनके श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करने की ओर ले जाने का रास्ता है।

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